180+ Mehndi Shayari in Hindi 2025

Mehndi Shayari

मेहंदी सिर्फ रंग नहीं, बल्कि खुशियों और रिश्तों की गहराई का प्रतीक है। इसकी महक और रंग हर त्योहार, शादी और खास मौके को और भी यादगार बना देते हैं। Mehndi Shayari In Hindi इन्हीं खूबसूरत पलों और भावनाओं को अल्फ़ाज़ों में ढालती है। इस लेख में आपको मिलेंगी ऐसी शायरियां जो मेहंदी की तरह दिल को सुकून और रिश्तों में मिठास भर देती हैं। चाहे शादी का जश्न हो या कोई खास अवसर, ये शायरियां आपके जज़्बात को और भी प्यारे अंदाज़ में बयां करेंगी।

Mehndi Shayari in Hindi

मेहंदी की लकीरों में छिपा है प्यार
हर रंग में बसी है इक निखरती बहार..!!!

मेहंदी रचती है जब प्यार से
तो लकीरों में भी नज़्में उतर आती है
वो सिर्फ़ रंग नहीं होता हथेली पर
बल्कि किसी दिल की दास्ताँ कह जाती है..!!!

Mehndi Shayari in Hindi
Mehndi Shayari in Hindi

हाथों की मेहंदी कुछ यूं रंग लाई है
उसके आने की आहट सी सुनाई है
हर रेखा में बसी है बस उसी की तस्वीर
लगता है आज मोहब्बत सच हो आई है..!!!

तेरे नाम की मेहंदी लगाई है मैंने
छुपा के तुझसे हथेली दिखाई है मैंने
अब देखूं तू कैसे पहचानता है मुझे
हर लकीर में तुझी को सजाई है मैंने..!!!

मेहंदी की खुशबू से महके ये पल
सपनों में बुनती प्यार की ये कल..!!!

गुलाबी होठ ओर काली आंखें कहर ढा रही है
ए सनम तेरे हाथो की मेहंदी
इस दिल को धड़का रही है..!!

मेहंदी से रंगीनी हाथों की बात करे
हर लकीर में छुपी ख्वाबों की रात करे
संगीत की धुन पर थिरकती है ये बाहे
सपनों की दुनिया में ले जाएँ ये राहे..!!!

दुआ में आज फिर उसको कुबूल होना था
लगाकर हाथ में मेहंदी मेरे नाम की
उसको तो मेरा होना था.!!

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उन की दे दे कोई दिल निकाल के

दोनों का मिलना मुश्किल है दोनों हैं मजबूर बहुत
उस के पाँव में मेहंदी लगी है मेरे पाँव में छाले हैं

मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप को
सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए

लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है

अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में
हाथ उस का उठ के रह गया मेहंदी के बोझ से

मेहंदी ने ग़ज़ब दोनों तरफ़ आग लगा दी
तलवों में उधर और इधर दिल में लगी है

मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी
हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं

कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं अजब इस का क्या
कि मिरी ख़ाक से मेहंदी का शजर पैदा हो

हम गुनहगारों के क्या ख़ून का फीका था रंग
मेहंदी किस वास्ते हाथों पे रचाई प्यारे

Mehndi Shayari 2 Lines

मेहंदी के धोके मत रह ज़ालिम निगाह कर तू
ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा से तेरे लिपट रहा है

बीस बरस तक बाप उधड़ता है थोड़ा थोड़ा
तब सिलता है इक बेटी की शादी का जोड़ा

इसलिए ये महीना ही शामिल नहीं उम्र की जंत्री में हमारी
उसने इक दिन कहा था कि शादी है इस फरवरी में हमारी

Mehndi Shayari 2 Lines
Mehndi Shayari 2 Lines

मैं उस को देख के चुप था उसी की शादी में
मज़ा तो सारा इसी रस्म के निबाह में था

सानेहा ये होना है शादी से उसकी
इक का दिल टूटेगा, इक का घर बसेगा

अब कब तक अपनी बर्बादी हो
उनके गम से मुझे आज़ादी हो

लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है

रुक गया है वो या चल रहा है हमको सब कुछ पता चल रहा है
उसने शादी भी की है किसी से और गाँव में क्या चल रहा है

आगे चलकर जिससे शादी करनी हो
पहले दिन से झूठ नहीं कहते उससे

जिससे हुई है उसकी शादी, अच्छा है
पर मैं ज़ियादा अच्छा था उसके लिए

मेहंदी में क्यों ढूंढते हो नाम अपना
आंखों में बसी तस्वीर देख लो मेरी..!

छुपाती रही वो हाथो की मेहंदी सबसे
लगाती थी जब मेहंदी मेरे नाम की..!

नाम तेरा मेहंदी वाले हाथो में छुपा कर
कैसे मैं किसी और से वफा निभाऊं..!

जाकर बैठ गई है लड़की कोने में एक
उसका मन है उसकी शादी और कहीं हो

कहाँ रोते उसे शादी के घर में
सो इक सूनी सड़क पर आ गए हम

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उन की दे दे कोई दिल निकाल के

इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़
ये मोहब्बत है कोई शादी नहीं

अचानक हो गई शादी हमारी
मोहब्बत ने तो हम को मार डाला

तू शादी करके उसके साथ ख़ुश रहना
कहीं मरकर भी ज़िंदा सा रहूँगा मैं

ये सिंदूर, मेंहदी, नथ, महावर मुबारक हो
सितमगर तुझे अपना नया घर मुबारक हो

मौत के साथ हुई है मिरी शादी सो ‘ज़फ़र’
उम्र के आख़िरी लम्हात में दूल्हा हुआ मैं

Mehndi Shayari For Girl

तसव्वुर तजरबा तेवर तमन्ना और तन्हाई
मिलेंगे फूल सब इसमें ग़ज़ल गुलदान है यारों

कौन जाने किस तरह से हादसा ये हो गया
ख़ूब रोका दिल को फिर भी प्यार तुझसे हो गया

हम किसी से आशिक़ी करने लगे
यानी ख़ुद ही ख़ुदकुशी करने लगे

Mehndi Shayari For Girl
Mehndi Shayari For Girl

मसाइल तो बहुत से हैं मगर बस एक ही हल है
सहर से शाम तक सर मेरा है बेगम की चप्पल है

पहले थोड़ी मुश्किल होगी
आगे लेकिन मंज़िल होगी

तिरे घर वालों से बातें ज़ियादा कर लिए हैं हम
अभी से शादी करने का इरादा कर लिए हैं हम

तमाम उम्र लबों पर रहेगी उसके हँसी
वो दिल ही दिल में मगर मेरा ग़म मनाएगी

कहा जैसे ही हमने ख़ुद को सितमगर
गया वैसे ही दरिया को पी समुन्दर

उनको दूर किया जाता है जो बरसों के साथी हैं
और अनजाने लोगों की आपस में शादी होती है

जैसे तुमने वक़्त को हाथ में रोका हो
सच तो ये है तुम आँखों का धोख़ा हो

छोड़ कर के हमको यूँ तन्हा वो भी पछताई होगी
सोच कर रुस्वाई उसकी आँख भी भर आई होगी

इतना गुस्सा आता है शहजा़दी पर
कैसा होगा हाल मिरी बर्बादी पर

हुस्न की तौहीन कर दी वक़्त की बर्बादी की
तेरे ठुकराए हुओ ने किससे किससे शादी की

अब उसकी शादी का क़िस्सा न छेड़ो
बस इतना कह दो कैसी लग रही थी

सारे का सारा तो मेरा भी नहीं
और वो शख़्स बेवफ़ा भी नहीं

You can also read Shadi Shayari in Hindi

इनको भी बाहर आने से रोका गया हर पल यहाँ
लड़कों के ये आँसू भी तो ब्रज लड़कियों की तरह हैं

एक ही बात से वो ख़फ़ा हो गई
इसलिए अपनी साँसें सज़ा हो गई

तुम भी शादी करके हमको भूल गई
हम भी नाम कमाने में मसरूफ़ हुए

एक अजब सानेहा गुज़रा है मेरे माज़ी में
मेरी दिलचस्पी खत्म हो गई है शादी में

इस मोहब्बत में मेरी कुछ ऐसे बर्बादी हुई है
उसकी मेरी ही नज़र के सामने शादी हुई है

घर वालों से छुपा के हथेली पे रच डाला मेरा नाम
वाह-रे! लड़की मेहंदी का ये डिजाइन ख़ूब बनाया

मुझको जिससे इश्क़ था उसकी सगाई हो गयी
परसो शादी हो गई थी कल विदाई हो गयी

शादी में गुलाबी सी जो कुर्ती वो पहन ले
दुनिया की निगाहें तो अटक जाए उसी पे

जब तक होगा नाम मेरा इस दुनिया में
तब तक तो उसकी शादी हो जाएगी

वो शादी तो करेगी मगर एक शर्त पर
हम हिज्र में रहेंगे अगर नौकरी नहीं

कोई इशारा गर हो तो रफ़्तार ये गिरे
ज़ंजीर खींच ट्रेन को रोका जा सकता है

भाग कर ही हो सकती है शादी रचित
पागलों वाली बातें न कर समझा कर

ज़र्द होने लगी है दस्त-ए-हिना
लौट आओ शजर ख़ुदा के लिए

कहा था उसने पोशीदा है शौहर
मगर मेहंदी चढ़ी थी ख़ून जैसी

क्या जाने किस ख़ता की सज़ा दी गई हमें
रिश्ता हमारा दार पे लटका दिया गया

केवल उसका हाथ मेरी बर्बादी में
और तो कोई ऐब नहीं शहज़ादी में

उसे जाना था तो जाने दिया रोका नहीं मैंने
ज़बरदस्ती का रिश्ता अब मुझे उससे नहीं रखना

Mehndi Shayari Love

हवाई बारिशें क्या अब
तो मेहंदी पायल भी सवाल करती है
कौन होगा वो दिलदार
जिसके लिए तू भी एक श्रृंगार करती है..!

वो मेहंदी तेरे नाम की
खुशबू तेरे प्यार की
अपने आंचल से बांध ली
हर तस्वीर तेरे दीदार की..!

Mehndi Shayari Love
Mehndi Shayari Love

चुरा के मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं
बहाना ये है कि मेहंदी लगाए बैठे हैं !!

दोनों का मिलना मुश्किल है
दोनों हैं मजबूर बहुत
उस के पाँव में मेहंदी लगी है
मेरे पाँव में छाले हैं !!

पहले तो मोहब्बत की
आजमाईश होगी
बाद में उसके नाम के मेहँदी
की ख़्वाहिश होगी !!

माना की सब कुछ पा लूँगा
मैं अपनी ज़िन्दगी में
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ
मेरे न हो सके !!

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उन की दे दे कोई दिल निकाल के !!

किस्मत की लकीरें भी
आज इठलाई है
तेरे नाम की मेहँदी जो
हाथों अपर रचाई है !!

कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं
अजब इस का क्या
कि मिरी ख़ाक से
मेहंदी का शजर पैदा हो !!

दोनों का मिलना मुश्किल है
दोनों हैं मजबूर बहुत
उस के पाँव में मेहंदी लगी है
मेरे पाँव में छाले हैं !!

पहले तो मोहब्बत की
आजमाईश होगी
बाद में उसके नाम के मेहँदी
की ख़्वाहिश होगी !!

माना की सब कुछ पा लूँगा
मैं अपनी ज़िन्दगी में
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ
मेरे न हो सके !!

Mehndi Pe Shayari

मेहंदी लगाए बैठे हैं कुछ इस अदा से वो
मुट्ठी में उन की दे दे कोई दिल निकाल के !!

किस्मत की लकीरें भी
आज इठलाई है
तेरे नाम की मेहँदी जो
हाथों अपर रचाई है !!

कुश्ता-ए-रंग-ए-हिना हूँ मैं
अजब इस का क्या
कि मिरी ख़ाक से
मेहंदी का शजर पैदा हो !!

मेहंदी लगाने का जो ख्याल आया आप को
सूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए !!

शादी में लगी मेहँदी का रंग
कभी नहीं छूटता है
ऐसे मौके पर ना जाने कितने
आशिकों का दिल टूटता है !!

लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ
तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ
तो मेहंदी रंग लाती है !!

अल्लाह-रे नाज़ुकी कि
जवाब-ए-सलाम में
हाथ उस का उठ के रह गया
मेहंदी के बोझ से !!

मेहंदी ने ग़ज़ब दोनों तरफ़ आग लगा दी
तलवों में उधर और इधर दिल में लगी है !!

मेरे हाथों की लकीरों में वो नहीं
उसके हाथों की मेहँदी में मैं नहीं !!

मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी
हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं !!

लड़की के हाथों पर जब
मेहँदी रचाई जाती है
तो बहुत सारे रिश्तों की अहमियत
बताई जाती है !!

हम गुनहगारों के क्या
ख़ून का फीका था
रंग मेहंदी किस वास्ते हाथो
पे रचाई प्यारे !!

मेहंदी के धोके मत रह
ज़ालिम निगाह कर तू

कुछ और जज्बातो को
बेताब किया उसने
आज मेहंदी वाले हाथो से
आदाब किया उसने !!

खुदा ही जाने क्यूँ हाथो पे
तुम मेहँदी लगाती हो
बड़ी ही नासमझ हो फूलों पर
पत्तों के रंग चढ़ाती हो !!

क्या सूरमा भरि आंखें से आंसू
नहीं बहते क्या मेहंदी लगे हाथन
से मातम नहीं रहाता !!

उन आँखों की दो बूंदों से
सातों सागर हारे हैं
जब मेहँदी वाले हाथों ने
मंगल-सूत्र उतारे हैं !!

तेरे हाथों को चूमती हिना
से जलन है मुझे
इस बद-ज़नी में मेरा रंग इससे
गहरा हो चला है !!

ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा
से तेरे लिपट रहा है !!

ऐसे नज़रे चुरा रही थी वो
अपनी मेहँदी छुपा रही थी वो !!

तेरे हाथों की मेहँदी में मेरे
प्यार का भी रंग है
तू किसी और का हो जा पर
तेरा प्यार मेरे संग है !!

हाथों की लकीरों में उनका नाम नहीं
फिर भी हम मेहँदी से लिख लिया करते है !!

वो मेरे सामने जब आके मुस्कुराती थी
मेरी आँखों मे देख कर वो शर्मा जाती थी !!

रोज मेरे लिए सजती थी मेरी जान ऐ वफ़ा
उसके हाथो की वो मेहंदी भी रंग लाती थी !!

वो मेहंदी के हाथों में क्या
तराशेंगे नाम हमारा
जब नाम ही छुपा लिखा है
उनके हाथों में !!

बेरुखी से भरी प्यारी सी वो बाते मेरी
मैंने देखा है उसे याद बोहोत आती थी !!

माना कि सब कुछ पा लुँगा
मैं अपनी जिन्दगी में मगर वो तेरे
मेहँदी लगे हाथ मेरे ना हो सकेंगे !!

यू भी कभी तूफान से हम
लड़ झगड़ गए
हाथो की मेहंदी देख कर पर
हम बिखर गए !!

पीपल के पत्तों जैसा मत बनो
जो वक्त आने पर
सूख कर गिर जाते है
बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो !!

तेरे हाथो की हिना देख कर ये आलम है
मैंने कुछ दिन से तो खाना भी नही खाया है !!

हमको अपना बनाये बैठे हैं
सनम मेहंदी लगाए बैठे हैं !!

करतूतें तो देखियें मेहंदी की
तेरा नाम क्या लिखी शर्म
से लाल हो गई !!

मेहंदी तुम्हारे हाथ
की छूटने नही देंगे
दुनिया के सामने तुझे
झुकने नही देंगे !!

अपने हाथों की लकीरों मे
मुझको बसाले
ये मुमकिन नहीं तो मेहंदी
मे मुझको रचाले !!

वो जो सर झुकाए बैठे हैं
हमारा दिल चुराए बैठे हैं
हमने कहा हमारा दिल लौटा दो
वो बोली हम तो हाथो में मेहँदी
लगाये बैठे हैं !!

Shayari on Mehndi

मेहँदी का रंग चढ़ा ऐसे
मेरे हाथों में जैसे तेरी इश्क़
चढ़ा था मेरी सांसों में !!

हाथों की मेहंदी गालों पर
निखर कर आई हैं
तेरे लबों की लाली ने यह
महफ़िल सजाई हैं !!

मेहंदी रचाई थी मैने इन हाँथों
में जाने कब वो मेरी लकीर बन गई !!

Shayari on Mehndi
Shayari on Mehndi

मेहँदी लगा लो उसके नाम की
जो मोहब्बत हो आप की !!

कैसे भूल जाऊँ मैं उसको जो
चाहता है इस कदर
हथेली की मेहंदी में लिखा है उसने
मेरा नाम छिपाकर !!

तेरे हाथों के मेहंदी का रंग
गहरा लाल है
क्योंकि मेरे इश्क़ का चाहत
बेमिसाल है !!

इन हाथों में लिख के मेहँदी
से सजना का नाम
जिसको मैं पढ़ती हूँ सुबह शाम !!

ज़ुल्फ बिखेरे उसकी मोहब्बत
मुझे नुमाइश सी लगती है
उसके हाथों पे लगी मेहंदी मुझे
पराई सी लगती है !!

तूने जो मेहँदी वाले हाथों में
मेरे नाम लिखा है
तुम कहो या न कहो तुम्हारे दिल
का प्यार मुझे दिखा है !!

किस्मत की लकीरें भी
आज इठलाई है
तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों
पर रचाई है !!

उजली-उजली धूप की रंगत
भी फ़ीकी पड़ जाती है
आसमान के हाथों जब शाम
की मेहंदी रच जाती है !!

उसे शक है हमारी मुहब्बत पर लेकिन
गौर नहीं करती मेहँदी का रंग
कितना गहरा निखरा हैं !!

सु-र्ख़रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के
बाद रंग लाती है हिना पत्थर पे
पिस जाने के बाद !!

रातभर बेचारी मेहंदी पिसती हैं पैरों तले
क्या करू कैसे कहूँ रात कब कैसे ढले !!

काँच के पार तेरे हाथ नज़र आते हैं
काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता !!

नाम यूँ ही मेहंदी का आता है
रंग सारे पिया के होते है !!

तुम्हारे नाम की मेहंदी लगाए बैठे है
चले भी आओ हम खुद को सजाये बैठे है !!

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *