200+ Best Desh Bhakti Shayari in Hindi 2025

Desh Bhakti Shayari 

जब बात भारत माता की होती है, तो हर दिल में देशभक्ति की लौ जल उठती है। Desh Bhakti Shayari उन जज़्बातों की जुबान है, जो तिरंगे की शान, शहीदों की कुर्बानी और देश के लिए अटूट प्रेम को बयां करती है। चाहे किसी पर्व पर हो या किसी समारोह में, देशभक्ति से भरी शायरी दिलों में जोश और गर्व भर देती है। इस पोस्ट में हम लाए हैं कुछ चुनिंदा देशभक्ति शायरियाँ, जो न सिर्फ भावनाओं को जगाती हैं बल्कि हमें अपने देश पर और भी ज्यादा नाज़ करने पर मजबूर कर देती हैं।

Desh Bhakti Shayari in Hindi

लहू मेरे जिगर का कुछ काम तो आया
शहीदों में सही लवों पर नाम तो आया।
जाँ से प्यार वतन इस की शान के खातिर
जब मर तो इस दिल को आराम तो आया।।

बलिदानों की ज्वाला जलाए रखना,
लहराता तिरंगा यूं ही उठाये रखना
जान जाए तो जाये कोई गम नहीं
देश पर कुर्बानियों  का मातम न कर
मौत के बाद भी खुद को मुस्कराए रखना।

न झुकने देना कभी इसके मान को,
न मिटने देना कभी इसकी शान को।
चाहे कुर्बान करनी पड़े जान को।।
अपने सीने से इसको लगाए रखना
ये तिरंगा यूं ही उठाये रखना।

इन रंगों में बलिदानों का रंग तुम्हे मिल जायेगा,
ओढ़ तिरंगा निकलोगे तो अहसास तुम्हे हो जाएगा।
कितनो ने इसके खातिर खुद को सूली चढ़ा दिया,
इतिहास के पन्नो में पढने को मिल जायेगा ।।

Desh Bhakti Shayari in Hindi
Desh Bhakti Shayari in Hindi

काश मरने के बाद भी वतन के काम आता
शहीदों के दुनिया में अपना भी नाम आता
हंस के लुटा देते जान इस वतन के लिए
कोई फिक्र नहीं होती गर ऐसा मुकाम आता।।

अब है तुम्हारा फर्ज इसे आगे लेकर जाना है,
इस झंडे को दुश्मन की छाती पर फहराना है।।
राज तिलक और भगत गुरु ने लहू से अपने सींचा है,
तब जाके हरा-भरा अपना आज बगीचा है ।।

इसकी शान निराली है
इसकी पहचान निराली है
इसपर जाँ जो मिट जाए
ऐसी जाँ फिर किस्मत वाली है।।

झुकने न देंगे तेरे स्वाभिमान को
चाहे दावं पर लगानी पड़े जान को
हम मिट गए तो कुछ गम नहीं
मिटने न देंगे तेरी पहचान को ।।

मर मिटेंगे हम अपने वतन के लिए ,
जान कुर्बान है प्यारे चमन के लिए
हमसे हमारी अब हसरत न पूछो
बाँध रखा सर पे तिरंगा कफ़न के लिए ।।

इसके वाश्ते अपनी जाँ तक लुटा देंगे हम
हमसे टकराए तो उसकी हस्ती मिटा देंगें हम
सर हिमालय का हम न झुकने देंगे कभी
इसकी चोटी पर तिरंगा फहरा देंगे हम ।।

अब लहू से इस चमन को सीचेंगे हम
इसके खातिर जवानी लुटा जायेंगे
कोई दुश्मन की नजर लगे न इसे
इसके सदके में खुद को बिछा जायेंगे।।

ये जोश कभी कम नहीं होगा,
वीरों के बलिदानों से आया है।
कितनो ने लहू बहाया है,
तब जा के तिरंगा पाया है ।।

है जान जब तक मेरे सीने में हमारी ,
वतन की शान को न मिटने देंगे।
हम वीर सपूत हैं हम बलिदानी हैं
अपने इस चमन को लहू से सीच देंगे ।

इन रगो में बहता लहू है बस वतन परस्ती की
है सीने में जलती ज्वाला इसके हस्ती की
कोई लहर उसे क्या बहा लियेगी गह्ररी धारा में
हम जैसे पतवार रहें  जिस भी कस्ती की ।।

चाहे जान की बाजी लगा देंगे हम
दुश्मनों को वतन से मिटा देंगे हम
है कसम इस तिरंगे की वतन के लिए
ये तिरंगा उनके सीने पर लहरा देंगे हम।

कतरा-कतरा मेरे लहू का
इस वतन के काम आएगा
मेरे जाने के बाद भी तिरंगा
हिमालय पर ऐसे मुस्कराएगा।

मिट कर भी दिल में है वतन की उल्फत
मौत भी हमसे पहले हमारी रजा मांगती है
इसके रखवाले हम जैसे शेर-ए-जिगर हैं
हर माँ हमारी सलामती की दुआ मांगती हैं।

Desh Bhakti Shayari Hindi

वतन परस्ती का जूनून अब सर पर छा गया है
दुश्मनों को मिटाने को उबाल लहू में आ गया है
सर पर कफ़न तिरंगा बाँधा है इस वतन के लिए
मिट जाना है इस प्यारे से जानेमन के लिए ।।

इस बार हिमालय की चोटी से
जाके इसको लहराना है,
इसके खातिर जाँ भी दे देंगे
ये हम सबने ठाना है।

सौ जन्मो तक उनके अहसानों को भुला नहीं सकते।
हम सर कटा सकते हैं लेकिन झुका नहीं सकते
खींच दी हैं लकीरें जो अपने जिगर के लहू से
तुम लाख कोशिस करलो इसे मिटा नहीं सकते।

जो सीने में जली है बुझने वाली नहीं है
आग दुश्मनों के लिए है रुकने वाली नहीं है
जान भी कुर्बान कर देंगे इस वतन के लिए
शान अब वतन की अब झुकने वाली नहीं है ।।

जो लहू है जिगर में बह जाने दो
वतन की धरा को सींच जायेंगे हम
रहेगा खिला जब चमन ये हमारा
देखकर इसकी शान मुस्कुराएंगे हम।

अंगारा जल पड़ा है अब सीने में
दुश्मनों के छक्के छुड़ा जायेंगे
इस गर्म लहू के धधकती आग में
उनके सारे अरमान मुरझा जायेंगे ।।

Desh Bhakti Shayari Hindi
Desh Bhakti Shayari Hindi

जो फूल था  कभी अब अंगारा हो गया ।
ये दुश्मन तेरे खातिर गर्म लहू हमारा हो गया है ।।

हर बरस शहीदों की चिताओं की लौ जलेगी
ये वो आग है जो दुश्मन की जान भी लेलेगी
इसके जद में तुम आने भूल मत करना
मिट जाओगे टकराने की भूल मत करना।

हम फौलादी जिगर वाले हैं
वतन पर खुद को लुटा देंगे
हमसे यूं न टकराना कभी
हस्ती तुम्हारी सब मिटा देंगे ।।

हम बलिदानों के आदी है,
उस हिन्द के फौलाद हैं।
जिस माटी में थे जन्मे भगत सिंह,
हम उस माटी के औलाद हैं ।।

सींच दू खून से अगर इस चमन  के काम आए
काश मेरा लहू भी मेरे वतन के काम आए
न जाने कौनसी घडी आख़री हो हमारी,
ये तन मन धन फिर वतन के कामाआए ।

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बलिदानों के खातिर हमने खुद को पाला है
यही तमन्ना गूँज रही है जबसे होश संभाला है
है वतन हमारा दिल में बसता इसकी शान निराली है
आंच नं कोई क्या आयेगी जब हम जैसा रखवाला है ।

है बसंती चमन, इसका नीला गगन
इसकी छटा भी निराली है
हम हैं पहरेदार इसी के
करनी हमें रखवाली है ।।

हिमालय से उंचा रहे सर इसका हमने दिल में ठाना है
रंग दो बसंती चोला मेरा हमको सरहद पर जाना है ।
कोई नजर न इसकी और उठे ऐसे पहरेदारी हो
दुश्मन की छाती पर तिरंगा फिर से लहराना है ।।

जान कुरबां वो जायेगी इस वतन के लिए
रगों में लहू फिर भी रहेगा चमन के लिए ।
मुझे डर नहीं वतन पर मिटने जाने से
हमने तिरंगा चुना है कफ़न के लिए ।।

Shayari on Desh Bhakti

जाँ से प्यार वतन है हमारा
हम तो इसके पहरेदार रहेंगे
सौ जनम भी लुटा दें इसके लिए
तब भी हम इसके कर्जदार रहेंगे।

इस देश की मिट्टी के कर्जदार है हम
जान को लुटाने के हकदार है हम
हमसे हमारी हसरत न पूछे कोई
मिट कर भी निभाएंगे वफादार है हम।

मेरे लहू का कतरा-कतार इस चमन से मिले
इसकी शान हो ऊँची और उस गगन से मिले
मेरे लाखो जनम इसके अहसानो पर कम हैं
मौत आये तो सुकून तिरंगा कफ़न से मिले ।।

मेरा लहू काफी है इस चमन के लिए
हम जाँ भी लुटा दें वतन के लिए
दिल अगर रखते है दोतों के लिए
तो खंजर भी रखते है दुश्मन के लिए ।।

सुगंध इस मिट्टी फिजा में बिखर रही है
ये जमी इस वतन को नमन कर रही है
हम इसके खुसबू से सुगन्धित हो रहे हैं
हिन्दुस्तान की सरजमी को चमन कर रही है।।

Desh Bhakti par shayari
Desh Bhakti par shayari

हम पहरेदार है इसके हम इसके रखवाले है
प्यारे वतन के खातिर हम जाँ भी लुटाने वाले हैं
इसकी हमको हर एक बात निराली लगती है
सौ जीवन कुर्बान हैं इसपर हम ऐसे मतवाले हैं।

हम इस चमन में लहू का रंग भर देंगे
इसके आँगन में खुशिया-2 ही कर देंगे
इसके वाश्ते अपनी जाँ भी लुटा जायेंगे
मुस्कराके खुद को कुर्बान कर देंगे ।।

मेरे रगो का लहू जो तेरे काम आये
काश ऐसा मै कोई काम कर जाता
तेरे शान को यूं ही बनाये रखने के लिए
जंग-ए-मैदान में फिर से उतर जाता।

दुनिया में महकता हुआ चमन चाहता हूँ
शान्ति उन्नति से भरा गगन चाहता हूँ
जान जाए इसके खातिर कोई गम नहीं
बाद मरने के बस तिरंगा कफ़न चाहता हूँ।

जाँ वतन के खातिर निसार हो जाने दे
थोडा ही सही खुद पर ऐतबार हो जाने दे
इस मिट्टी की खुशबू से खुद को महका
इस चमन को और भी गुलजार हो जाने दे।

देश भक्ति के खातिर अपने प्राण गवाएंगे
आना दुश्मन कभी लपेटे में तुझको धूल चटाएंगे।

भारत मां का लाल होना गर्व की बात हैं
और उस मां का कर्ज चुकाना शान की बात है।

तिरंगे तेरी आन बान और शान को रखेंगे बरकरार
झुकने नहीं देंगे तुझको चाहे कर देंगे कुर्बानी हजार।

दुश्मन तेरी गोली में इतना दम नहीं होता
हम सिपाहियों का सीना फोड़ दे इतना तुझ में साहस कहां होता।

आजादी के इस अवसर पर हम सब खुशियां मनाएंगे
आओ बच्चों हम सब मिलकर गणतंत्र दिवस मनाएंगे।

हम हैं देश के सच्चे प्रेमी देश से सच्चा प्रेम निभाएंगे
इसी प्रेम और भाव के खातिर हम भी भारतीय कहलाएंगे।

तीन रंग हैं देश कि सान
तिरंगे से हैं भारत देश की पहचान।

भारत है वीरों की भूमि यह वीरता की पहचान है
आजादी पर मार मिटे जो गाथाएं उनकी महान है।

देश मेरा सोने की खान है
भारत देश मेरी जान है।

देश तेरी आन के खातिर कितनों ने गोली खाई है
धन्य है वह वीर जवान जिसने अमर निशानी पाई है।

देश मेंरे तु कितना है महान
दुश्मन दूर से करते हैं तुझे सलाम।

देश मेरा है दुनिया से महान
तीन रंगों से हैं इसकी शान।

मातृभूमि की आन पर जिसने प्राण भी अपने न्योछावर किया है
आज उस भारत मां के लाल के आगे हम अपना मस्तक झुकाते हैं ।

छोड़ कर अपने सपनों को सरहद पर जवानी लुटाइ है
मातृभूमि तेरे रखवालों ने कितनी गोलियां सिने पर खायी है।

Desh Bhakti Shayari 2 Line

मानव नहीं वो देवता बन कर खड़े हैं
आच ना आए भारत मां को दिन रात बोडर पर तेनात खड़े हैं।

दुनिया में जिसका बजता डंका वह भारत देश हमारा है
जिसकी गाथा दुनिया गति यह भारत देश महान है।

भारत मां तेरी रक्षा के खातिर अपने प्राण कमाएंगे
आयेगा जो दुश्मन सामने मिट्टी में उसको मिलेंगे।

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

वतन की रेत ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे
मुझे यक़ीं है कि पानी यहीं से निकलेगा

लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी

वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगे
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे

Desh Bhakti Shayari 2 Line
Desh Bhakti Shayari 2 Line

दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो

इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान

ज़मीं पर घर बनाया है मगर जन्नत में रहते हैं
हमारी ख़ुश-नसीबी है कि हम भारत में रहते हैं

वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें

नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है
मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है

ये कह रही है इशारों में गर्दिश-ए-गर्दूं
कि जल्द हम कोई सख़्त इंक़लाब देखेंगे

वतन की पासबानी जान-ओ-ईमाँ से भी अफ़ज़ल है
मैं अपने मुल्क की ख़ातिर कफ़न भी साथ रखता हूँ

ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जागते रहना
अग़्यार हैं आमादा-ए-शर जागते रहना

कहाँ हैं आज वो शम-ए-वतन के परवाने
बने हैं आज हक़ीक़त उन्हीं के अफ़्साने

हम भी तिरे बेटे हैं ज़रा देख हमें भी
ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से शिकायत नहीं करते

है मोहब्बत इस वतन से अपनी मिट्टी से हमें
इस लिए अपना करेंगे जान-ओ-तन क़ुर्बान हम

न होगा राएगाँ ख़ून-ए-शहीदान-ए-वतन हरगिज़
यही सुर्ख़ी बनेगी एक दिन उनवान-आज़ादी

बे-ज़ार हैं जो जज़्बा-ए-हुब्ब-उल-वतनी से
वो लोग किसी से भी मोहब्बत नहीं करते

मैं ने आँखों में जला रखा है आज़ादी का तेल
मत अंधेरों से डरा रख कि मैं जो हूँ सो हूँ

वो हिन्दी नौजवाँ यानी अलम-बरदार-ए-आज़ादी
वतन की पासबाँ वो तेग़-ए-जौहर-दार-ए-आज़ादी

कारवाँ जिन का लुटा राह में आज़ादी की
क़ौम का मुल्क का उन दर्द के मारों को सलाम

ख़ुदा ऐ काश ‘नाज़िश’ जीते-जी वो वक़्त भी लाए
कि जब हिन्दोस्तान कहलाएगा हिन्दोस्तान-ए-आज़ादी

सर-ब-कफ़ हिन्द के जाँ-बाज़-ए-वतन लड़ते हैं
तेग़-ए-नौ ले सफ़-ए-दुश्मन में घुसे पड़ते हैं

बनाना है हमें अब अपने हाथों अपनी क़िस्मत को
हमें अपने वतन का आप बेड़ा पार करना है

दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से प्यारा है

भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ

क्या करिश्मा है मिरे जज़्बा-ए-आज़ादी का
थी जो दीवार कभी अब है वो दर की सूरत

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