320+ Umeed Shayari In Hindi | उम्मीद टूटने पर शायरी 2025

Umeed Shayari

ज़िंदगी के हर मुश्किल मोड़ पर अगर कोई चीज हमें आगे बढ़ने की ताकत देती है, तो वो है उम्मीद। यही वो रोशनी है जो अंधेरों में भी रास्ता दिखाती है और हार मानने से रोकती है। Umeed Shayari In Hindi इसी हौसले और विश्वास को खूबसूरत शब्दों में पिरोकर आपके दिल तक पहुंचाती है। इस लेख में आपको मिलेंगी ऐसी शायरियां जो निराशा को आशा में और डर को हिम्मत में बदल देंगी। इन्हें पढ़कर आप महसूस करेंगे कि चाहे हालात जैसे भी हों, उम्मीद हमेशा नए सवेरे की ओर ले जाती है।

Umeed Shayari 2 Line

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

Umeed Shayari 2 Line
Umeed Shayari 2 Line

न कोई वा’दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ

यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

तिरे वा’दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए

शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएँगे

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो

ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है

साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का
उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ

आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला

मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ
मुझे किसी पे भी अब कोई ए’तिबार नहीं

एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बा’द तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है

ख़्वाब, उम्मीद, तमन्नाएँ, तअल्लुक़, रिश्ते
जान ले लेते हैं आख़िर ये सहारे सारे

उम्मीद टूटने पर शायरी

कहते हैं कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
वो क्या करे जिस को कोई उम्मीद नहीं हो

इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं

उम्मीद टूटने पर शायरी
उम्मीद टूटने पर शायरी

मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’
गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है

उम्मीद तो बंध जाती तस्कीन तो हो जाती
वा’दा न वफ़ा करते वा’दा तो किया होता

वो उम्मीद क्या जिस की हो इंतिहा
वो व’अदा नहीं जो वफ़ा हो गया

अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी
ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा

किस से उम्मीद करें कोई इलाज-ए-दिल की
चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला

कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र
कुछ उमीद-ए-जवाब में गुज़री

तुम कहाँ वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ
दिल के बहकाने को इक बात बना रखी है

बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की
सुना है रूह को आना है फिर बदन की तरफ़

बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने

रख न आँसू से वस्ल की उम्मीद
खारे पानी से दाल गलती नहीं

इंक़लाब-ए-सुब्ह की कुछ कम नहीं ये भी दलील
पत्थरों को दे रहे हैं आइने खुल कर जवाब

मुझ को औरों से कुछ नहीं है काम
तुझ से हर दम उमीद-वारी है

फिर मिरी आस बढ़ा कर मुझे मायूस न कर
हासिल-ए-ग़म को ख़ुदा-रा ग़म-ए-हासिल न बना

उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं
ज़रा सी देर को दुनिया से कट के देखते हैं

इसी उम्मीद पर तो जी रहे हैं हिज्र के मारे
कभी तो रुख़ से उट्ठेगी नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता

नई नस्लों के हाथों में भी ताबिंदा रहेगा
मैं मिल जाऊँगा मिट्टी में क़लम ज़िंदा रहेगा

पूरी होती हैं तसव्वुर में उमीदें क्या क्या
दिल में सब कुछ है मगर पेश-ए-नज़र कुछ भी नहीं

झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी
अब तो वो भी आसरा जाता रहा

तर्क-ए-उम्मीद बस की बात नहीं
वर्ना उम्मीद कब बर आई है

यूँ रात गए किस को सदा देते हैं अक्सर
वो कौन हमारा था जो वापस नहीं आया

आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है
सय्याद सितमगर मिरे पर खोल रहा है

क्या किसी उम्मीद पर फिर से दर-ए-दिल वा करूँ
तुझ से बढ़ कर ख़ुद बता मेरा शनासा कौन था

खेत जल-थल कर दिए सैलाब ने
मर गए अरमान सब दहक़ान के

किया दर्द-ओ-ग़म ने मुझे ना-उमीद
कि मजनूँ को ये ही थीं बीमारियाँ

कैसी रुत थी सब्ज़ उम्मीदें भी पीली पड़ गईं
अब से पहले मेरे कूचे में ख़िज़ाँ ऐसी न थी

Rishte Umeed Shayari

तसव्वुर में तेरे हम रहे या ना रहे ,
मेरी बातों में तेरा ज़िक्र हमेशा रहेगा….
मुलाक़ात की मुझे उम्मीद नहीं है,
फ़िक्र में तेरी मेरा दिल हमेशा रहेगा

एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे
वही फ़ासले बनाते गये
हम तो पास आने की
कोशिश में थे
ना जाने क्यूँ वो हमसे
दूरियाँ बढ़ाते गये।

Rishte Umeed Shayari
Rishte Umeed Shayari

मेरे चेहरे पे कफ़न ना डालो
मुझे आदत है मुस्कुराने की
मेरी लाश को ना दफ़नाओ
मुझे उम्मीद है उस के आने की।

कुछ ऐसी भी कहानी सुनो मेरी जुबानी
तुम आसान समझते हो
उम्मीदों का टूट जाना
हमसे पूछो सब कुछ
पाकर कुछ ना पाना
मुस्कुराते हुए आंसू निकल आएंगे
कभी वक्त के हाथों तमाचा खाना।

मत करो उम्मीद किसी से
हर किसी की अपनी दुनिया है…
कोई कितना भी अपना क्यों ना हों
पहले अपना ही देखता है…!!

मुझ से क्या उम्मीद रखोगे
तुम वफ़ा के सिवा…
मुझे अपनों से मिला भी क्या है
सज़ा के सिवा…!!

मैंने समझा था मुझे समझ सकोगे.
मैं गलत था तुमसे ये उम्मीद करी।

फिर से लौट आएँगे
परिंदे अपनी शाखों पे.
यही उम्मीद रहा करती है
बारिश में शज़र को।

उम्मीद अच्छी है पर
हर किसी से नहीं

उम्मीद तो नहीं तोड़ना चाहते थे हम
पर जिनसे उम्मीद
जुड़ी हुई थी वहीं न रहे तो
उम्मीद भी ना रही।

ना शिकवा…ना उम्मीद…ना मशवरा कीजिए,
अगर जाने वाले ने जाने की
ठानी है…तो जाने ही दीजिए।”

दिल जिस से लग जाए
उससे उम्मीदे मत लगाना।

यूँ फिर एक उम्मीद
पाली है हमने ….
तेरे पते पे फिर एक चिठ्ठी डाली है हमने

दिलों के बंधन में दूरियां नहीं गिनते,,
जहाँ उम्मीद हो वहाँ मजबूरियां नहीं गिनते,

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उम्र भर निभायेंगे
वो मेरा साथ कुछ ऐसा
हमें भ्रम हुआ
एक रिश्ता उम्मीद से
शुरू हो कर अफसोस पे ख़त्म हुआ।

जिसके पास उम्मीद है वो लाख
बार हारकर भी नहीं हार सकता।

इंसान को इंसान धोखा नहीं देता है
बल्कि वो उम्मीदें धोखा देती है
जो वो दूसरों से रखता है।

शर्तों में कब बांधा है तुम्हें
ये तो उम्मीदों के धागे हैं!

हो गयी थी दिल को,
कुछ उम्मीदेँ तुझसे,
खैर जो तुमने किया अच्छा किया.!

दुनियाँ में अगर कुछ छोड़ने जैसा है
तो दुनियाँ से उम्मीद करना छोड़ दो।

ना मैं गिरा और ना मेरी
उम्मीदों के मीनार गिरे
पर कुछ लोग मुझे गिराने
में कई बार गिरे..!

जिनसे उम्मीद खत्म हो जाए
उनसे फिर शिकायते कहां रहती है

जिंदगी का आधा दुख
गलत लोगो से उम्मीद रखने से
आता है, और बाकी का दुख
सच्चे लोगो पर शक करने से आता है।

उम्मीद शायरी इन हिंदी

उम्मीद न कर इस दुनिया में,
किसी से हमदर्दी की,
बड़े प्यार से जख्म देते है,
शिद्दत से चाहने वाले।

तेरे आने की उम्मीद पर
गुजारे चले गए
मुसस्ल हम तुझको पुकारे चले गए
मअसला ये नहीं कि तू गया छोड़कर
मअसला ये है कि
तेरे बाद सारे चले गए।

ढलती शाम सी ये उम्र
और तन्हा तन्हा से हम
है उम्मीदों का काफिला
और वक़्त बहुत कम।

जिंदगी आपको हर उस
मुकाम पर ज़लील करेगी,
जहा से आप अच्छे की
उम्मीद रखते हों।

मैंने ऐसे लोगो से उम्मीद लगाई थी
अपने तकलीफ की खाई खुद बनाई थी।

याद रखना दूसरों से उम्मीद रखोगे
तो हार जाओगे और उम्मीद ख़ुद से
रखोगे तो जीत जाओगे

अब उम्मीद ना कर कप्तान वो चीख के बता रहे हैं
मौत क़िस्मत है वो नहीं उनके जज़्बात बता रहे हैं।

झूठी सच्ची उम्मीदों से
कब तक यूं मन भरना होंगा
सिख लिया लो सब्र करना
पर कब तक करना होंगा…

उम्र भर का फासला, अब उम्र भर
तरसाएगा
वो रास्ता उम्मीद का, पल पल हमें
तड़पाएगा
बस इस तमन्ना में ही गुजर जाएगी
ये ज़िन्दगी भी मेरी
वो मुसाफ़िर इक न इक दिन कभी
लौटकर जरूर आएगा।

तेरे चुप रहने से
टल जाऊं ,मैं वो साइल नहीं
दामन ए उम्मीद भर,
या कह दे इस काबिल नहीं।

उम्मीद ना कर इस दुनिया मे हमदर्दी की गालिब…..
बड़े प्यार से दर्द देते है
सिद्धत से चाहने वाले……!!

सुनो …
उम्मीदो को तोड़ने वाले ..एक दिन …
शिकायतों का हक भी खो देते है …

कोई उम्मीद सी अब तक दिले बेज़ार में है
एक दरवाज़ा है दस्तक के इंतज़ार में है।

इंसान को इंसान धोखा नहीं देता,
बल्कि इंसान को उसकी
उम्मीदें धोखा दे जाती है,
जो वह दूसरों से रखता है।

ना जाने कितनी
उम्मीदें मर गईं मेरे अंदर,
अब तो मुझे अपना दिल भी
कब्रिस्तान सा लगता है…!

रूठना भी छोड़ दिया है अब मैंने,
उम्मीद नहीं कोई मनाने भी आयेगा..!!

वो शख्स किसी से, मुतमईन नहीं होता
उसकी बातों पर मुझे,यकीन नहीं होता
आपकी हर एक उम्मीद पर, खरा उतरे
इतना तो कोई भी, बेहतरीन नहीं होता।

झूठी उम्मीद दिलाते हैं बस जमाने वाले,,
बहुत खूबसूरत लोग अक्सर बेवफा होते हैं..

न मुझे मौत के अलावा
किसी से उम्मीद है,,
और न क़ब्र के सिवा
किसी को मेरा इंतज़ार..!!

काबिल नहीं थे लोग,
हमने वहां भी इकरार किया,
उम्मीद नहीं थी लौटने की,हमने वहां भी इंतजार किया …!

उसकी बेवफाई देखी तो याद आया
वो तो काबीले वफा था ही नही ।
जिससे उम्मीद थी जनाजे तक की,
मगर वो तो मर्द था ही नही ।

खारा समंदर नहीं
खारे हैं इंतजार के रंग सारे
मीठा नदिया का पानी नहीं
मीठी है उम्मीदों की धीमी सी रोशनी…!!

तुमसे कोई खास उम्मीद तो नही
बस मुझे सुकून से जीना देना

मुझ से झूठ की
उम्मीद मत रखो तुम ,
मैं आईना हूं कोई सुबह का
अखबार नही

उसने मुझसे पूछा ख्याल-ए-गलतफहमी क्या है
मैंने मुस्कुरा के कहा तुमसे उम्मीद-ए-वफ़ा रखना

जो सब करते हैं मैं
वो नहीं करूँगा,
झूठी क़समें और वादे फ़िज़ूल नहीं करूँगा,
Sourabh से वफ़ा की उम्मीद रखो तुम,
मैं इश्क़ भी आपके मुताबिक़ करूँगा।।

वो शख्स किसी से, मुतमईन नहीं होता
उसकी बातों पर मुझे,यकीन नहीं होता
आपकी हर एक उम्मीद पर, खरा उतरे
इतना तो कोई भी, बेहतरीन नहीं होता

यूँ गुमसुम रहना अच्छा लगता है
भीड़ में खोना अच्छा लगता है
न हों उम्मीदें किसी से
खुद को सुनना अच्छा लगता है
अच्छा लगता है अंधेरी मेहफ़िलों को जगमगाना
खुद में मशरूफ़ रहना अच्छा लगता है

Umeed Shayari in Hindi

उम्मीद ना कर सके
किसी से भी उम्र भर,
दुनिया ने बेरुखी के
सिवा कुछ नहीं दिया

तुम्हारी हर एक बात यार अच्छी है
मेरी जाने जाना तू गद्दार अच्छी है
जीतने का शौक हमें भी है मगर
तुमसे नही तुमसे तू हर अच्छी है
उम्मीद नहीं थी मगर तुमने कर दी
अब हमें तो ये यार मार अच्छी है

Umeed Shayari In Hindi
Umeed Shayari In Hindi

इंतजार और उम्मीद का आखिरी साल है ये..
इसके उपरांत मैं यादों में मिलूंगा हकीकत में नहीं!!

शायद उम्मीदे ही होती
है गम की वजह….
वरना ख्वाइशें रखना कोई गुनाह तो नही….!!

वो अपनी जगह ठीक है
बस हम ही जरूरत से
ज्यादा उम्मीद कर बैठे….!!

मजबूरियों के नाम पर
दामन बचा गए वो लोग
जिनके वादों में उम्मीद वफ़ा की थी।

वफा उम्मीद इश्क़ खेल हैं
सभी नज़र के बस
कोई नज़र पे मर गया
कोई नज़र से मर गया…

हर कोई जिस्म का बॅंटवारा चाहता है
कोई है नहीं जो इश्क के चाहता है
ये उम्मीद ये ख़्वाब अब किससे मांगे हम
वो खुदा भी दूसरों का सहारा चाहता हैं।

कटि हुई पेड़ की डालियां कहा छाव देती है ,…।
हद से ज्यादा उम्मीद हमेशा गहरा घाव देती हैं …।

ना उम्मीद लौट आई एक फरियाद ,
लोगो ने कहा कि यंहा दुआ कि भी किमत होती है ।

वो शख्स किसी से, मुतमईन नहीं होता
उसकी बातों पर मुझे,यकीन नहीं होता
आपकी हर एक उम्मीद पर, खरा उतरे
इतना तो कोई भी, बेहतरीन नहीं होता

हालात कह रहे है
अब वो याद नही करेंगे
ओर उम्मीद कह रही है
थोड़ा और इंतजार कर।

ना रख वफ़ा ए उम्मीद किसी परिदे से ,
जब पर निकल आते है तो
अपना ही आशियाना भूल जाते है!!

तुम्हारी उम्मीद से
ज्यादा टूटा हुआ हूँ मैं
तुम्हें लगता है झूठा हूँ मैं___!!

परिंदो से उम्मीदें वफ़ा की तलाश मत करना।
जब पर हों जाते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं।।

मोहब्बत छोड़ दी इस उम्मीद में की गम न मिलेंगे ,
रातों को ये आंख नम नही मिलेंगे ,
हम दोनो को
हम जैसे तो बहुत मिलेंगे ,
लेकिन हम दोनो नही मिलेंगे..!!

ज्यादा उम्मीद मत रखना किसी से
क्योंकि जितना ज्यादा लगाव होता है
उतना गहरा घाव होता है…!!

अकेले रहने का मज़ा ही अलग है
ना किसी की ज़रूरत ना किसी से उम्मीद…!!

शायद उम्मीदें ही
होती है गम की वजह
वरना ख्वाहिशें रखना कोई गुनाह तो नहीं…

उम्मीदें टूट गई हमारी इंतजार में
क्या हासिल कर लिया प्यार में
जैसा तुझ में देखा है ना मेरी जान
ऐसा देखा नहीं किसी और यार मैं।

मै साफ कहती हु मै बदल जाऊंगी ,
हमसे तुम उम्मीद ना लगाना कोई…!!

इस अजनबी दुनिया में
उम्मीदों का सहारा लेकर
हम तुम्हे फिर से चाहेंगे एक उम्र दुबारा लेकर

अब किसी से क्यूँ वफ़ा की
उम्मीद ही की जाए.
इश्क की सारी किताबों को
आग लगा दी जाए।

इस दौर में की थी
जिस से वफ़ा की उम्मीद
आखिर को उसी के हाथ का
पत्थर लगा मुझे…

Expectation Shayari in Hindi

आज थोड़ा मुस्किल है,
लेकिन कल,
थोड़ा बेहतर जरूर होगा…!
बस उम्मीद मत छोड़ना मेरे दोस्त
तेरा भविष्य एक दिन
जरूर बेहतर होगा….!!

वक्त ही नहीं मिलता दु:खी होने का
क्यूँकी उम्मीद ही नहीं करता मैं ज्यादा खुशी की

Expectation Shayari in Hindi
Expectation Shayari in Hindi

तुम्हारे माथे पर सजाया गया सिंदूर……!!
मेरी उम्मीद खत्म कर सकता है, प्रेम नहीं…..!!

ख़ुदा करे कि उम्मीदों के
हाथ पीले हों
अभी तलक तो गुज़ारी है इवादतो की तरह।

इसी उम्मीद में अपना बदन छलनी कर दिया
कि एक दिन पत्थर खाते खाते पेड़ फलना सीख जाएगा
ये दिल मेरा बच्चे की सूरत है, इसे रहने दो सीने में
बुरा होगा जो ये घर से बाहर निकलना सीख जाएगा…

जहां उम्मीद होती है वही ही
जिंदगी जीने की ख्वाहिश होती है..!!

उम्मीद ही ख्वाहिशों का
एक परिंदा है जो इस जीता है
वही इंसान इस जमाने में जिंदा है..!!!

हद से ज्यादा उम्मीद भी
मनुष्य को कमजोर करती है
इसीलिए अपनो की नजर में गिराती है..!!!

जिसने भी अपने जीवन में उम्मीद को बनाए रखा है
उसने ही गमों को अपनी जिंदगी से दूर रखा है..!!!

यदि विश्वास और उम्मीद आपके साथ है
तो यकीन मानिए रब हमेशा आपके पास है..!!

उनसे क्या उम्मीद रखे जनाब
जो बात करना पसंद नहीं करते..!!

ऐ मुसाफिर उम्मीद क्यो
किसी से इतनी तू करता है
क्या तुझे अपने कंधों
पर भरोसा नही रहता है.!!

मुझे हर एक लम्हे
में तेरी कमी खलती है
तेरी यादों में तेरे जज्बातो
की उम्मीद होती है..!

खुद की खुशी के लिए दूसरो से लगाई गई
हमारी बेवजह की उम्मीद
ही हमें गम देती है.!

उम्मीदो को समेटकर
तेरी राहो में बैठी हूं
तुझसे नफरत करके
भी तेरी चाह में बैठी हूं..!

Ummid Shayari in Hindi

एक अरसा हुआ है
मुझको तेरे सपने संजोये
उम्मीद है कि टूटने
का नाम ही नही लेती..!

ज़िन्दगी वही है जो हमने आज जी ली
कल जो जिएंगे वो उम्मीद होगी !!

उम्मीद का दामन छोड़कर
जिंदगी से हताश हो गई
खुद को रब के हवाले करके
जिंदगानी-ऐ-लाश हो गई..!

कुछ लोगों की खुशी को देख
उम्मीद के परिंदे दब जाया करते है
फड़फड़ाते है पंख बंद पिंजरे में फिर
निराशा से अपने पल गुजारा करते है..!

अब वफा की उम्मीद भी
किस से करे भला
मिटटी के बने लोग कागजो
मे बिक जाते है !!

चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूँ
मैं किसान हूँ चैन से कहाँ सोता हूँ !!

नजर में शोखियां लब पर
मोहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की ज़िद्द में अभी
सारा ज़माना है !!

यूँ तो हर शाम उमीदों में
गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो
शाम पे रोना आया !!

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी
बहल सको तो चलो !!

मुद्दतें बीत गयी आज पर
यार-ए-ज़िद्द ना गयी
बंद कर दिए गए दरवाजे
मगर उम्मीद ना गयी !!

ज़्यादा उम्मीद मत लगा
इंसान ही तो है
थोड़ा फासला भी रख
दुनिया ही तो है !!

तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते है
है सनम हम तो सिर्फ
तुमसे प्यार करते है !!

उलझनों और कश्मकश में
उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं
ए जिंदगी तेरी हर चाल के
लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं !

आधे दुखः गलत लोगों से
उम्मीद रखने से होते है
और बाकी आधे सच्चे लोगों
पर शक करने से होते है !!

तेरे जहान में ऐसा नहीं
कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी
वहाँ नहीं मिलता !!

Expectation Umeed Shayari in Hindi

ना पूछना कैसे गुज़रता है
पल भी तेरे बिना
कभी देखने की हसरत में
कभी मिलने की उम्मीद में !

करते नहीं वफ़ा आज कल लोग
इश्क़ में भी साहिब
तो भला उम्मीद अपने पन की रखना
किसी से कहा की समझदारी है !!

खुद से उम्मीद रखना बेहतर है मग़र
अपनों से ना उम्मीदी अच्छी नही !!

जिस्म का आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है मगर
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ !!

बहुत चमक है उन आँखों में अब भी
इंतज़ार नहीं बुझा पाया है उम्मीद की !!

दीवानगी हो अक़्ल हो
उम्मीद हो कि आस
अपना वही है वक़्त पे
जो काम आ गया !!

इतना भी मत रुठ मुझसे
कि तुझे मनाने की उम्मीद
ही खत्म हो जाए !!

कहने को लफ्ज दो हैं
उम्मीद और हसरत
लेकिन निहाँ इसी में
दुनिया की दास्ताँ है !!

हौसले के तरकश में
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो
हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ
मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो!!

कटी हुई टहनियां भी
कहा छाव देती है
हद से ज्यादा उम्मीदें भी
हमेशा घाव देती है !!

लोगों से उम्मीद इंसानो वाली
रखे फरिश्तों वाली नही !!

Dard Umeed Shayari

दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी है
ऐ दोस्तों कही पढ़ लिया था कि सच्ची
मोहब्बत लौटकर आती है !!

मैंने इस बहाने बोई नहीं
दिल में उम्मीदें
की कौन जंगल में उगे
पेड़ो को पानी देगा !!

Dard Umeed Shayari
Dard Umeed Shayari

लो आज हम ने तोड़ दिया रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी किसी से गिला न करेंगे हम !!

उम्मीद अगर जीत की रखोगे तो
जरूर जीत जाओगे !!

यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया !!

उन लोगों की उम्मीदों को
कभी टूटने ना दे
जिनकी आखरी उम्मीद
सिर्फ आप ही है !!

अगर जिंदगी में सफल
होना चाहते हो तो दूसरो से
ज्यादा खुद से उम्मीद लगा लेना !!

उम्मीद तो मनै तेरे तै
ब्होत घणी थी
पर तनै मेरी उम्मीद
एक भी ना छोडी !!

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे !!

उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है
अगर हौसला है तो हर मौज में किनारा है !!

मुझे इंतज़ार करना बहुत पसंद है
क्योंकि ये वक़्त उम्मीद
से भरा होता है !!

बैठें तो किस उम्मीद
पर बैठे रहें यहाँ
उठें तो उठ के जायें कहाँ
तेरे दर से हम !!

लो आज हमने तोड़ दिया
रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी गिला न
करेंगे किसी से हम !!

पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ
क्योंकि मैं खुद के सिवा किसी से
कोई उम्मीद नहीं रखता !!

खुशी दे या गम दे मगर देते रहा कर
तू उम्मीद है मेरी तेरी हर
चीज़ अच्छी लगती है !!

इस उम्मीद पे रोज़ चिराग़ जलाते हैं
आने वाले बरसों बाद भी आते हैं !!

बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफ़ी है यक़ीं कुछ कम है !!

आज भी इस उम्मीद से सिगरेट पीते हैं यारों
कभी तो जलेगी सीने में रखी तस्वीर उसकी !!

हमारा जीने का तरीका थोड़ा अलग हैं
हम उम्मीद पर नहीं अपनी जिद पर जीते हैं !

उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ
किसी से हमदर्दी की
बड़े प्यार से जख्म देते हैँ
शिद्दत से चाहने वाले !!

मुझसे झूठ की कोई उम्मीद ना करो तुम
मैं आइना हूं सुबह का अख़बार नहीं !!

मिलने की उम्मीद तो नहीं है तुमसे
लेकिन कैसे कह दूँ इंतजार नहीं !!

राहत बेसबब रूठ जाती है
क्यूँ हर तरफ उम्मीद टूट जाती है !!

प्यार तो जी भर कर करो बस उम्मीद
मत रखना क्योंकि तकलीफ
मोहब्बत नहीं उम्मीदें देती है !!

कहने को तो क़ायम है उम्मीद पर ये दुनिया
अगर हो ख़ुशी अज़ीज़ कोई उम्मीद ना लगाना !!

तकलीफ खुद की कम हो गई
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई !!

यही बहुत है कि तुमने
पलट के देख लिया
ये लुत्फ़ भी मेरी उम्मीद
से कुछ ज्यादा है !!

आरज़ू हसरत उम्मीद शिकायत आँसू
इक तेरा ज़िक्र था और
बीच में क्या क्या निकला !!

Zindagi Umeed Shayari

इज्जत इतनी महंगी चीज है साहब
इसकी उम्मीद घटिया लोगों
से बिल्कुल भी ना करें !!

तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल
फ़रेब खाए कोई ऐसा कर
बहाना मेरी आस टूट जाए !!

Zindagi Umeed Shayari
Zindagi Umeed Shayari

हम किसी शख्स से तब तक लड़ते हैं
जब तक उससे प्यार की उम्मीद होती है
जिस दिन वो उम्मीद ख़तम हो जाती है
उस दिन लड़ना भी खत्म हो जाता है !

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है !!

खुश रहने का एक सीधा मंत्र यह है
की उम्मीद अपने आप से रखो
किसी और से नहीं !!

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा !!

काश तुम भी कभी जोर से
गले लगा कर कहो
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूं !!=

उम्मीद से बढ़कर निकली तू
पगली सोचा था
दिल तोड़ेगी पर तूने तो मुझे ही
तोड़ कर रख दिया !!

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी ने तो धोके पे दिया है धोका !

दुनिया में धोखा आम बात है।
अब सूरज को ही देख लो
आता है किरण के साथ
रहता है रोशनी के साथ
और जाता है संध्या के साथ !!

हो सके तो सबसे उम्मीद ना लगाना
खुद पर कर विश्वास
अपनी ज़िन्दगी को रंगों से सजाना !!

पुराने ज़ख्मो को ताज़ा ना किया करो
एक उम्मीद के साथ ज़िन्दगी जीया करो !!

हद से ज्यादा प्यार तुम से है
मेरी हर उम्मीद तुम से है
मेरी जिन्दगी मे तुम ही तुम हो
मेरी हर सांस का रिश्ता बस तुम से है !!

एक उम्मीद बार बार आकर अपने टुकड़े
तलाश करती है
बूढ़ी पगडँडी शहर तक आकर अपने
बेटे तलाश करती है !!

सच्चा यार न मिला
दिल से चाहे हमें वो प्यार न मिला
लूटा दिया उसके लिए सब कुछ मैने
मुसीबत में मुझे मददग़ार न मिला

अब ये न पूछना की
ये अल्फ़ाज़ कहाँ सेलाता हूँ
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के
कुछ अपनी सुनाता हूँ !!

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