180+ Neend Shayari in Hindi 2025

Neend Shayari

नींद सिर्फ थकान मिटाने का ज़रिया नहीं, बल्कि सुकून और ख्वाबों की दुनिया का दरवाज़ा है। कभी यह आसानी से आती है तो कभी लाख कोशिशों के बाद भी आंखों से रूठ जाती है। Neend Shayari In Hindi इन्हीं जज़्बातों को अल्फ़ाज़ों में ढालती है। इस लेख में आप पढ़ेंगे ऐसी शायरियां जो नींद के सुकून, ख्वाबों की मिठास और बेचैनी भरी रातों की हकीकत को खूबसूरती से बयान करती हैं। ये शायरियां आपके दिल को छू जाएंगी और शायद आपकी थकी आंखों को कुछ पल का सुकून भी दे जाएं।

Neend Shayari In Hindi

नींद तो बचपन में आती थी साहब
अब तो सिर्फ़ थक कर सोते है..!!!

ख़्वाबों में अब वो पहले जैसा सुकून नही
क्योंकि अब ख़्वाब भी अधूरे होते है..!!!

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके
तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हूँ !!!

Neend Shayari in Hindi
Neend Shayari in Hindi

ये कहाँ की रीत जागे कोई सोये कोई
रात सबकी है तो सबको नींद आनी चाहिये..!!!

कोई हमसे भी मोहब्बत कर ले सुना है
आशिकी में इंसान की नींद उड़ जाती है..!!!

जरूरतों को किनारें कर ख्वाहिशों
के पीछे भागते है
दिन का सुकून तो गंवाया था अब रातों
में भी जागते है !!

जो चैन से सोते है उन्ही का चैन खोता है
दिन भर मेहनत करने वाला ही चैन से सोता है !!

पूरे दिन में एक वक्त सुकून भरा होता है
वो वक्त सिर्फ तब होता है
जब मैं नींद में होता है.!!

नींद में भी सिर्फ
आपके ही ख्याल देखते है
हम तो चांद तारों में भी
सिर्फ आपको ही ढूंढते है.!!

उनको नींद ना आए
तो बेचैन हो जाती हूं मैं
एक ये ही तो जरिया है
उनसे मुलाकात का..!

ऐसा नही है कि तेरी
यादे मैं करवटे बदलता हूं
नीदे शर्मीली है जरा
बिस्तर से बाते करता हूं..!

करीब आ के भी मेरी ना हुई
कोई अपना ले गया मेरी नींद को..!

नींद के समंदर में
ख्वाबो का जहाज है
मौन बहे चला जाता है
बिन किए कोई आवाज है..!

नींद चुराने वाले पूछते है सोते क्यों नही
जिन्हे देख कर जागते है वो अब ख़्वाबों में भी नही..!!!

लगता है रात को
भी बाते है अल्फाज मेरे
तभी तो वह नींद को
गुमराह करती है मेरे..!

तेरी याद नींदे आने नहीं देती
तेरी फिक्र जान जाने नहीं देती
सब सो रहे होते है इस वक़त
और हम लगाते है बेवजह गश्त !!

Neend Par Shayari

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई !!

मैं तेरे नाम का एक सपना हूँ और तू
तू मेरे हिस्से की नींद है
जो मुझसे दूर बहुत दूर रहती है !!

नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यूँ नहीं
इतनी ही फ़िक्र है तो फिर हमारे
होते क्यूँ नही !!

Neend Par Shayari
Neend Par Shayari

नींद यु ही नसीब नहीं होती
दिन भर काम करना पड़ता है
रातों को सोने के लिए !!

जागते रहने से ज्यादा मुझे नींद प्यारी हैं
क्योकि हकीकत में न सही पर सपनों
में तो वो हमारी हैं !!

ख्वाहिश चाहत से बढ़ गई
तू इबादत हो गई हैं
मेरी नींदों को भी तेरे सपनों की
आदत हो गई हैं !!

तुम्हें नींद नहीं आती तो कोई और
वजह होगी
अब हर ऐब के लिए कसूरवार
इश्क तो नहीं !!

नींद से वास्ता टूट गया
जब से तेरा रास्ता छूट गया
सारी रात जागकर गुज़ारता हू
और तेरा नाम पुकारता हू !!

सो जाने दे मुझे नींद की गहराईयों में
जीने नहीं देती उसकी यादें तन्हाईयों में !!

आज न नींद आई न ख्वाब आए
तुम जो ख्यालो मे बेहिसाब आए !!

बस एक बार सुला ले अपनी बाहों में
ये रोज़-रोज़ नींद का ना आना
हमसे सेहन नहीं होता !!

नींद आँखों में आने लगी है
रात की घटा छाने लगी है
हर तरफ बह रही हवा
कोई प्यारा-सा गीत गाने लगी है !!

Neend Shayari Hindi

वो आँखों में अरमान जगा
दिया करते हैं
फिर चुपके से नींद चुरा
लिया करते हैं !

कितने आँसू
एक साथ आंखों में आ जाते है
नींद उड़ जाती है तब
जब उनका ख्याल आ जाता हैं !!

तुमसे पहले भी रातें हमारी बीतती थी
बिना नींद के ही आने से इन आंखों को
अब जागने का एक मतलब मिल गया !!

कब तक कैद करके रखोगे
हमारी नींदों को
वो रिहा होने के लिए तड़प रही है !!

तन्हाईयों में मुस्कुराना इश्क हैं
एक बात को सबसे छुपाना इश्क हैं
यूं तो नींद नहीं आती हमें रात भर
मगर सोते-सोते जागना और
जागते-जागते सोना इश्क है !!

लगता है मेरी नींद का किसी पराये के
साथ चक्कर चल रहा है
सारी सारी रात गायब रहती है !!

जबसे तुमने इकरार किया
अपनी बाहों का प्यार दिया
नींद मेरी उड़ने लगी है
मोहब्बत परवा चढ़ने लगी है !!

यू खाली पलकें झुका देने से नींद नहीं आती
सोते वही लोग है जिनके पास
किसी की याद नहीं होती !!

कभी-कभी सुबह जल्दी
उठने का ख्याल
रातों की नींद ले जाता है !!

दिल की किताब में गुलाब उनका था
रात की नींद में ख्वाब उनका था
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा
मर जायेंगे तुम्हारे बिना ये जबाब उनका था !!

आँखों के सहारे तुम दिल में उतरने लगे
दिन और रात मेरे प्यार से सवरने लगे
ख्याल भी मीठे-से आने लगे है
जो मेरी नींद को चुराने लगे है !!

गुम है मेरी आँखों से नींद आज भी
याद करके रात कट जाती हैं आज भी !!

हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन
तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नही होता !!

आँखें खोलू तो तेरी यादें
और सो जाऊ तो तेरे सपने !!

Neend Nahi Aati Shayari

नींद आये या ना आये
चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना
हमसे देखा नहीं जाता !!

ख्व़ाब आँखों से गये
नींद रातों से गई
वो गई तो ऐसा लगा
जिन्दगी हाथो से गई !!

मोहब्बत कर ली
अब रातो मे नींद कैसे आएगी !!

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एक नींद है जो रात भर नहीं आती हैं
एक नसीब हैं जो ना जाने कब
से सो रहा हैं !!

चलो नींद के दफ्तर में हाज़िरी लगा आते हैं
वो सपनो में आये तो ओवर टाइम भी कर लेंगे !!

बिना सोये रात गुजारता हू
बस तेरी तस्वीर निहारता हू
तेरे प्यार को दिल में संवारता हू
और तेरे हुसन की आरती उतारता हू !!

बस यही दो मसले जिन्दगी भर
ना हल हुए
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब
मुकम्मल हुए !!

तुम्हारे सपने पूरे नहीं हुए
मुझे तो नींद तक नहीं आती !!

जाने कितनी रातो की नींदे
ले गया वो
जो पल भर मोहब्बत
जताने आया था !!

नींद से क्या शिकवा जो रात
आती नहीं रातभर
कसूर तो उस चेहरे का है
जो सोने नही देता !!

न करवटे थी न बेचैनियाँ थी
क्या गजब की नीँद थी मोहब्बत से पहले !!

सुबह की नींद लगती है प्यारी
सुबह उठते है वो जिनके कन्धो
पर होती है ज़िम्मेदारी !!

ए दोस्त तेरी दोस्ती पर नाज़ करते हैं
हर वक्त मिलने की फ़रियाद करते हैं
हमें नहीं पता घर वाले बताते हैं
हम नींद में भी आपसे बात करते हैं !!

सूरज निकलने का वक़्त हो गया
फूल खिलने का वक़्त हो गया
मीठी नींद से जागो मेरे दोस्त
सपने हक़ीकत में लाने का
वक़्त हो गया !!

वो कुछ रातों से मेरे नींदों में दबे पाँव
चलके आती हैं
और फिर सुबह को शिकायत करती
हैं कि उसे नींद ठीक से आई नहीं !!

यू खाली पलकें झुका देने से नींद नहीं आती
सोते वही लोग है जिनके पास
किसी की याद नहीं होती !!

Shayari on Neend

आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझ को तो नींद भी नहीं आती !!

वो हमें देखकर दूर भागते है
और हम उनकी याद में रात
भर जागते है !!

Shayari on Neend
Shayari on Neend

मैं दिन हूँ मेरी सहम तुम हो
मैं नींद हूँ मेरा ख्वाब तुम हो
मैं लब हूँ मेरी बात तुम हो
मैं तब हूँ जब मेरे साथ तुम हो !!

मैंने इश्क़ किया है या कोई कसूर
कर दिया है
इन आँखों ने खुद से नींद को
दूर कर दिया है !!

उन्होंने वक़्त समझकर गुज़ार
दिया हमको
और हम उनको ज़िन्दगी समझकर
आज भी जी रहे हैं !!

जो सोता है वही खोता है
मगर इश्क में इसका उलटा होता है !!

कभी टूटा नहीं दिल से तेरी
याद का रिश्ता
गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा
ही रहता है !!

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है !!

ख़्वाब इतने तो दगाबाज़ न थे मेरे कभी
ख्व़ाब इतनी तो मेरी नीँद नहीं छलते थे
रात कि बात क्या इक दौर में ये ख़ानाबदोश
दिन निकलते ही मेरे साथ-साथ चलते थे !!

तुझे क्या पता की मेरे दिल में कितना
प्यार हैं तेरे लिए
जो कर दूँ बयाँ तो तुझे नींद से
नफरत हो जाए !!

करवट में कत्ल नींद का इक बार कर के देख
तू भी तो कभी मेरा इंतज़ार कर के देख !!

किसी को नींद आती है मगर ख्वाबों
से नफरत है
किसी को ख्वाब प्यारे हैं मगर वो
सो नहीं सकता !!

नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो कि सो
जाओ कल बात करेंगे
अब वो ही हमें समझाए कि कल
तक हम क्या करेंगे !!

हर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख़्स का
जो कभी कहा करता था तुमसे बात न करूँ
तो रात भर नींद नहीं आती !!

मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही
अब रातों को जागना अच्छा लगता है
मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं
मगर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है !!

Raat Bhar Neend Nahi Aati Shayari

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है

उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए

आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझ को तो नींद भी नहीं आती

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई

नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उन की आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई

थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब

वस्ल हो या फ़िराक़ हो ‘अकबर’
जागना रात भर मुसीबत है

सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई

मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है

ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में

शाम से उन के तसव्वुर का नशा था इतना
नींद आई है तो आँखों ने बुरा माना है

नींद भी जागती रही पूरे हुए न ख़्वाब भी
सुब्ह हुई ज़मीन पर रात ढली मज़ार में

बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया
लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद आ रही है

नींद को लोग मौत कहते हैं
ख़्वाब का नाम ज़िंदगी भी है

हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैं
हमें रातों को नींद आती नहीं है

मालूम थीं मुझे तिरी मजबूरियाँ मगर
तेरे बग़ैर नींद न आई तमाम रात

चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़े मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िर
न नींद नैनाँ न अंग चैनाँ न आप आवे न भेजे पतियाँ

नींद पर फनी शायरी

कैसा जादू है समझ आता नहीं
नींद मेरी ख़्वाब सारे आप के

नींदों में फिर रहा हूँ उसे ढूँढता हुआ
शामिल जो एक ख़्वाब मिरे रत-जगे में था

नींद पर फनी शायरी
नींद पर फनी शायरी

तारों का गो शुमार में आना मुहाल है
लेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे

भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद
वो ख़्वाब है तो यूँही देखने से गुज़रेगा

अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकी
आँखों में नींद भी है बहुत रात कम भी है

तन्हाई से आती नहीं दिन रात मुझे नींद
या-रब मिरा हम-ख़्वाब ओ हम-आग़ोश कहाँ है

देने वाले तू मुझे नींद न दे ख़्वाब तो दे
मुझ को महताब से आगे भी कहीं जाना है

चोर है दिल में कुछ न कुछ यारो
नींद फिर रात भर न आई आज

नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में
कोई दीवाने की ज़ंजीर हिला देता है

काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो

मौत बर-हक़ है एक दिन लेकिन
नींद रातों को ख़ूब आती है

कभी दिखा दे वो मंज़र जो मैं ने देखे नहीं
कभी तो नींद में ऐ ख़्वाब के फ़रिश्ते आ

तुम्हारी आँख में कैफ़िय्यत-ए-ख़ुमार तो है
शराब का न सही नींद का असर ही सही

टूटती रहती है कच्चे धागे सी नींद
आँखों को ठंडक ख़्वाबों को गिरानी दे

जिन को नींदों की न हो चादर नसीब
उन से ख़्वाबों का हसीं बिस्तर न माँग

नींद का काम गरचे आना है
मेरी आँखों में पर नहीं आती

बड़ी तवील है ‘महशर’ किसी के हिज्र की बात
कोई ग़ज़ल ही सुनाओ कि नींद आ जाए

कल रात जगाती रही इक ख़्वाब की दूरी
और नींद बिछाती रही बिस्तर मिरे आगे

नींद आँख में भरी है कहाँ रात भर रहे
किस के नसीब तुम ने जगाए किधर रहे

नींद टूटी है तो एहसास-ए-ज़ियाँ भी जागा
धूप दीवार से आँगन में उतर आई है

मोमिन मैं अपने नालों के सदक़े कि कहते हैं
उस को भी आज नींद न आई तमाम शब

कल वस्ल में भी नींद न आई तमाम शब
एक एक बात पर थी लड़ाई तमाम शब

मैं अपनी अंगुश्त काटता था कि बीच में नींद आ न जाए
अगरचे सब ख़्वाब का सफ़र था मगर हक़ीक़त में आ बसा हूँ

कू-ए-जानाँ से जो उठता हूँ तो सो जाते हैं पाँव
दफ़अ’तन आँखों से पाँव में उतर आती है नींद

उदास आँखों की वीरान माँग भरने को
ये नींद ख़्वाब का सिंदूर ले के आई है

तेरे पहलू में ज़रा देर को सुस्ता लूँगा
तुझ तक आ पहुँचा अगर नींद में चलता हुआ मैं

कहो तो किस तरह आवे वहाँ नींद
जहाँ ख़ुर्शीद-रू हो आ के हम-ख़्वाब

हमारे ख़्वाब सलामत रहें तुम्हारे साथ
ये बात काफ़ी है दुनिया की नींद उड़ाने को

ऐ शब-ए-ख़्वाब ये हंगाम-ए-तहय्युर क्या है
ख़ुद को गर नींद से बेदार किया है मैं ने

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