300+ Best Zindagi Shayari in Hindi 2025

Zindagi Shayari

ज़िंदगी सिर्फ़ सांसों का नाम नहीं, ये तो जज़्बातों, रिश्तों और लम्हों का खूबसूरत संगम है। हर दिन कुछ नया सिखाता है, कभी हंसाता है तो कभी आंखें नम कर देता है। Zindagi Shayari in Hindi का यह खास संग्रह उन सभी भावनाओं को शायराना अंदाज़ में बयां करता है, जो हम दिल में महसूस करते हैं पर कह नहीं पाते। चाहे हो अकेलापन, खुशी, संघर्ष या मोहब्बत—यहाँ हर एहसास के लिए एक खास शायरी है। पढ़िए, महसूस कीजिए और ज़िंदगी को शायरी के लफ्ज़ों में ढालकर उसे और भी हसीन बनाइए।

Zindagi Shayari in Hindi

मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही,
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते..!!

हाथ की लकीरे भी कितनी अजीब है,
कमबख्त मुट्ठी में तो है पर काबू में नही..!!

मुझको उस वैद्य की विद्या पे तरस आता है,
भूखे लोगों को जो सेहत की दवा देता है..!!

यूँ तो ए ज़िन्दगी तेरे सफर से शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे तो कतारे बहुत थी..!!

हथेली पर रखकर नसीब अपना,
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है,
अजीब फ़ितरत हैए उस समुन्दर की,
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है..!!

ज़िन्दगी एक फूल है तो मोहब्बत उसकी खुशबू,
प्यार एक दरिया है तो महबूब उसका साहिल,
अगर ज़िन्दगी एक दर्द है तो दोस्त उसकी दवा..!!

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है,
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम..!!

Zindagi Shayari in Hindi
Zindagi Shayari in Hindi

मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो..!!

ज़िन्दगी लोग जिसे मरहम ए ग़म जानते हैं,
जिस तरह हम ने गुज़ारी है वो हम जानते हैं..!!

मुझे ज़िंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं है दोस्तों,
पर लोग कहते हैं यहाँ सादगी से कटती नहीं..!!

मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही,
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते..!!

नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले..!!

जीने का हौसला कभी मरने की आरज़ू,
दिन यूँ ही धूप छाँव में अपने भी कट गए..!!

ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
ज़ुल्फ़ ओ रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है..!!

सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते,
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है..!!

फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगीए ज़िंदगी नही कोई इल्जाम है..!!

You can also read Shayari on Zindagi in Hindi

तंग आ चुके हैं कशमकश ए ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम..!!

शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया..!!

मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगीए मुझे रोज रोज तमाशा न बनाया कर..!!

Life Zindagi Shayari

कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी..!!

ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ मुश्कुराहते उधार दे दे,
अपने आ रहे है मिलने की रश्म निभानी है..!!

अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है..!!

Life Zindagi Shayari
Life Zindagi Shayari

ज़िन्दगी तुझसे हर एक साँस पे समझौता करूँ,
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं,
रूह को दर्द मिला दर्द को आँखें न मिली,
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं..!!

मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगी मुझे रोज रोज तमाशा न बनाया कर..!!

फुर्सत मिले जब भी तो रंजिशे भुला देना,
कौन जाने साँसों की मोहलतें कहाँ तक हैं..!!

मेरी ज़िन्दगी का मकसद पूछते है लोग,
सुनो बेवजह भी जीते हैं हम जैसे लोग..!!

उनके साथ जीने का एक मौका दे दे ऐ खुदा,
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेगे..!!

ये सोच कर अपनी हर हँसी बाट दी मेने,
कि किसी ख़ुशी पर मेरा भी नाम हो जाए,
मुख़्तसर सा सफर है मेरा कोन जाने कब,
मेरे इस सफर की आखरी शाम हो जाए..!!

आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं,
आँसू किसी की याद के कितने करीब हैं..!!

सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते,
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है..!!

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ

ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना

मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से

तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली

अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या

ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में

Zindagi Shayari Hindi

अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा

ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है!
हम तो इस जीने के हाथों मर चले

यूँ तो मरने के लिए ज़हर सभी पीते हैं
ज़िंदगी तेरे लिए ज़हर पिया है मैं ने

ये माना ज़िंदगी है चार दिन की
बहुत होते हैं यारो चार दिन भी

इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का
ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

Zindagi Shayari Hindi
Zindagi Shayari Hindi

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

हर नफ़स उम्र-ए-गुज़िश्ता की है मय्यत ‘फ़ानी’
ज़िंदगी नाम है मर मर के जिए जाने का

इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से

किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने

दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है

मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले
हँसी आ रही है तिरी सादगी पर

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है

ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना
ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना

तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती

ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी नहीं सुनानी है

हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम

‘मीर’ अमदन भी कोई मरता है
जान है तो जहान है प्यारे

मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
बुज़ुर्गों की दुआ ने मार डाला

गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से
पूछेंगे अपना हाल तिरी बेबसी से हम

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से

माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले

ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
सोच लें और उदास हो जाएँ

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है

बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए
हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते

Zindagi Shayari Life

इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई ए’तिबार नहीं

यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
यही ज़िंदगी हक़ीक़त यही ज़िंदगी फ़साना

मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे
मिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना

ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ
शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं

ज़िंदगी जब अज़ाब होती है
आशिक़ी कामयाब होती है

Zindagi Shayari Life
Zindagi Shayari Life

एक सीता की रिफ़ाक़त है तो सब कुछ पास है
ज़िंदगी कहते हैं जिस को राम का बन-बास है

तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी
ख़ुद को गँवा के कौन तिरी जुस्तुजू करे

माँगी थी एक बार दुआ हम ने मौत की
शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम

इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से
सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी

ज़िंदगी शम्अ की मानिंद जलाता हूँ ‘नदीम’
बुझ तो जाऊँगा मगर सुबह तो कर जाऊँगा

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है

बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर
वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे

ज़िंदगी नाम है इक जोहद-ए-मुसलसल का ‘फ़ना’
राह-रौ और भी थक जाता है आराम के बा’द

इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो-जहाँ के हैं

कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं
यूँ देखती है जैसे मुझे जानती नहीं

ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं

किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके

ज़िंदगी कम पढ़े परदेसी का ख़त है ‘इबरत’
ये किसी तरह पढ़ा जाए न समझा जाए

ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं

आए ठहरे और रवाना हो गए
ज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है

ज़िंदगी ख़्वाब देखती है मगर
ज़िंदगी ज़िंदगी है ख़्वाब नहीं

मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
ज़िंदगी भी जान ले कर जाएगी

मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से

ख़्वाबों पर इख़्तियार न यादों पे ज़ोर है
कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में

मौत कहते हैं जिस को ऐ ‘साग़र’
ज़िंदगी की कोई कड़ी होगी

कौन जीने के लिए मरता रहे
लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले

कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए

Sad Zindagi Shayari

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

मौत क्या एक लफ़्ज़-ए-बे-मअ’नी
जिस को मारा हयात ने मारा

सुनता हूँ बड़े ग़ौर से अफ़्साना-ए-हस्ती
कुछ ख़्वाब है कुछ अस्ल है कुछ तर्ज़-ए-अदा है

वक़्त से लम्हा लम्हा खेली है
ज़िंदगी इक अजब पहेली है

सुनी हिकायत-ए-हस्ती तो दरमियाँ से सुनी
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा’लूम

Sad Zindagi Shayari
Sad Zindagi Shayari

ज़िंदगी है इक किराए की ख़ुशी
सूखते तालाब का पानी हूँ मैं

ज़िंदगी छीन ले बख़्शी हुई दौलत अपनी
तू ने ख़्वाबों के सिवा मुझ को दिया भी क्या है

इक ज़िंदगी अमल के लिए भी नसीब हो
ये ज़िंदगी तो नेक इरादों में कट गई

कोई मंज़िल आख़िरी मंज़िल नहीं होती ‘फ़ुज़ैल’
ज़िंदगी भी है मिसाल-ए-मौज-ए-दरिया राह-रौ

मसर्रत ज़िंदगी का दूसरा नाम
मसर्रत की तमन्ना मुस्तक़िल ग़म

ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का

ज़िंदगी दी हिसाब से उस ने
और ग़म बे-हिसाब लिक्खा है

ज़िंदगी और ज़िंदगी की यादगार
पर्दा और पर्दे पे कुछ परछाइयाँ

सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते
कुछ ग़म-ए-मोहब्बत हो कुछ ग़म-ए-जहाँ यारो

वो जंगलों में दरख़्तों पे कूदते फिरना
बुरा बहुत था मगर आज से तो बेहतर था

लाई है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे
महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे

कुछ तो है बात जो आती है क़ज़ा रुक रुक के
ज़िंदगी क़र्ज़ है क़िस्तों में अदा होती है

कोई वक़्त बतला कि तुझ से मिलूँ
मिरी दौड़ती भागती ज़िंदगी

ज़िंदगी परछाइयाँ अपनी लिए
आइनों के दरमियाँ से आई है

ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि मियाँ
सोचते रहिए कि इस ख़्वाब की ताबीर है क्या

कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है

मौत से पहले जहाँ में चंद साँसों का अज़ाब
ज़िंदगी जो क़र्ज़ तेरा था अदा कर आए हैं

क्या चाहती है हम से हमारी ये ज़िंदगी
क्या क़र्ज़ है जो हम से अदा हो नहीं रहा

ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
चाहती क्या है ज़िंदगी हम से

बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से
बहुत अज़ीज़ सही ए’तिबार कुछ भी नहीं

ज़िंदगी का साज़ भी क्या साज़ है
बज रहा है और बे-आवाज़ है

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