280+ Yaad Shayari in Hindi | तेरी याद शायरी 2025

Yaad Shayari

कभी-कभी कोई बात नहीं होती, बस किसी की याद दिल को घेर लेती है। यादें न दिखती हैं, न छूई जाती हैं, लेकिन महसूस हर लम्हा होती हैं। Yaad Shayari In Hindi इन्हीं अनकही भावनाओं को खूबसूरत अल्फ़ाज़ों में बयां करती है। जब दिल भर आता है और किसी अपने की कमी सताती है, तो ये शायरियां उन जज़्बातों को आवाज़ देती हैं। इस लेख में पढ़िए यादों से भरी शायरियों का वो संग्रह जो आपके दिल की हालत को सच्चे शब्दों में ढालता है। शायद पढ़ते-पढ़ते आप भी किसी को याद कर बैठें।

Yaad Shayari in Hindi

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

Yaad Shayari in Hindi
Yaad Shayari in Hindi

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है

याद-ए-माज़ी ‘अज़ाब है या-रब
छीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है

दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया

आप के बा’द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया

नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया

तेरी याद शायरी

तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है

वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था

ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं

तेरी याद शायरी
तेरी याद शायरी

वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं

तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया

याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है

इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम

उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल

कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा

याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं

अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया

”आप की याद आती रही रात भर”
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

याद उस की इतनी ख़ूब नहीं ‘मीर’ बाज़ आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा

अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है
जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

कोई वीरानी सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया

वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो

चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है

जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो

तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए

ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं

वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ
हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई

किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते

थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

खूबसूरत यादें शायरी

जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे

अभी सहीफ़ा-ए-जाँ पर रक़म भी क्या होगा
अभी तो याद भी बे-साख़्ता नहीं आई

कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
ये काम है तो बहुत मुझ से काम उस ने लिया

खूबसूरत यादें शायरी
खूबसूरत यादें शायरी

जाते हुए कमरे की किसी चीज़ को छू दे
मैं याद करूँगा कि तिरे हाथ लगे थे

ख़बर देती है याद करता है कोई
जो बाँधा है हिचकी ने तार आते आते

रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम

किसी की याद से दिल का अंधेरा और बढ़ता है
ये घर मेरे सुलगने से मुनव्वर हो नहीं सकता

यादों ने उसे तोड़ दिया मार के पत्थर
आईने की ख़ंदक़ में जो परछाईं पड़ी थी

एक हँसती हुई बदली देखी
एक जलता हुआ घर याद आया

बसी है सूखे गुलाबों की बात साँसों में
कोई ख़याल किसी याद के हिसार में है

याद न आने का व’अदा कर के
वो तो पहले से सिवा याद आया

ये सच है कि औरों ही को तुम याद करोगे
मेरे दिल-ए-नाशाद को कब शाद करोगे

न हालत मेरी कुछ कहना न मतलब नामा-बर कहना
जो मुमकिन हो तो ये कहना तुम्हारी याद आती है

तुम्हारी याद मेरा दिल ये दोनों चलते पुर्ज़े हैं
जो इन में से कोई मिटता मुझे पहले मिटा जाता

तेरे ख़याल में कभी इस तरह खो गए
तेरा ख़याल भी हमें अक्सर नहीं रहा

सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा
फिर वो ढूँडेगा हमें और नहीं पाएगा वो

यादें शायरी इन हिंदी

फिर गई इक और ही दुनिया नज़र के सामने
बैठे बैठे क्या बताऊँ क्या मुझे याद आ गया

हर एक सम्त तिरी याद का धुँदलका है
तिरे ख़याल का सूरज उतर गया मुझ में

याद रखने की ये बातें हैं बजा है सच है
आप भूले न हमें आप को हम भूल गए

यादें शायरी इन हिंदी
यादें शायरी इन हिंदी

तआक़ुब में है मेरे याद किस की
मैं किस को भूल जाना चाहता हूँ

नए सिरे से जल उट्ठी है फिर पुरानी आग
अजीब लुत्फ़ तुझे भूलने में आया है

तमाम रात वो पहलू को गर्म करता रहा
किसी की याद का नश्शा शराब जैसा था

हम फ़रामोश की फ़रामोशी
और तुम याद उम्र भर भूले

गो फ़रामोशी की तकमील हुआ चाहती है
फिर भी कह दो कि हमें याद वो आया न करे

एक तुम्हारी याद ने लाख दिए जलाए हैं
आमद-ए-शब के क़ब्ल भी ख़त्म-ए-सहर के बाद भी

ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे
जिस को पाना नहीं क्या याद किया जाए उसे

दिन के शोर में शामिल शायद कोई तुम्हारी बात भी हो
आवाज़ों के उलझे धागे सुलझाएँगे शाम को

ऐ मुज़फ़्फ़र किस लिए भोपाल याद आने लगा
क्या समझते थे कि दिल्ली में न होगा आसमाँ

लोग नाज़ुक थे और एहसास के वीराने तक
वो गुज़रते हुए आँखों की जलन से आए

उन को भूले ज़माना होता है
अश्क आँखों में फिर भी भर आए

तिरी याद में थी वो बे-ख़ुदी कि न फ़िक्र-ए-नामा-बरी रही
मिरी वो निगारिश-ए-शौक़ भी कहीं ताक़ ही पे धरी रही

फिर किसी की बज़्म का आया ख़याल
फिर धुआँ उट्ठा दिल-ए-नाकाम से

कई तो मिट गए कितने खँडर बने हुए हैं
मकान अपने मकीनों की सोगवारी में

चौदहवीं का चाँद फूलों की महक ठंडी हवा
रात उस काफ़िर अदा की ऐसी याद आई कि बस

मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा
लोग हैं और भी इस याद पुरानी में कहीं

Miss You Yaad Shayari

उफ़ुक़ पे यादों के ज़र्द आँचल में लिपटा सूरज
और उस पे शामों के साथ ढलती ‘अजीब सी चुप

तुम्हारी याद के साए भी कुछ सिमट से गए
ग़मों की धूप तो बाहर थी अक्स अंदर था

तू भी रह रह के मुझ को याद करे
मेरा भी दिल तिरी पनाह में है

तिरा ख़याल दे गया है आसरा कहीं कहीं
तिरा फ़िराक़ हौसले बढ़ा गया कभी कभी

याद मत रखियो ये रूदाद हमारी हरगिज़
हम थे वो ताज-महल ‘जौन’ जो ढाए भी गए

याद-ए-अय्याम कि इक महफ़िल-ए-जाँ थी कि जहाँ
हाथ खींचे भी गए और मिलाए भी गए

आज तक याद है कैफ़िय्यत-ए-जाँ तेरे हुज़ूर
सर से पा तक वो मिरा दस्त-ए-दुआ’ हो जाना

लीजिए सुनिए अब अफ़्साना-ए-फ़ुर्क़त मुझ से
आप ने याद दिलाया तो मुझे याद आया

नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक
मुझ को अपना घर बहुत याद आ रहा है

घर से बाहर नहीं निकला जाता
रौशनी याद दिलाती है तिरी

You can also read Miss You Shayari in Hindi

कहीं ये तर्क-ए-मोहब्बत की इब्तिदा तो नहीं
वो मुझ को याद कभी इस क़दर नहीं आए

फिर किसी की याद ने तड़पा दिया
फिर कलेजा थाम कर हम रह गए

अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
वो बार बार याद जो आएँ तो क्या करें

Intezaar Miss You Yaad Shayari

कोई यादों से जोड़ ले हम को
हम भी इक टूटता सा रिश्ता हैं

यादों की महफ़िल में खो कर
दिल अपना तन्हा तन्हा है

सारी दुनिया के ख़यालात थे दिल में लेकिन
जब से है याद तिरी कुछ भी नहीं याद मुझे

ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ
बे-ख़ुदी में भी मुझे याद तिरी याद की है

मिरा ख़याल नहीं है तो और क्या होगा
गुज़र गया तिरे माथे से जो शिकन की तरह

तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं
हमारी सोचो हमें हिचकियाँ नहीं आतीं

याद भी तेरी मिट गई दिल से
और क्या रह गया है होने को

शाम-ए-हिज्राँ भी इक क़यामत थी
आप आए तो मुझ को याद आया

याद और उन की याद की अल्लाह-रे मह्वियत
जैसे तमाम उम्र की फ़ुर्सत ख़रीद ली

वो इक दिन जाने किस को याद कर के
मिरे सीने से लग के रो पड़ा था

तुझे कुछ उस की ख़बर भी है भूलने वाले
किसी को याद तेरी बार बार आई है

‘साजिद’ तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर
मुमकिन है कोई याद पुरानी निकल पड़े

नींद से उठ कर वो कहना याद है
तुम को क्या सूझी ये आधी रात को

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
वस्ल की शब न सही हिज्र का हंगाम तो है

यक-ब-यक नाम ले उठा मेरा
जी में क्या उस के आ गया होगा

याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में
मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई

याद का ज़ख़्म भी हम तुझ को नहीं दे सकते
देख किस आलम-ए-ग़ुर्बत में मिले हैं तुझ से

तमाम यादें महक रही हैं हर एक ग़ुंचा खिला हुआ है
ज़माना बीता मगर गुमाँ है कि आज ही वो जुदा हुआ है

‘अजमल’-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
क्या जाने क्या करेंगे अगर याद आ गया

कहानी अपनी अपनी अहल-ए-महफ़िल जब सुनाते हैं
मुझे भी याद इक भूला हुआ अफ़्साना आता है

Yaad Shayari Hindi

मैं किनारे पे खड़ा हूँ तो कोई बात नहीं
बहता रहता है तिरी याद का दरिया मुझ में

किस तरफ़ आए किधर भूल पड़े ख़ैर तो है
आज क्या था जो तुम्हें याद हमारी आई

Yaad Shayari Hindi
Yaad Shayari Hindi

यूँ रात गए किस को सदा देते हैं अक्सर
वो कौन हमारा था जो वापस नहीं आया

वो मिल न सके याद तो है उन की सलामत
इस याद से भी हम ने बहुत काम लिया है

आज कुछ रंग दिगर है मिरे घर का ‘ख़ालिद’
सोचता हूँ ये तिरी याद है या ख़ुद तू है

अब भी आती है तिरी याद प इस कर्ब के साथ
टूटती नींद में जैसे कोई सपना देखा

ये किस की याद की बारिश में भीगता है बदन
ये कैसा फूल सर-ए-शाख़-ए-जाँ खिला हुआ है

जी न सकूँ मैं जिस के बग़ैर
अक्सर याद न आया वो

जिस तरफ़ जाएँ जहाँ जाएँ भरी दुनिया में
रास्ता रोके तिरी याद खड़ी होती है

तुम्हारी याद निकलती नहीं मिरे दिल से
नशा छलकता नहीं है शराब से बाहर

मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
ख़ुदा बख़्शे निहायत बा-वफ़ा था

मिरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे
ये सोचता हुआ गिरजा बुला रहा है मुझे

चमक रहे थे अंधेरे में सोच के जुगनू
मैं अपनी याद के ख़ेमे में सो नहीं पाया

नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
वतन में रात सही रौशनी मनाया कर

यूँ गुज़रता है तिरी याद की वादी में ख़याल
ख़ारज़ारों में कोई बरहना-पा हो जैसे

मंज़र था राख और तबीअत उदास थी
हर-चंद तेरी याद मिरे आस पास थी

ऐ आरज़ू के धुँदले ख़राबो जवाब दो
फिर किस की याद आई थी मुझ को पुकारने

किसी जानिब से कोई मह-जबीं आने ही वाला है
मुझे याद आ रही है आज मथुरा और काशी की

ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
आज आई तिरी याद इस आहिस्ता-रवी से

याद तिरी जैसे कि सर-ए-शाम
धुँद उतर जाए पानी में

खिला रहेगा किसी याद के जज़ीरे पर
ये बाग़ मैं जिसे वीरान करने वाला हूँ

Yaad Shayari 2 Lines

तुम जो कहते हो बिगड़ कर हम न आएँगे कभी
ये भी कह दो अब न आएगी हमारी याद भी

यादों के शबिस्तान में बैठा हुआ साइल
तन्हा जो नज़र आता है तन्हा नहीं होता

रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया
तेरे जल्वों का असर याद आया

हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
दिलों को दर्द से आबाद रखना चाहते हैं

हमें याद रखना हमें याद करना
अगर कोई ताज़ा सितम याद आए

तुम जिसे याद करो फिर उसे क्या याद रहे
न ख़ुदाई की हो परवा न ख़ुदा याद रहे

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

मौसम-ए-याद यूँ उजलत में न वारे जाएँ
हम वो लम्हे हैं जो फ़ुर्सत से गुज़ारे जाएँ

आज क्या लौटते लम्हात मयस्सर आए
याद तुम अपनी इनायात से बढ़ कर आए

तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए
मैं ज़हर खा रही थी कि तुम याद गए

तुझ को भी क्यूँ याद रखा
सोच के अब पछताते हैं

मौसम-ए-गुल हमें जब याद आया
जितना ग़म भूले थे सब याद आया

इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
आ गए याद कई नाम हसीनाओं के

मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आता
कि इख़्तिताम कहाँ ख़्वाब के सफ़र का हुआ

यूँ जी बहल गया है तिरी याद से मगर
तेरा ख़याल तेरे बराबर न हो सका

Teri Yaad Shayari

दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
सीने में दाग़ है कि मिटाया न जाएगा

मैं अपने दिल से निकालूँ ख़याल किस किस का
जो तू नहीं तो कोई और याद आए मुझे

दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोई
इस ख़राबे में अब आबाद नहीं है कोई

होते ही शाम जलने लगा याद का अलाव
आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े

बिजली चमकी तो अब्र रोया
याद आ गई क्या हँसी किसी की

ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई

मुझे तो याद है अब तक वो क्या ज़माना था
तिरे जवाब का मौसम मिरे सवाल के दिन

इश्क़ जिस से हो तिरी राह तकी जाती है
हिज्र जिस से हो तुझे याद किया जाता है

हमारी रात का इक वक़्त तय है जिस में हम
तमाम बिछड़े हुओं को बुलाने लगते हैं

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