280+ Naseeb Shayari in Hindi 2025

ज़िंदगी में मेहनत और कोशिशें जितनी भी कर लो, कई बार नतीजे इंसान के बस में नहीं होते। यही है नसीब, जो कभी खुशी लाता है तो कभी ग़म। Naseeb Shayari In Hindi इन्हीं एहसासों को शब्दों में ढालकर पेश करती है। यह शायरियां आपको यह सोचने पर मजबूर कर देंगी कि तक़दीर का खेल कितना अनोखा होता है। इस लेख में पढ़ें दिल को छू लेने वाली शायरियां जो नसीब की सच्चाई और जीवन की हकीकत को खूबसूरत अंदाज़ में बयान करती हैं। शायद इनमें आपको अपनी कहानी की झलक भी मिल जाए।
Naseeb Shayari In Hindi
हमने चाहा उसे हर दुआ की तरह
मगर किस्मत ने लिखा जुदाई का सफ़र..!!!
नसीब के आगे कभी हमारी दुआ भी फीकी लगती है
कभी तो बस खुदा से मिलने वाली राह ही सही लगती है..!!!
नसीब से क्या शिकवा ये तो अपना ही दोष था
तुम्हारी यादों में खोकर मैं खुद को खो चुका था..!!!

नसीब भी खेलता है दिलों के साथ
कभी हंसाता है कभी रुलाता है
हम सोचते है सब कुछ हमारी तक़दीर है
मगर असल में वो हमें खुद ही सिखाता है..!!!
कितने शौक से छोड़ दिया उसने मुझे
अब तो मेरा नसीब भी मेरा साथ नही दे रहा है
इसीलिए ये आशिक अब पागल हो रहा है..!!
मैं मोहब्बत करती थी
वो नफरत करता था
दरअसल हुआ वही जो हमारे
नसीब में था.!!
कोशिशे जीने की तो जारी है
पर कमबख्त नसीब साथ नही देता..!
तुम मेरा सोया हुआ नसीब
फिर से जगा दो
एक बार ही सही आकर
मुझे गले से लगा लो..!
ख्वाहिशे डूबती जा रही है
प्यार के समुंदर में
और गमों के बादल
आते जा रहे है नसीब में..!
गुजर गया Waqt रेत की तरह
जिंदगी भी दर्द दे रही है
फूटे Naseeb की तरह..!
नसीब मिला दे मुझे उससे
जिसकी मुझे तलाश है
उसके ना होने से मेरी
जिंदगी में गम ही पास है..!
जिंदगी की रफ्तार में
हम कुछ यूं चल पड़े है
दोस्तों से भरी महफिल
को भी हम छोड़ चले है..!
साहिल की आस में
कश्ती दरिया दिखा देती है
ठोकर लगना इंसान को
संभलना सिखा देती है..!
मेरे नसीब में फूल नही
तो क्या करूं माली
आया हूं बाग में
तो कांटे ही ले चलूं..
सच्चे मन से वह मांग लिया
पर वो नसीब में नही
तिनके जैसी बिखर गई है
मेरी जिंदगी अब कही..!
औरो की जिंदगी
तलाशते-तलाशते
खुद ही जीना भूल गए
खुशी की चाह में जिंदगी में
गम और दर्द के साये बढ़ते गए..!
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उनकी बाहों में टूटने का
मौका आखिर मिल ही गया
फटा था अब तक जो नसीब
मेरा आखिर सील गया..!
कोशिशे मेरी सफर करती है
नसीबो से बहुत
तुम जो मिल गए हो
यूं हाथों की लकीरो में..!
Mera Naseeb Shayari
खिलते हुए चेहरे
पर मायूसी छाई है
कांटो भरी जिंदगी
मेरे नसीब में आई है..!
एक सच्चे इंसान की दुआ
वक्त के साथ-साथ
naseeb भी बदल देती है..!.

किसी ने नही किया
हमे करीब अपने
खैर छोड़ो यार भी
नही थे नसीब मे अपने..!
मेरे नसीब में ना था
तेरा दीदार करना
मैंने आंसुओं से लिख
दिया तेरा इंतजार करना..!
पनाह कैसे मिलेगी दोस्त
जब नसीब में भटकना लिखा हो
सुकून कैसे मिलेगा जब
जिंदगी मैं दर्द सहना लिखा हो..
चर्चा-एं- आम रहा तेरा
इश्क मेरे महफिले दिल में
लाख ढूंढा तुझे पर मिला
ना तू कभी मेरे नसीब में..!
जिसे हम चाहते हैं
वह हमारे करीब रहे
बस इतना ही खुशकिस्मत
हमारा नसीब रहे..!
सच की राह पर तू चलने
को हर वक्त तैयार है
अपनी मंजिल का तू
ही मुसाफिर और नसीब
को बदलने के लिए तैयार है..!
दिल की किताब में
सबसे पहला नाम तुम्हारा ही था
पर शायद तुम्हारे ही नसीब में
प्यार हमारा ना था..!
घुटन सी होने लगी है
इस जिंदगी से
खुदा अब मौत
लिख दे मेरे नसीब में !
ना दूर का ना करीब का
इंसान को मिला करता है
बस उसके नसीब का..!
Naseeb Par Shayari
दुनिया एक बाजार है
इंसानियत का होता यहां व्यापार है
खुद को बिकने मत देना
चाहे आपका नसीब ही खराब है..!
कायनात की सबसे
बड़ी चीज प्रेम है
इसके बावजूद यह
सब के नसीब में नही है..!

समय भी रुक गया था
गुजरते हुए करीब से
आज उतरी थी चांदनी
आंगन के नसीब से..!
किस्मत की बेबसी भी तो देखो
कोई दो रोटी के लिए तरस रहा है
तो कोई मोटापे से भड़क रहा है..!
बनाए थे जो ख्वाब हमने
इस प्यार की तो तुम मूरत नही
गिला है तुमको हमसे तो
ताजमहल सी खूबसूरत तुम नही..
बेटियां अगर दुश्मन की भी
हो तो फिर भी उनके अच्छे
नसीब की दुआ होती है
इनसे ही तो जिंदगी की
तकदीर हसीन होती है..!
कुछ तो रहा होगा तेरे मेरे दरमिया
वरना रूहानी ख्वाब की ताबीर
जिंदगी में कहां नसीब होती है..!
आज मेरा मेरी सोच से झगड़ा हुआ है
ना जाने क्यो मुझे ऐसा लगा
मेरा नसीब बिगड़ा हुआ है..!
मुक़द्दर की लिखावट का
एक ऐसा भी काएदा हो,
देर से किस्मत खुलने वालो
का दुगुना फायेदा हो
कल भी मन अकेला थाएआज भी अकेला है
जाने मेरी किस्मत ने कैसा खेल खेला है
किस्मत के भरोसे बैठे देखते रहते हैं सपने लाख के
जो लाखों कमाते हैं उन्हें सोने का वक़्त नहीं मिलता।
कमाना चाहता हूँ मशक्कत कर क्यूंकि
मैं ये नहीं सुन सकता की मैं क़िस्मत की खा रहा हूँ।
सारा इल्जाम अपने सर ले कर
हमने किस्मत को माफ कर दिया
जिंदगी और किस्मत से ज्यादा सवाल
करना फिजूल है
भला सवाल किसे पसंद होते है
क़िस्मत में जो लिखा होगा
वो तो बैठे-बैठे मिल जाएगा
पर जो तुझे चाहिए
वो कभी बैठे-बैठे नहीं मिलेगा।
जिन्हे शिकायत है खुदा से
की उनकी क़िस्मत नहीं खुलती
बस एक दफा मेहनत की चाबी लगा कर तो देखो।
किस्मत पर रोना मैंने छोड़ दिया,
अपनी उम्मीदों को
मैंने हौसलों से जोड़ दिया।
हुनर सड़कों पर तमाशा करता है
और किस्मत महलों में राज करती है
रिश्ते नाते झूठे हैं सब स्वार्थ का झमेला है
जाने मेरी किस्मत ने कैसा खेल खेला है!
मेरे लिखने से अगर बदल जाती किस्मत तो
हिस्से में तेरे सारा जहाँ लिख देती!
समस्या तो होगी किस्मत बदलने तक,
फिर तो दुनिया भी बोलेगी क्या किस्मत है इसकी।
खुद में ही उलझी हुई हैं जो मुझे क्या सुलझायेगीं,
भला हाथों की चंद लकीरें भी क्या किस्मत बताएगीं।
किस्मत के भी खेल हज़ार है,
जो मिल नहीं सकता उससे हीं प्यार है,
एक को कोई फर्क नहीं पड़ता,
और दुसरा जान देने के लिए तैयार है।
ना कसूर इन लहरों का था,
ना कसूर उन तूफानों का था,
हम बैठ ही लिये थे उस कश्ती में,
किस्मत में जिसके डूबना था।
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
कितना है बद-नसीब ‘ज़फ़र’ दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
Waqt Kismat Naseeb Shayari
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
तुम हमारे किसी तरह न हुए
वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता
कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है

बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में
यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ए-आरज़ू न मिला
किसी को हम न मिले और हम को तू न मिला
क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद
कुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगर्ना ज़माने में क्या न था
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
नैरंगी-ए-सियासत-ए-दौराँ तो देखिए
मंज़िल उन्हें मिली जो शरीक-ए-सफ़र न थे
कोई मंज़िल के क़रीब आ के भटक जाता है
कोई मंज़िल पे पहुँचता है भटक जाने से
तुझ से क़िस्मत में मिरी सूरत-ए-क़ुफ़्ल-ए-अबजद
था लिखा बात के बनते ही जुदा हो जाना
जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है
जो कि पेशानी पे लिक्खी है वो पेश आनी है
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा
ख़ुश-नसीबी में है यही इक ऐब
बद-नसीबों के घर नहीं आती
ज़ोर क़िस्मत पे चल नहीं सकता
ख़ामुशी इख़्तियार करता हूँ
बा’द मरने के मिरी क़ब्र पे आया ‘ग़ाफ़िल’
याद आई मिरे ईसा को दवा मेरे बा’द
तदबीर से क़िस्मत की बुराई नहीं जाती
बिगड़ी हुई तक़दीर बनाई नहीं जाती
सुना है अब भी मिरे हाथ की लकीरों में
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है
ख़ुदा तौफ़ीक़ देता है जिन्हें वो ये समझते हैं
कि ख़ुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तक़दीरें
Naseeb Dua Shayari
कब हँसा था जो ये कहते हो कि रोना होगा
हो रहेगा मिरी क़िस्मत में जो होना होगा
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
लेकिन अपना अपना दामन
मेरे हवास इश्क़ में क्या कम हैं मुंतशिर
मजनूँ का नाम हो गया क़िस्मत की बात है

दौलत नहीं काम आती जो तक़दीर बुरी हो
क़ारून को भी अपना ख़ज़ाना नहीं मिलता
मक़्बूल हों न हों ये मुक़द्दर की बात है
सज्दे किसी के दर पे किए जा रहा हूँ मैं
कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूँ
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
‘अदम’ रोज़-ए-अजल जब क़िस्मतें तक़्सीम होती थीं
मुक़द्दर की जगह मैं साग़र-ओ-मीना उठा लाया
वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं
आरज़ूओं से फिरा करती हैं तक़दीरें कहीं
देखिए क्या दिखाती है तक़दीर
चुप खड़ा हूँ गुनाहगारों में
लिक्खा है जो तक़दीर में होगा वही ऐ दिल
शर्मिंदा न करना मुझे तू दस्त-ए-दुआ का
ऐसी क़िस्मत कहाँ कि जाम आता
बू-ए-मय भी इधर नहीं आई
शायरी है सरमाया ख़ुश-नसीब लोगों का
बाँस की हर इक टहनी बाँसुरी नहीं होती
अपने माथे की शिकन तुम से मिटाई न गई
अपनी तक़दीर के बल हम से निकाले न गए
हमेशा तिनके ही चुनते गुज़र गई अपनी
मगर चमन में कहीं आशियाँ बना न सके
यार पर इल्ज़ाम कैसा ऐ दिल-ए-ख़ाना-ख़राब
जो किया तुझ से तिरी क़िस्मत ने उस ने क्या किया
इश्क़ ने मंसब लिखे जिस दिन मिरी तक़दीर में
दाग़ की नक़दी मिली सहरा मिला जागीर में
Naseeb Sabar Shayari
जो चल पड़े थे अज़्म-ए-सफ़र ले के थक गए
जो लड़खड़ा रहे थे वो मंज़िल पे आए हैं
उसी को दश्त-ए-ख़िज़ाँ ने किया बहुत पामाल
जो फूल सब से हसीं मौसम-ए-बहार में था
मेरा कसूर नहीं ये मेरी किस्मत का कसूर है
जिसे भी अपना बनाने की कोशिश करता हूँ
वो ही दूर हो जाता है

बात मुकद्दर पर आ कर रुकी है वरना
कोई कसर तो नही छोड़ी थी तुझे चाहने में
जिन्होंने मौका ढूंढने की कोशिश भी नहीं की
आज वो भी कहते फिरते है क़िस्मत ने हमे मौका नहीं दिया।
तसल्ली के सिवा कुछ दे ना सका,
देने वाला भी किस्मत का गरीब था।”
किस्मत बदलने की किस्मत
मैं पहले से लेकर आया हूँ
किस्मत बदलने का इंतज़ार क्यों करना
मंज़िल तो चल कर जल्दी पहुंच सकते हैं।
उन्हें भुलाने का मैं सोचू कैसे,
उन्होंने हमें किस्मत की लकीरों से चुराया है।
हँस हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता
क्यों हथेली की लकीरों से है आगे उंगलियां
रब ने भी किस्मत से आगे मेहनत रखी
जिंदगी है कट जाएगी
किस्मत है एक दिल पलट जायेगी।
कुछ भी किस्मत का किया धरा नहीं होता
कामियाबी से लेकर नाकामयाबी तक सब कर्मों का खेल है।
किस्मत को ताने मत कस की तुझ में कमी है
तू नहीं जीत पाया इस बार क्यूंकि
तेरी कोशिश में कुछ कमी है।
मेरी चाहत को मेरे हालात
के तराजू में कभी मत तोलना,
मेने वो ज़ख्म भी खाए है
जो मेरी किस्मत में नहीं थे
Naseeb Zindagi Alone Shayari
अपने हाथों अपनी किस्मत बिगाड़ा हूँ,
जिंदगी एक खेल है और मैं अनाड़ी हूँ।
तकदीर ने क्या खूब खेल खेला है।
मेरे दिल पे तेरा नाम और
जिंदगी किसी और के नाम लिखा है ।
जरूरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो
जरूरी तो नहीं हम जिसके है वो हमारा हो
कुछ कश्तियों डूब भी जाया करती है
जरूरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो।

किस्मत भी उनका साथ देती है
जिनमें कुछ कर गुजरने
की हिम्मत होती है।
काश मेरी किस्मत कोरे कागज जैसी होती
जिस पर मैं रोज खुद लिखा पाता
किस्मत के नखरे काफी है
ये बैठे-बैठे कभी नहीं बदलती।
क़िस्मत भी मात खा जाती है
जब कुछ कर दिखा की बात
मन के अंदर आ जाती है।
इल्म हो गया मुझे मेरी अहमियत खो गई है
जागी थी जो फिर से वो किस्मत अब सो गई है।
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी
लिखा है मेरी तक़दीर में तेरा नाम
दुनिया से क्या डरना
चाहे लाख कोशिश कर ले जमाना
मुमकिन नही हमको तुम से जुदा कर पाना
किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई है
तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों अपर रचाई है
जिनके दिल बहुत अच्छे होते हैं
अक्सर उन्हीं की किस्मत खराब होती है
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता!
अहंकार में ही इंसान सब कुछ खोता है
बेवजह किस्मत को दोष देकर रोता है
ख़राब हम नहीं हमारी किस्मत है
जहां भी जाते है अकेले ही रह जाते है
तकदीर त छे मगर किस्मत नि खुलती
ताजमहल बनाना चाहूँ
मगर ष्मुमताज नि मरती
जब भी रब दुनिया की किस्मत में चमत्कार लिखता है
मेरे नसीब में थोड़ा और इंतजार लिखता है।
कुछ तो लिखा होगा किस्मत में,
वरना आप हम से यूं ना मिले होते।
वक्त और किस्मत पर कभी घमंड ना करे
सुबह उनकी भी होती है
जिन्हें कोई याद नही करता
तुझको मस्ज़िद है मुझको मयखाना
वाइज़ अपनी अपनी किस्मत है।
ये दिन भी देखना लिखा था मेरी क़िस्मत में
जो थे हबीबए हुए हैं रक़ीब ए जां लोगों
लोग सच ही कहते हैं
किस्मत है एक दिन बदल जाएगी
बनाया अपनी किस्मत
जिसे सच एक दिन बदल गई
क़िस्मत तब तक नहीं बदलती
जब तक इंसान अपनी बुरी आदतें नहीं बदलेगा।
नसीब आपका तब तक काम नहीं करेगा
जब तक आप भाग्य को छोड़ कर
खुद पर भरोसा करना नहीं शुरू कर देते।
कुछ लोगों को मिल जाता है सबकुछ,
कुछ बोलने से ही पहले,
बिन बोले कुछ मिल जाए हमे भी,
ऐसा किस्मत हमारा कहा?
बुझी शमा भी जल सकती हूँ,
तूफानो से कश्ती भी निकल सकती है,
होके मायूस यूं ना अपने इरादे बदल,
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है।
किसी राह पे मिल जाओ मुसाफ़िर बन के
क्या पता अपनी किस्मत में हमसफ़र भी लिखा हो।
किस्मत तेरी दासी हैं यदि परिश्रम तेरा सच्चा है
नियत भी साथ देगा और जीत भी तेरा पक्का है।
रास्ते मुस्किल है पर
हम मंजिल जरूर पाएंगे
ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी गई
इससे भी जरूर हराएंगे
अगर जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो
अपनी क़िस्मत पर नहीं,
हिम्मत पर भरोसा करना सीखो।
उतनी ही देर लगेगी क़िस्मत बदलने में
जितनी देर तुम मेहनत करने में लगाओगे।
कितने सच कितने अफ़साने
कैसी ये रेखाओं की बस्ती है
वही मुकम्मल है ताने बाने
जो ये किस्मत बुना करती है।