120+ Best Nafrat Shayari in Hindi 2025

प्यार जितना खूबसूरत एहसास है, नफरत उतनी ही गहरी और तीखी भावना है। जब किसी अपने से धोखा मिलता है या रिश्तों में दरार आ जाती है, तो दिल में मोहब्बत की जगह नफरत बस जाती है। Nafrat Shayari in Hindi उसी टूटे दिल की चुभन और नाराज़गी को शब्दों में पिरोती है। ये शायरियां उन भावनाओं को बयां करती हैं जो दर्द, ग़ुस्से और तिरस्कार से भरी होती हैं। अगर आप भी किसी से टूटा हुआ रिश्ता या जख़्मों से भरा दिल लेकर चल रहे हैं, तो ये नफरत शायरी आपके दिल की आवाज़ ज़रूर होगी।
Nafrat Shayari in Hindi
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है !!
मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती है,
अगर नफरत होती है तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती है !
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है,
तूने ही तो समझाया है !!
कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!
नफरत की आग जो तुमने,
इस दिल में लगाई है,
तुमसे ही नही मोहब्बत,
से भी हमें शिकायत हुई है !
मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर !!

तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई,
और ना ही इश्क खत्म हुआ !!
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं !
खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही कुछ तो है,
जो वो सिर्फ हमसे करते हैं !
मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते हैं,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!
ना मेरा प्यार कम हुआ न उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था दोनों अदा कर गये !
Nafrat Shayari Hindi
उसने मुझ से नफरत मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है,
और मैंने भी उसे प्यार मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है !!
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !
नफरत मत करना मुझसे बुरा लगेगा,
बस एक बार प्यार से कह देना,
अब तेरी जरूरत नहीं !!
दिल पर न मेरे यू वार कीजिए,
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेकरार कीजिए !

तुम उसे नफरत से क्या डराओगे,
जिसे मोहब्बत से ज्यादा नफरत ही मिली हो !
दिल है की मानता नहीं,
नफरत करने की बजाय प्यार,
करने की वजह ढूंढ़ता रहता है !
नफरत के बाजार में जिने का अलग ही मजा हैं,
लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ते !
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमे खुद से मोहब्बत होने लगी !
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !
जमाना वो भी था जब तुम खास थे,
जमाना ये भी है के तेरा जिक्र तक नहीं !
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा,
और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा !
जो हमारी नफरत के भी लायक नहीं थे,
हम उन्ही से बेशुमार प्यार कर बैठे !
नफरतों का सिलसिला जारी है,
लगता है दूर जाने की त्यारी है,
दिल तो पहले दे चुके हैं हम,
लगता है अब जान देने की बारी है !
तेरी नफरत में वो दम कहाँ,
जो मेरी चाहत को कम करे !!
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है !
मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझे,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत ना किया कर !
हाँ मुझे रस्म ए मोहब्बत का सलीका ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाजत है तुझे !
वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरजू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए,
तो मैं सजदा न करूँ !!
मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है,
कभी नफरत तो कभी दिलों का मेल है,
बिक जाता है हर रिश्ता दुनियां में,
सिर्फ दोस्ती का यहा नाँट पर सेल है !!
इतनी नफरत है उसे मेरी मोहब्बत से,
उसने अपने हाथ जला लिए,
मेरी तकदीर मिटाने के लिए !!
मोहब्बत ने किसको चैन से सोने दिया
इसलिए तो हमने फैसला इश्क
ना करने का लिया.!!
मत किया कर अपने दर्द को
शायरी में बयां ए दिल
लोग ओर टूट जाते है हर लब्ज को
अपनी दास्तान समझ कर..!!
तेरी वफा भी हमें जैसे एक ख्वाब लगती है
तेरे इश्क में मिली ये बर्बादी
भी हमें लाजवाब लगती है.!!
नफरत के एक मिनट में
सालों की मोहब्बत कैसे भूल गए तुम
फरेबी चाहत थी तुम्हे हमसे
इसीलिए तुमसे दूर हो गए हम.!!
घर में तो खुद को
कैद मैंने आज किया है
मैं तब भी तन्हा था
जब भरी महफिल में था.!!
वो मोहब्बत ही क्या
जिसमे प्यार ना हो
वो नफरत ही क्या
जिसमे तकरार ना हो !
नफरत करने वालो से भी
प्यार करो तो कोई बात बने
अपने जिंदगी को कुछ यूं
बनाओ तो कोई बात बने !
मिटा देंगे हर नफरत को
इस कदर हर रिश्ता निभाएंगे
अगर खड़ी रहेगी नफरत रास्ते
में तो उसे भी प्यार से मनाएंगे !
नफरत कर लो पर
इतनी गुंजाइश रखना
कल मेरे मरने पर
कुछ आंसू निकल सके !
नफरत कर लो पर
इतनी गुंजाइश रखना
कल मेरे मरने पर
कुछ आंसू निकल सके !
पहली नजर में जिसको
हमसे मोहब्बत हो गई
अब यह आलम है हमे
उनसे नफरत हो गई !
यह कैसा धोखा है तुम्हारा
मैं नफरत की आग में जलता हूं
हर रोज तुम्हें याद करता हूं !
देख आज मेरा आंसू भी आंखों से
बहता जा रहा है यह तेरी मोहब्बत
की गजल गाए जा रहा है !
तेरी मोहब्बत से मुझे नफरत हो गई है
इसलिए शराब मेरी जीने की
सहारा बन गई है !
नफरत है मुझे उन बेवफाओं
की महफिल से जहां इश्क की
बात पर दिलों के कत्ल होते हैं !
वह कमबख्त मेरे प्यार
को तो क्या मेरी नफरत के
भी काबिल नही था !
हम तो चाहते हैं लोग हमसे
नफरत करें क्योंकि मोहब्बत
की लोग शिद्दत से नही करते !
जब चाहा उसने अपना बनाया मुझे मन
भरने पर उसने ठुकराया मुझे गुस्सा
आता था सिर्फ उसके झूठे प्यार पर
अब नफरत करना उसने सिखाया मुझे !
उसे प्यार का एहसास दिलाने के लिए
मेरा सब कुछ खो गया पर नफरत तो सिर्फ
दिखाई थी न जाने ब्रेकअप कैसे हो गया !
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने
ही किरदार से अगर मै तेरे ही
अंदाज मे तुझसे बात करुं !
Nafrat Shayari 2 Line
तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई
और ना ही इश्क खत्म हुआ !
क़त्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर मे
जिसे देखो दिल मे नफरत लिये फिरता है !
बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नहीं तो फिर क्या है
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
नए साल में पिछली नफ़रत भुला दें
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दें
हम से नफ़रत करो कि प्यार करो
कोई रिश्ता तो उस्तुवार करो
ज़ोरों पे ‘सलीम’ अब के है नफ़रत का बहाव
जो बच के निकल आएगा तैराक वही है
काग़ज़ पे उगल रहा है नफ़रत
कम-ज़र्फ़ अदीब हो गया है

बाहर इंसानों से नफ़रत है लेकिन
घर में ढेरों बच्चे पैदा करते हैं
पड़े हैं नफ़रत के बीच दिल में बरस रहा है लहू का सावन
हरी-भरी हैं सरों की फ़सलें बदन पे ज़ख़्मों के गुल खिले हैं
नफ़रत से है नफ़रत हम को प्रीत हमारी रीत
प्यार के हैं अनमोल ख़ज़ाने तितली फूल और मैं
मजनूँ से जो नफ़रत है दीवानी है तू लैला
वो ख़ाक उड़ाता है लेकिन नहीं दिल मैला
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो…
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े बहुत मेरी वफ़ा के घर।
तुम्हारी कमी को कोई नही कर सकता पूरी
तुम्हारे बिना तो मेरी जिंदगी भी है अधूरी..!
तेरी नफरत से भी हमने प्यार किया था
मगर तुमने हमे दर्द और जख्म दिया था..!
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Nafrat Ki Ajab Raah Ki shayari
मुझ से नफरत की अजब राह निकाली उसने,
हसता हुआ मेरा दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वो खूब था वाकिफ,
जुदाई मांग ली बन के सवाली उसने।
दिल पर न मेरे यूँ वार कीजिये,
छोहो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिये,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेकरार कीजिये।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
कभी उसने भी हमे चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उसे हमारे जिक्र से भी नफरत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था !
नफरत की आग जो तुमने
इस दिल में लगाई है
तुमसे ही नही मोहब्बत
से भी हमें शिकायत हुई है !