300+ Best Heart Shayari in Hindi 2025

दिल इंसान का सबसे खूबसूरत और नाज़ुक हिस्सा होता है, जिसमें प्यार, दर्द, खुशी और यादें सब बसते हैं। जब जज़्बात गहराई तक पहुँचते हैं, तो वो लफ़्ज़ बनकर शायरी में ढल जाते हैं। Heart Shayari in Hindi का यह संग्रह उन्हीं अनकहे एहसासों को शायराना अंदाज़ में बयां करता है। चाहे मोहब्बत की मिठास हो या टूटे दिल की टीस, यहाँ हर जज़्बात के लिए एक खास शायरी है। पढ़िए और महसूस कीजिए वो बातें, जो दिल कहना तो चाहता है पर ज़ुबान तक नहीं ला पाता।
Heart Shayari in Hindi
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता

दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने से
कमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से
इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का
शीशा टूटे ग़ुल मच जाए
दिल टूटे आवाज़ न आए
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता
दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
मुद्दत के ब’अद आज उसे देख कर ‘मुनीर’
इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं
दोस्तों की मेहरबानी चाहिए
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या-रब कई दिए होते
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दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है
आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है
मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा’लूम होती है
”आप की याद आती रही रात भर”
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला
जानता है कि वो न आएँगे
फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
Dil Shayari in Hindi
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हर बात में लज़्ज़त है अगर दिल में मज़ा हो
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही
दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया
आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
दिल के आईने में है तस्वीर-ए-यार
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली
दिल मोहब्बत से भर गया ‘बेख़ुद’
अब किसी पर फ़िदा नहीं होता
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
दिल तो मेरा उदास है ‘नासिर’
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
मैं ठहरता गया रफ़्ता रफ़्ता
और ये दिल अपनी रवानी में रहा
तुम्हारी याद मेरा दिल ये दोनों चलते पुर्ज़े हैं
जो इन में से कोई मिटता मुझे पहले मिटा जाता
दिल न देते उसे तो क्या करते
ऐ ‘असर’ दुख हमें उठाना था
ये दिल है मिरा या किसी कुटिया का दिया है
बुझता है दम-ए-सुब्ह तो जलता है सर-ए-शाम
जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
कि उस तरफ़ को इधर से भी राह निकले है
ज़र्फ़ टूटा तो वस्ल होता है
दिल कोई टूटा किस तरह जोड़े
दिल मिरा दर्द के सिवा क्या है
इब्तिदा ये तो इंतिहा क्या है
हम एक जाँ ही सही दिल तो अपने अपने थे
कहीं कहीं से फ़साना जुदा तो होना था
मैं जितना ढूँढता हूँ उस को उतना ही नहीं पाता
किधर है किस तरफ़ है और कहाँ है दिल ख़ुदा जाने
जिस ने मह-पारों के दिल पिघला दिए
वो तो मेरी शाएरी थी मैं न था
दश्त-ए-वफ़ा में जल के न रह जाएँ अपने दिल
वो धूप है कि रंग हैं काले पड़े हुए
दिल जो दे कर किसी काफ़िर को परेशाँ हो जाए
आफ़ियत उस की है इस में कि मुसलमाँ हो जाए
जिस्म पाबंद-ए-गुल सही ‘आबिद’
दिल मगर वहशतों की बस्ती है
दिल जहाँ बात करे दिल ही जहाँ बात सुने
कार-ए-दुश्वार है उस तर्ज़ में कहना अच्छा
दिल में आओ मज़े हों जीने के
खोल दूँ मैं किवाड़ सीने के
ख़मोशी दिल को है फ़ुर्क़त में दिन रात
घड़ी रहती है ये आठों पहर बंद
Love Heart Shayari in Hindi
दिल की लहरों का तूल-ओ-अर्ज़ न पूछ
कभू दरिया कभू सफ़ीना है
दिल मिरा शाकी-ए-जफ़ा न हुआ
ये वफ़ादार बेवफ़ा न हुआ
एक दिन तो दिल को भी तरजीह दे कर देख लूँ
अक़्ल से कह दो कि मुझ को आज तन्हा छोड़ दे
दिल उस की तार-ए-ज़ुल्फ़ के बल में उलझ गया
सुलझेगा किस तरह से ये बिस्तार है ग़ज़ब
ख़ाक में दिल को मिलाते हो ग़ज़ब करते हो
अंधे आईने में क्या देखोगे सूरत अपनी

तबीबों की तवज्जोह से मरज़ होने लगा दूना
दवा इस दर्द की बतला दिल-ए-आगाह क्या कीजे
मय-कदा जल रहा है तेरे बग़ैर
दिल में छाले हैं आबगीने के
दिल जो अब शोर करता रहता है
किस क़दर बे-ज़बान था पहले
की है सरगोशी सर-ए-शाम मिरे दिल ने फिर
इस लिए हम ने लपेटा नहीं बिस्तर अपना
तेरा क़ुसूर-वार ख़ुदा का गुनाहगार
जो कुछ कि था यही दिल-ए-ख़ाना-ख़राब था
ज़बान-ए-दिल से कोई शाइ’री सुनाता है
तो सामईन भुलाते नहीं कलाम उस का
दिल तो वो माँगते हैं और तमाशा ये है
बात मतलब की जो कहिए तो उड़ा जाते हैं
दिल की बुनियाद पे ता’मीर कर ऐवान-ए-हयात
क़स्र-ए-शाही तो ज़रा देर में ढह जाते हैं
दिल देखते ही उस को गिरफ़्तार हो गया
रुस्वा-ए-शहर-ओ-कूचा-ओ-बाज़ार हो गया
दिल मिरा ख़्वाब-गाह-ए-दिलबर है
बस यही एक सोने का घर है
मीर-ए-महफ़िल न हुए गर्मी-ए-महफ़िल तो हुए
शम्अ’-ए-ताबाँ न सही जलता हुआ दिल तो हुए
दिल न का’बा है ने कलीसा है
तेरा घर है हरीम-ए-मरियम है
दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें हुईं एहसान तो गया
दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता
शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो
हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगर्ना ज़माने में क्या न था
एक सफ़र वो है जिस में
पाँव नहीं दिल थकता है
सर अगर सर है तो नेज़ों से शिकायत कैसी
दिल अगर दिल है तो दरिया से बड़ा होना है
आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर कम किसी से मिलता है
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे
जिन को अपनी ख़बर नहीं अब तक
वो मिरे दिल का राज़ क्या जानें
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त
या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे
न दूँगा दिल उसे मैं ये हमेशा कहता था
वो आज ले ही गया और ‘ज़फ़र’ से कुछ न हुआ
दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
Dil Shayari 2 Line
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है
जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई
यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना
तिरी याद तो बन गई इक बहाना
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा
मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ
नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा
ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा
अब मैं दिल को क्या समझाऊँ मुझ को भी समझाता जा
आँधी चली तो नक़्श-ए-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिस से मिल गया वो दोबारा नहीं मिला

दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
मैं ने जब की आह उस ने वाह की
दिल में इक दर्द उठा आँखों में आँसू भर आए
बैठे बैठे हमें क्या जानिए क्या याद आया
दिल को सँभाले हँसता बोलता रहता हूँ लेकिन
सच पूछो तो ‘ज़ेब’ तबीअत ठीक नहीं होती
कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर
अब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा
जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
मोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
दिल से आती है बात लब पे ‘हफ़ीज़’
बात दिल में कहाँ से आती है
दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
इंतिहा ये है कि ‘फ़ानी’ दर्द अब दिल हो गया
रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा
अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले
बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
दिल तो लेते हो मगर ये भी रहे याद तुम्हें
जो हमारा न हुआ कब वो तुम्हारा होगा
न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता है
कि जो भी ठहरा वो आख़िर मकान छोड़ गया
मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से
दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
सुकून-ए-दिल के लिए इश्क़ तो बहाना था
वगरना थक के कहीं तो ठहर ही जाना था
हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत
फिर भी ऐ दोस्त तिरी एक नज़र से कम है
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है
ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए
उस की तस्वीर हटा दी जाए
समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने
दिल से तो पूछ लीजिए क्यूँ बे-क़रार है
आबादी भी देखी है वीराने भी देखे हैं
जो उजड़े और फिर न बसे दिल वो निराली बस्ती है
किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें
है वस्ल से ज़ियादा मज़ा इंतिज़ार का
मिरे लबों का तबस्सुम तो सब ने देख लिया
जो दिल पे बीत रही है वो कोई क्या जाने
कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए
दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिम
बस्ती बसना खेल नहीं बसते बसते बस्ती है
होती कहाँ है दिल से जुदा दिल की आरज़ू
जाता कहाँ है शम्अ को परवाना छोड़ कर
किस से उम्मीद करें कोई इलाज-ए-दिल की
चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला
देख लेते जो मिरे दिल की परेशानी को
आप बैठे हुए ज़ुल्फ़ें न सँवारा करते
दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल
दिल-लगी ही दिल-लगी अच्छी नहीं
न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आ कर
न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है
ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है
यूँ ही छन से बोल उठना तो शीशे का दस्तूर नहीं
अक़्ल ओ दिल अपनी अपनी कहें जब ‘ख़ुमार’
अक़्ल की सुनिए दिल का कहा कीजिए
मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या
दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहिब-ए-दिल
हाथ आ जाती है खो देने से दौलत दिल की
तू कहीं हो दिल-ए-दीवाना वहाँ पहुँचेगा
शम्अ होगी जहाँ परवाना वहाँ पहुँचेगा
मुझ को न दिल पसंद न वो बेवफ़ा पसंद
दोनों हैं ख़ुद-ग़रज़ मुझे दोनों हैं ना-पसंद
दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ
फ़तह पा कर शिकस्त खाई है
सीने में इक खटक सी है और बस
हम नहीं जानते कि क्या है दिल
दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ
कोई रहता है इस मकाँ में अभी
दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी
अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज
नादान था मगर ये दिवाना कभी न था
दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दिल जो घबराए समुंदर के किनारे जाना
तुझे कुछ इश्क़ ओ उल्फ़त के सिवा भी याद है ऐ दिल
सुनाए जा रहा है एक ही अफ़्साना बरसों से
दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है
तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी
तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे
दिल में वो भीड़ है कि ज़रा भी नहीं जगह
आप आइए मगर कोई अरमाँ निकाल के
दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ
दिल का क्या हाल कहूँ सुब्ह को जब उस बुत ने
ले के अंगड़ाई कहा नाज़ से हम जाते हैं
दिल की तरफ़ ‘शकील’ तवज्जोह ज़रूर हो
ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा