200+ Jigri Dost Shayari in Hindi 2025

Jigri Dost Shayari

ज़िंदगी में बहुत से लोग आते हैं, लेकिन जिगरी दोस्त वो होते हैं जो हर हालात में साथ निभाते हैं। उनकी दोस्ती में ना दिखावा होता है, ना कोई मतलब — बस होता है एक सच्चा रिश्ता जो दिल से जुड़ा होता है। Jigri Dost Shayari in Hindi का ये खास कलेक्शन उन दोस्तों के लिए है जो हर मुश्किल में मुस्कुराहट बनकर साथ खड़े रहते हैं। इन शायरियों के ज़रिए आप अपने यार को वो बातें कह सकते हैं जो लफ़्ज़ों में कह पाना मुश्किल होता है। दोस्ती का जादू अब बिखेरे शायरी के अंदाज़ में!

Jigri Dost Shayari in Hindi

ऐ दोस्त अब क्या लिखूं तेरी
तारीफ में बड़ा खास है तू
मेरी जिंदगी में.!

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली,
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली……!!!

मुझे लिख कर कही
महफूज़ कर लो दोस्तो,
आपकी यादाश्त से निकलता जा रहा हूँ में…..!!!

दोस्तों से बातें करना फितरत है हमारी
दोस्त मेरे खुश रहे हसरत है हमारी
हमे कोई याद करे ना करे
दोस्तों को याद करना आदत है हमारी।

नसीब का प्यार और गरीब
की दोस्ती कभी धोखा नहीं
देती.!

Jigri Dost Shayari in Hindi
Jigri Dost Shayari in Hindi

दोस्ती की हवा लगने दो मुझे,
किसी का अच्छा दोस्त बनने दो मुझे,
प्यार में तो मुझे भी
दर्द ही मिला,
अब दोस्ती का फ़र्ज़
अदा करने दो मुझे।

दोस्ती में दोस्त दोस्त का
खुदा होता है,
महसूस तब होता है जब वो
जुदा होता है.!

अगर विश्वास है तो दोस्ती है,
दोस्ती है तो प्यार है,
प्यार है तो ज़िन्दगी भी अच्छी है,
ये सब मिलता है
अगर दोस्ती सच्ची है।

बरबाद कर देंगे उस हस्ती को
जब बात दोस्ती की होगी..!

कोशिश करो कि
कोई कभी आपसे ना रूठे
जिन्दगी में अपनों का
साथ कभी ना छूटे
दोस्ती करो तो उसे निभाओ ऐसे
के उस दोस्ती की डोर ज़िन्दगी भर ना टूटे।

मांगी थी दुआ हमने रब से
के देना हमे दोस्त ऐसे
जो अलग हो सबसे
रब ने मिला दिया हमे
आपसे और कहा
मत होना जुदा अब इनसे
ये अनमोल है सबसे।

एक ऐसा दोस्त है मेरे पास जब
दुनियाँ ने साथ छोड़ दिया था
वो मेरे साथ था.!

आपकी दोस्ती हमारे सुरों का साज है
आप जैसे दोस्तों से ही
हमे दोस्ती पे नाज़ है।
खुदा करे हमारी दोस्ती सदा ऐसी रहे जैसी आज है।

लोग गुनाह करके सजा से डरते है
ज़हर पी के दवा से डरते है
दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे
हम दोस्तों की बेवफाई से डरते है।

आज रब से मुलाकात हुई है
थोड़ी दोस्तों के बारे में
बात हुई है
मैंने कहा कैसे दोस्त दिए है
रब ने कहा संभल के रखना
मेरी परछाई है।

दोस्त एक भी होगा तो चलेगा
fake नहीं होना चाहिए..!!

लोग कहते है की
इतनी दोस्ती ना करो
के दोस्ती दिल पर सवार हो जाये
हम कहते है की दोस्ती ऐसी करो
की दुश्मनो को भी तुमसे प्यार हो जाये।

दोस्त हालत बदलने वाले रखो
हालात के साथ बदलने वाले नही

कौन कहता है दोस्ती
बराबरी वालो में होती है
सच तो ये है की
दोस्ती में सब बराबर होते हैं।

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यारी की बिना ये जिंदगी
प्यारी नही लगती….

कितने कमाल की होती है ना दोस्ती
वजन तो होता है
लेकिन बोझ नहीं होता।

सच्ची दोस्ती शायरी

दोस्ती का फर्ज इस तरह निभाया जाए,
अगर राम रहे भूखा तो
रहीम से भी खाया न जाए ।

धागे अपने रिश्तों के टूटने नही देंगे,
साथ इस दोस्ती का छूटने नही देंगे,
हमे नही आता मनाना किसी को,
पर दिल से कहते हैं
आपको कभी रूठने नही देंगे ।

नादान से दोस्ती कीजिए क्योंकि मुसीबत के वक्त कोई भी समझदार साथ नही देता…..

दोस्तों के नाम का खत
जेब में रख कर क्या चला…
करीब से गुजरने वाले पूछते है इत्र का नाम क्या है ….

एक जैसे दोस्त सारे नही होते
कुछ हमारे होकर भी हमारे नही होते
आपसे दोस्ती करने के बाद महशूस हुआ
कौन कहता है
तारे जमीन पर नही होते….

सच्ची दोस्ती शायरी
सच्ची दोस्ती शायरी

दोस्ती एक नाम है
सुख-दुःख की कहानी का
दोस्ती एक राज है सदा मुस्कुराने का
दोस्ती कोई पल भर की
जान पहचान नहीं है
दोस्ती एक वादा है
हर दम साथ निभाने का।

जब साले गुजर जाये तो
कौनसा समा होगा,
हम सभी दोस्तों में न जाने
कौन कहां होगा,
और जब मिलना होगा तो
बस ख्वाबो में,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है
किताबों में।

ज़िन्दगी कभी धुप तो कभी छाव है,
हमारे होठो पर बस आपका ही नाम है,
मेरे दोस्त हमसे कुछ
मांग कर तो देखो,
मेरे हाथो पर मेरी जान है।

एक वफादार दोस्त हजार
रिश्तों से बेहतर है..!

रोएगी ये आँखें
मुस्कुराने के बाद,
आयेगी ये रात
दिन ढल जाने के बाद,
कभी, मुझसे दोस्त,
तुम रूठना नहीं,
ये जिंदगी ना रहेगी,
तेरे रूठ जाने के बाद।

हम तो बस इतना उसूल रखते है,
जब हम तुझे कुबूल करते है तो
तेरा सब कुछ कुबूल करते है!

दोस्ती का फ़र्ज़ यूँ ही निभाते रहेंगे,
वक्त बेवक्त आपको सताते रहेंगे,
दुआ करो के उम्र लम्बी हो हमारी,
वरना याद बन के आपको सताते रहेंगे!

आपकी हमारी दोस्ती सुरों का साज है,
आप जैसे दोस्त पर हमें नाज़ है,
अब चाहे कुछ भी हो जाये जिंदगी में,
दोस्ती वैसे ही रहेगी जैसे आज है!

ना किसी लड़की की चाहत
ना ही पढ़ाई का जज्बा था,
बस चार कमीने दोस्त थे
और लास्ट बेंच पे कब्जा था!

दावे मुझे दोस्ती के नहीं आते यार,
एक जान है जब दिल चाहे मांग लेना!

एक मजबूत दोस्ती को
Daily बातचीत की
आवश्यकता नहीं होती है..!!

हर पल साथ निभाने का
वादा करते हैं,
हर रास्ते पर साथ चलने का
वादा करते हैं,
तू हमे बेशक भुला देना लेकिन,
हम हमेशा तुझे याद करने का
वादा करते हैं।

हम पर विश्वाश करने की कोशिश करना,
हम वेबजह किसी का भी
दिल दुखाया नही करते,
कुछ ऐसा था आप में जो
हमे बहुत अच्छा लगा,
वरना हम भी यूँ ही किसी को
दोस्त बनाया नही करते।

जिगरी दोस्त शायरी

तू सामने नही
पर तेरी तस्बीर बना सकता हूँ,
तेरा क्या हाल है
ये तुझसे मिले बिना बता सकता हूँ,
हम तो अपनी दोस्ती पे
इतना भरोसा रखते है,
तेरी आँख का आँसू अपनी
आखँ से गिरा सकता हूँ।

जो भी हूँ
आपकी दोस्ती की बदौलत हूँ
वरना दोस्तो बिन मैं क्या दौलत हूँ.!

हम उनके ख्याल को कभी मिटा नही सकते,
हम कभी उनकी दोस्ती को भुला नही सकते,
आज भी याद आती है
वो प्यारी प्यारी मस्ती,
इसलिये हम अपने दोस्तों को आज़मा नही सकते।

मेरी ज़िन्दगी में
कुछ घड़ी का इंतज़ार था,
तेरे वेबफा इश्क से
प्यारा मेरा यार था,
तेरे इश्क ने मुझे
इस कदर तोड़ा था,
फिर मेरे यार ने ही
मुझे जोड़ा था।

जिगरी दोस्त शायरी
जिगरी दोस्त शायरी

कौन कहता है की
दोस्ती यारी बर्बाद करती है,
कोई निभाने वाला हो तो
दुनिया याद करती है!

दम नहीं किसी में की मिटा सके
हमारी दोस्ती को,
जंग तलवारों को लगता है
जिगरी यार को नहीं!

तेरी मुस्कुराहट मेरी पहचान है
तेरी खुशी मेरी ही जान है,
कुछ भी नहीं मेरी ज़िन्दगी में
बस इतना समझ ले की,
तेरा दोस्त होना मेरी शान है!

एक ताबीज़
हमारी गहरी दोस्ती को चाहिए,
जरा सी दिखी नहीं कि
नज़र लगने लगती हैं!

न जाने कौन सी दौलत है कुछ
दोस्तों के लफ्जों में बात करते हैं
तो दिल ही खरीद लेते हैं.!

जिसकी मौजूदगी से मेरा
दिल मुस्कुराता है,
वो मेरे प्यारा दोस्त है
अपनी दोस्ती हरदम रहे सलामत!

ऐ ‪‎दोस्त‬ अब क्या लिखूं
तेरी ‪‎तारीफ‬ में, बड़ा ‪‎खास‬ है तू मेरी ‪‎जिंदगी‬ में…

मेरे हर कदम के साथ
रब मेहरबान होता गया,
दोस्त साथ चलते रहे
और सफर आसान होता गया!

किसी भी झूठे दोस्त से
कभी प्रेम मत करना,
और एक सच्चे दोस्त को
कभी गेम मत करना!

रिश्ते हैशियत पूछते है
लोग पैसे देखते है,
वो दोस्त ही है जो
मेरी तबियत पूछते है!

अगर तू बेचे अपनी दोस्ती,
तो पहले खरीदार हम होंगे।

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता

हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए

मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से

तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली

मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है

Jigri Dost Shayari 2 Line

पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है

लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी
हम तिरी दोस्ती से डरते हैं

मैं अब हर शख़्स से उक्ता चुका हूँ
फ़क़त कुछ दोस्त हैं और दोस्त भी क्या

अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए

दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है
रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी है

हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं

ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर

जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो

Jigri Dost Shayari 2 Line
Jigri Dost Shayari 2 Line

ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है

दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं

दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं

मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी

तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को
दोस्तो अपने तअ’ल्लुक़ को सँवारा जाए

सुना है ऐसे भी होते हैं लोग दुनिया में
कि जिन से मिलिए तो तन्हाई ख़त्म होती है

दोस्ती को बुरा समझते हैं
क्या समझ है वो क्या समझते हैं

फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है ‘असद’
दोस्ती नादाँ की है जी का ज़ियाँ हो जाएगा

दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं

दुश्मनी ने सुना न होवेगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया

निगाह-ए-नाज़ की पहली सी बरहमी भी गई
मैं दोस्ती को ही रोता था दुश्मनी भी गई

दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया

दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शम्अ’ जलाना भूल गए

जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है
और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन
ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन

‘शाइर’ उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सँभल जाते हैं लोग

आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं

मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से
न इख़्तियार है उस का न मेरा चारा है

मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ

दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा
जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे

ज़िक्र मेरा आएगा महफ़िल में जब जब दोस्तो
रो पड़ेंगे याद कर के यार सब यारी मिरी

कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा

सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक
साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती

मिरी वहशत मिरे सहरा में उन को ढूँढती है
जो थे दो-चार चेहरे जाने पहचाने से पहले

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