200+ Best Jaun Elia Shayari​ in Hindi 2025

Jaun Elia Shayari

जौन एलिया उर्दू शायरी की दुनिया का वो नाम हैं, जिनकी शायरी में दर्द, तन्हाई और बगावत का अनोखा मेल है। Jaun Elia Shayari सिर्फ मोहब्बत की नहीं, बल्क‍ि एक सोच, एक दर्शन की झलक है। उनकी पंक्तियाँ दिल को छूती ही नहीं, बल्कि इंसान को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। इस ब्लॉग में आपको मिलेंगी जौन साहब की चुनिंदा शायरियाँ, जो आपकी भावनाओं को जुबान देती हैं। अगर आप भी किसी गहरी बात को महसूस करना चाहते हैं, तो यह संग्रह आपके दिल को ज़रूर भाएगा।

Jaun Elia Shayari in Hindi

तन्हाइयों का अब कोई गिला नहीं,
हमने तो खुद को ही खो दिया कहीं।
उनकी यादों में जो पल जिए,
वो ही हमारी जिंदगी बन गई।

मैं भी बहुत अजीब हूँ,
इतना अंधेरे में भी जी रहा हूँ।
जिसे चाहा वो ही बेगाना निकला,
और मैं हर रोज मर रहा हूँ।

हमारी तन्हाई का भी कोई सिला नहीं,
जिसे हमने चाहा, उसका कोई पता नहीं।
हर एक जख्म हँस कर सहा,
फिर भी ये दिल कभी ख़फा नहीं।

तेरा मिलना भी एक अफ़साना था,
जैसे कोई सपना सुहाना था।
अब जो तू नहीं है साथ,
हर दिन बस तन्हा-तन्हा सा गुज़ारा है।

Jaun Elia Shayari in Hindi
Jaun Elia Shayari in Hindi

शिकायत क्या करें इस दुनिया से,
जब ज़िंदगी ही बेवफा निकली।
हमने खुद को ही खो दिया,
किसी की चाह में।

ज़िंदगी एक ख्वाब है,
जिसे हर कोई जीता है।
पर हमने उस ख्वाब में,
सिर्फ तन्हाई सीखी है।

कुछ बातें अधूरी रह जाती हैं,
कुछ ख्वाब बस यादें बन जाते हैं।
हम भी उन्हीं में से हैं,
जो अपने आप में खो जाते हैं।

हर ख्वाहिश अधूरी सी लगती है,
हर मुस्कान मजबूरी सी लगती है।
जबसे तू गया है ज़िंदगी से,
हर खुशी अधूरी सी लगती है।

हमने तो दर्द को भी गले लगाया है,
हर आँसू को हँस कर छुपाया है।
तू समझे ना समझे,
हमने तुझे ही खुदा बनाया है।

हमारी तन्हाई पे हँसते हैं लोग,
जैसे कोई मज़ाक बना लिया हो।
पर कौन समझे उस दिल को,
जिसने खुद को भुला दिया हो।

खामोशियों में भी साज़ होता है,
जैसे हर लम्हा इक राज़ होता है।
हमने भी दिल से चाहा था किसी को,
पर हर चाहत में अंदाज़ होता है।

कभी खुद से ही मुलाक़ात नहीं होती,
हर पल तेरी ही बात होती।
हम जीते हैं तन्हाई में हर रोज़,
जैसे सांसों से कोई बात होती।

ज़िंदगी को जीना सीखा था तुझसे,
अब तुझ बिन सब अधूरा लगता है।
तेरी हर एक बात में जादू था,
अब हर लफ्ज़ भी बेअसर लगता है।

तेरे बिना जो दिन गुज़रे हैं,
वो खुदा से भी छुपा लिए हैं।
अब कोई पूछे क्या हाल है,
तो मुस्कान में आँसू छुपा लिए हैं।

Jaun Elia Shayari​ Hindi

हमने तो बस तुझसे मोहब्बत की थी,
मगर तुझे साजिश लगी।
तेरे बिना ये दिल तन्हा सही,
पर अब तुझे फ़ुर्सत लगी।

कुछ ख्वाब थे जो टूट गए,
कुछ लोग थे जो छूट गए।
दिल से निभाया हर रिश्ता हमने,
मगर सब अपने रुख मोड़ गए।

हमने खुद को खो दिया तुझमें,
अब खुद का भी पता नहीं चलता।
तेरे बिना इस भीड़ में भी,
अकेलापन साथ चलता है।

Jaun Elia Shayari Hindi
Jaun Elia Shayari Hindi

बेवफाई की भी हद होती है,
पर तू तो बेमिसाल निकला।
जिसे अपना समझा हमने,
वो गैरों से भी ज्यादा सवाल निकला।

तू चला गया इस अंदाज़ से,
जैसे कभी मिला ही न था।
हम तो आज भी वहीं हैं,
जहाँ तेरा इंतज़ार अधूरा रह गया।

अब किसी की याद में रोना नहीं आता,
दिल इतना टूट चुका है कि दर्द भी नहीं होता।
शायद ये भी एक हुनर है,
जो सिर्फ तन्हा लोग ही जानते हैं।

तेरे इश्क़ की खुशबू अब भी सांसों में है,
तेरी हर बात अब भी अहसासों में है।
मिलो कभी फिर से उसी मोड़ पर,
जहाँ प्यार अधूरा रह गया था।

दिल में अब भी तेरा नाम लिखा है,
तेरे इश्क़ का हर जाम पिया है।
तू नज़र नहीं आता फिर भी,
हर जगह तेरा चेहरा दिखा है।

तेरा साथ पा कर सब भूल गए,
तेरे जाने के बाद खुद को ढूँढते रहे।
इश्क़ तुझसे यूँ किया था हमने,
कि अब हर रिश्ते से डरते रहे।

तेरे होने से ही तो दुनिया थी रोशन,
अब तो हर राह में अंधेरा है।
प्यार जो तुझसे किया था हमने,
वो अब बस तन्हाई का बसेरा है।

तेरे इश्क़ ने हमें जो रुलाया,
हमने हर आँसू में तुझे पाया।
तेरी यादें अब भी साथ हैं,
हर ख्वाब में तू ही समाया।

जिनसे प्यार किया, वही जख्म दे गए,
हर दुआ में उन्हीं को मांगते रह गए।
हमने समझा उन्हें हमसफ़र अपना,
वो हमें तन्हा राहों में छोड़ गए।

हर एक बात में ग़म छुपा होता है,
हर मुस्कान के पीछे दर्द होता है।
हमने तो बस चाहा था सुकून,
मगर यहां हर रिश्ता बेवफ़ा होता है।

ख़ुद को खोकर भी तुझे पाया है,
तेरी यादों में ही जीना सीखा है।
अब और कोई ख्वाहिश नहीं बची,
तेरे नाम पर ही सब कुछ लिखा है।

जिन लफ़्ज़ों में तुझे बयाँ किया,
वो अब भी दिल को तसल्ली देते हैं।
तेरे जाने के बाद भी ऐ जान,
तेरे ख्याल ही हमें ज़िंदा रखते हैं।

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तेरा जिक्र अब भी ज़ुबां पर है,
तेरी यादें अब भी दिल में हैं।
माना तू साथ नहीं है,
पर एहसास अब भी जिंदा हैं।

इश्क़ वो आग है जो बुझती नहीं,
तेरे जाने के बाद भी कम होती नहीं।
हर धड़कन में तेरा नाम बसाया है,
अब इस दिल में किसी और की जगह नहीं।

तेरे इश्क़ में जो दर्द मिला,
वो सबसे प्यारा तोहफ़ा लगा।
हर आँसू जो तेरे लिए बहा,
वो भी अब मेरी दौलत बना।

तू मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीं फसाना है,
तेरे बिना हर लम्हा वीराना है।
तेरी मोहब्बत ने ही जीना सिखाया,
अब तू नहीं तो सब सुना-सुना सा है।

तेरे प्यार ने मुझे बदल दिया,
तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगा।
अब तन्हाई ही मेरा साथी है,
तेरी यादें ही मेरी दुनिया है।

इश्क़ सिर्फ नाम का नहीं होता,
ये तो रूह से जुड़ा होता है।
जिसे एक बार दिल में बसा लो,
वो ज़िंदगी भर साथ होता है।

Two Line Jaun Elia Shayari​

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या

मैं जो हूँ ‘जौन-एलिया’ हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा

यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या

Two Line Jaun Elia Shayari​
Two Line Jaun Elia Shayari​

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं

किस लिए देखती हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं

मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से

हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो

मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने

एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं

और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं

दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते

अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का

हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब
यही मुमकिन था इतनी उजलत में

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो

मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया

मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या

अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से ख़तरा है

कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा

हैं दलीलें तिरे ख़िलाफ़ मगर
सोचता हूँ तिरी हिमायत में

जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था

ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

Jaun Elia Shayari​ on Love

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

मुझ को आदत है रूठ जाने की
आप मुझ को मना लिया कीजे

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या

नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं

अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया

उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं

एक ही तो हवस रही है हमें
अपनी हालत तबाह की जाए

काम की बात मैं ने की ही नहीं
ये मिरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है

आज मुझ को बहुत बुरा कह कर
आप ने नाम तो लिया मेरा

जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ
तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम

अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो
कुछ नहीं आसमान में रक्खा

हो रहा हूँ मैं किस तरह बर्बाद
देखने वाले हाथ मलते हैं

शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा को
आप के होंट काट खाने का

अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं

इतना ख़ाली था अंदरूँ मेरा
कुछ दिनों तो ख़ुदा रहा मुझ में

जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए

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