220+ Safar Shayari in Hindi | यादों का सफर शायरी 2025
ज़िंदगी अपने आप में एक लंबा सफर है, जहां रास्ते बदलते रहते हैं और हर मोड़ पर नए अनुभव मिलते हैं। कभी यह सफर आसान होता है तो कभी मुश्किल, लेकिन हर कदम हमें कुछ नया सिखाता है। Safar Shayari In Hindi इन्हीं अहसासों को खूबसूरत शब्दों में ढालती है, जो दिल को छू जाते हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगे ऐसी शायरियां जो सफर के अलग-अलग रंगों और लम्हों को बयां करती हैं। ये शायरियां आपको अपने जीवन और रिश्तों के सफर से जोड़कर एक नया नजरिया देंगी।
Safar Shayari in Hindi
जिनकी खुशी के लिए मैं हर गम सहती गई
उसने ही दिल तोड़ कर मुझे अकेला कर दिया..!!!
आओ दोस्तों जिंदगी को एक नया अनुभव लेते है
जमाने की भीड़ में चलो दोस्तो सफर करते है..!!

मंजिलें इस इंसान को मिलती है
जो अपने सफ़र की शुरुआत
उम्मीद और विश्वास करते है..!!!
ये यारो जब भी सफर करो दिल से करो
सफर से खूबसूरत कोई यादें नही होती
अच्छी यादों से बेहतर कोई जिंदगी नही होती..!!
हिम्मत और जिद्द
देख में कितनी रखता हूं
कठिन परिस्थितियो में
भी मैं सफर करता हूं.!!
सफर करके ही जीवन में
तनाव को कम करते है
यही मन और दिल को सुकून देते है.!!
जिंदगी की तरह ये
वादियां भी कितनी
हसीन है आसमान नीला
और जमीन रंगीन है..!
पांव जमीन पर थे आसमान
नजर में रहा निकला था
मंजिल के लिए लेकिन
उम्र भर सफ़र में रहा..!
ऐ मुसाफिर यू झूठी आस ना कर
तू इतनी शिद्दत से फरियाद ना कर..!
कोई कहता है मैं कातिल हूं
कोई कहता मैं काफिर हूं
वक्त की नजरों मे से मुसाफिर हूं
बस जिंदगी मैं खुद के काबिल हूं,.!
जिंदगी एक ऐसा सफर है
जिसमें रुकावटें भी है और संघर्ष भी
खुशियां भी हैं और गम भी..!
हर मंजिल की एक पहचान होती है
और हर सफ़र की एक कहानी !
सफर शायरी दो लाइन
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर
सफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
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सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं
हर एक मोड़ पे कुछ लोग छूट जाते हैं
एक सफ़र वो है जिस में
पाँव नहीं दिल थकता है
Safar Shayari on Travel
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
जब से चले हैं घर से मुसलसल सफ़र में हैं
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है

सफ़र है शर्त मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरे
हज़ार-हा शजर-ए-साया-दार राह में है
सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं
न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने
आए ठहरे और रवाना हो गए
ज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है
गो आबले हैं पाँव में फिर भी ऐ रहरवो
मंज़िल की जुस्तुजू है तो जारी रहे सफ़र
नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल
सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है
तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश
हज़ार तरह के क़िस्से सफ़र में होते हैं
चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ
सफ़र अधूरा रहा आसमान ख़त्म हुआ
अभी सफ़र में कोई मोड़ ही नहीं आया
निकल गया है ये चुप-चाप दास्तान से कौन
मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है
ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ
मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
मिरे सफ़र से अलग हो गई रवानी मिरी
Safar Shayari Hindi
कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूँ
ये बात याद रखेंगे तलाशने वाले
जो उस सफ़र पे गए लौट कर नहीं आए

मैं सफ़र में हूँ मगर सम्त-ए-सफ़र कोई नहीं
क्या मैं ख़ुद अपना ही नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हूँ क्या हूँ
वो लुत्फ़ उठाएगा सफ़र का
आप-अपने में जो सफ़र करेगा
रह-ए-तलब में किसे आरज़ू-ए-मंज़िल है
शुऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है
अपनी सी ख़ाक उड़ा के बैठ रहे
अपना सा क़ाफ़िला बनाते हुए
मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला
जो तुम में कुछ ज़ियादा है सफ़र करो सफ़र करो
अभी से शिकवा-ए-पस्त-ओ-बुलंद हम-सफ़रो
अभी तो राह बहुत साफ़ है अभी क्या है
राह आसाँ देख कर सब ख़ुश थे फिर मैं ने कहा
सोच लीजे एक अंदाज़-ए-नज़र मेरा भी है
फिर तुझे और मुझे और कहीं जाना है
हम-सफ़र साथ तो चल जितनी सड़क बाक़ी है
न रंज-ए-हिजरत था और न शौक़-ए-सफ़र था दिल में
सब अपने अपने गुनाह का बोझ ढो रहे थे
इधर वो सहरा में ख़ाक धुनता उधर वो दरिया किनारे गुमसुम
अजीब होते हैं ये त’अल्लुक़ मुसाफ़िरों के मुसाफ़िरों से
मैं अपनी अंगुश्त काटता था कि बीच में नींद आ न जाए
अगरचे सब ख़्वाब का सफ़र था मगर हक़ीक़त में आ बसा हूँ
रस्ता भी हमी लोग थे राही भी हमीं थे
और अपनी मसाफ़त की गवाही भी हमीं थे
कभी तमाम तो कर बद-गुमानियों का सफ़र
किसी बहाने किसी रोज़ आज़मा तो सही
जब यहाँ रहने के सब अस्बाब यकजा कर लिए
तब खुला मुझ पर कि मैं दुनिया का बाशिंदा न था
फ़िक्र-ए-मंज़िल है न होश-ए-जादा-ए-मंज़िल मुझे
जा रहा हूँ जिस तरफ़ ले जा रहा है दिल मुझे
‘ख़ुमार’ ऐसे सफ़र में आँख छिन जाती तो अच्छा था
कहीं शाख़ों का सौदा और कहीं देखा शजर लुटता
सफ़र में तन्हा क़दम उठाना मुश्किल है
साथ तुम्हारे कभी न थकने वाला मैं
‘बेदी’ मरीज़ दिल का हूँ और दर्द का सफ़ीर
मर जाऊँगा न उस ने अगर देख-भाल की
गुज़र कर दश्त से ‘सालिम’ जुनूँ के
सफ़र की आबरू हो जाऊँगा मैं
मैं हार जाता हूँ उन दो उदास आँखों से
मुझे सफ़र का इरादा बदलना पड़ता है
Travel Shayari in Hindi
मशहूर हो जाते हैं वो
जिनकी हस्ती बदनाम होती है
कट जाती है जिंदगी सफ़र में अक्सर
जिनकी मंजिलें गुमनाम होती हैं!
ज़िन्दगी के सफर में सफर करते
रहना ज़िन्दगी को संवार देता है।

मेरी हर मंजिल एक नए सफ़र का आग़ाज़ होती है!
सैर कर दुनीया की गालिब जिन्दगानी फिर कहा
जिन्दगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहा!
ये जहान जहाँ तक भी फैला हुआ है मैं वहां तक
जाकर अपने हाथों को फैलाना चाहता हूँ।
ना मंजिलों के लिएए ना ही रास्तों के लिए
मेरा ये सफर है एखुद से खुद की पहचान के लिए!
मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा!
हर मुसाफिर यहाँ मंज़िल का
इंतज़ार नहीं कर रहा
खुश होने के लिए कुछ सफर का
मज़ा भी जी भर कर ले रहे हैं।
कुछ सपने पूरे करने हैं
कुछ मंजिलों से मिलना है
अभी सफर शुरू हुआ है
मुझे बहुत दूर तक चलना है!
सफर में संभल कर चलने वाले काफी मिल
जाएंगे मैं तो इन सड़कों पर दौड़ना चाहता हूँ।
समुंदर की लहरें वो ताज़ी हवाएँ
रेत की नमी वो पेड़ वो ज़मीन
सब मुझे अपने घर बुला रहे है!
एक सफ़र वो है जिस में
पाँव नहीं दिल दुखता है!
इंसान के यात्रा करने के जुनून ने ही उसे चांद तक पहुंचा दिया।
हम जितनी दुनिया देखते जाते हैं
हमारे नज़रिए का दायरा उतना ही बढ़ता जाता है!
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई!
किसी को मंज़िल की भूख है तो किसी को पैसों की
प्यास है पर सच कहूँ तो मेरे लिए ये सफर ही ख़ास है।
किसी जगह के बारे में ज़िन्दगी भर सुनने से
अच्छा है कि एक बार उसे जाकर खुद देख लो!
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!
बहुत देखे ये खराब दुनिया वाले
अब मुझे ये खूबसूरत दुनिया देखनी है।
सफर की कठिनाइयां मंज़िल की खूबसूरती बयां करती हैं!
मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया!
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!
कहीं जाना चाहते हैं तो आज चले जाए क्यूंकि
किसी ने सच ही कहा है क्या पता कल हो ना हो।
निर्वाण हमें यूँ ही नहीं मिलता
हमें उस तक का सफर तय करना होता है!
पहाड़ों के बीच ऐशो.आराम की चीज़ें तो नहीं मिलती
मगर आराम और चैन ज़रूर मिल जाता है।
घूमना है मुझे ये सारा जहां तुम्हे अपने साथ लेके
बनानी हैं बहुत सी यादें हाथों में तुम्हारा हाथ लेके!
मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में
रखना तू सबरए मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन
बस जारी रखना तू सफ़र!
एक सफ़र पे यूँ ही कभी चल दो तुम
जो दुरी खुद से हैए उसे खत्म करने के लिए!
ज़िन्दगी एक सफर है यहाँ घूमना फिरना ज़रूरी है।
उठ के ऊपर अपनी आदतों से
शुरू करो एक नया सफ़रनामा!
सफर शायरी दो लाइन Attitude
रहेंगे दर्द जिंदगी में
तो ख़ुशी का इंतजाम क्या होगा
निकल पड़े हैं जो बदलने खुद को
न जाने इस सफ़र का अंजाम क्या होगा!
सफर से लौटने पर घरए कमरा बिस्तर तकिया सब
वही रहते हैं अगर कुछ बदलता है तो वो होते हैं हम!
इन अजनबी सी राहों में
जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये
बीत जाए पल भर में ये वक़्त
और हसीन सफ़र हो जाये!
ये खूबसूरत नज़ारे आँखों में कैद कर लो
इस से पहले की ज़िम्मेदारियाँ तुम्हे कैद कर लें।
आओ संग में एक कहानी बनाते हैं
चलो कहीं घूम के आते हैं!
मंजिल बड़ी हो तो
सफ़र में कारवां छूट जाता है
मिलता है मुकाम तो
सबका वहम टूट जाता है!
याद रखना की तुम एक जहाज़ हो तुम्हारा काम
किनारे पर खड़ा होना नहीं बल्कि लहरों से टकराना है।
हर सफ़र की एक कहानी ज़रूर होती है
अज्ञानता से ज्ञान की !
तेरी जिंदगी की असलियत का
जब तुझ पर असर होगा
असल में उस समय ही
शुरू तेरे जीने का सफ़र होगा
ऑफिस का एक कमरा आपकी दुनिया
नहीं है बल्कि ये पूरी दुनिया आपकी है।
काश ऐसी भी रुहवा चले कौन किसका है रुपता चले!
दुनिया एक किताब है और जो यात्रा नही
करते है वे केवल एक पन्ना पढ़ते है।
जिन्दगी जीने का असली मजा यात्रा में ही है
ये पूरी दुनिया एक समंदर है इसमें तैरना आना
भी ज़रूरी है और कई दफा बह जाना भी ज़रूरी है।
मंज़िलों के ग़म में रोने से रमंज़िलें नहीं मिलती
हौंसले भी टूट जाते हैं रअक्सर उदास रहने से।

