180+ Majburi Shayari in Hindi | मजबूरी शायरी 2025

Majburi Shayari

ज़िंदगी में हर इंसान कभी न कभी ऐसी हालत से गुजरता है जहां मजबूरियां उसे अपनी चाहतों और ख्वाहिशों से दूर कर देती हैं। दिल बहुत कुछ चाहता है, लेकिन हालात अक्सर उसके खिलाफ खड़े हो जाते हैं। Majburi Shayari In Hindi इन्हीं दर्द भरे एहसासों को शब्दों में ढालती है। इस लेख में आपको ऐसी शायरियां मिलेंगी जो मजबूरी की सच्चाई और दिल की बेबसी को बयां करती हैं। ये शायरियां पढ़कर आप महसूस करेंगे कि कभी-कभी खामोश आंसू भी मजबूरी की कहानी कह जाते हैं।

Majburi Shayari in Hindi

मजबूरी ही इंसान को जीना सिखाती है
इसी से जिंदगी की कहानी लिखी जाती है..!!!

किसी की मजबूरी पे हँसना नही चाहिए
क्या पता किस हाल में वो जी रहा हो..!!!

मजबूरी में जब कोई जुदा होता है
ज़रूरी नही कि वो बेवफ़ा होता है
देकर तुम्हारी आँखों में आँसू
अक्सर खुद का दिल भी रोता है..!!!

Majburi Shayari in Hindi
Majburi Shayari in Hindi

थके लोगों को मजबूरी में
चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये
तमाशे देख लेता हूँ..!!!

कोई मजबूरी होगी जो वफा
कर ना सके
मेरे मेहबूब को ना शामिल
करो बेवफाओ में !!

मजबूरियों के नाम है जिंदगी
कही सुबह तो कही शाम है जिंदगी
आप मुझे मजबूर ना करो इश्क करने को
कही छुप कर दो कही सरेआम है जिंदगी.!!

जब बदलने की
आदत होती है किसी की
फिर मजबूरियां रखनी
होती है भूलने की..!

उसकी बेवफाई के
चर्चे सारे शहर मे थे
उसकी मजबूरी उसके
भीतर ही दफन हो गई..!

अकेला कहां है कोई
इंसान इस जहान में
मजबूरियां और जरूरते
साथ लिए फिरता है..!

ए जिंदगी बहुत मजबूर थे हम
क्या करे नशे में चूर थे हम..!

Majburi Shayari 2 Line

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते

तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर
तू ने वादा किया था याद तो कर

Majburi Shayari 2 Line
Majburi Shayari 2 Line

ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है

हाए रे मजबूरियाँ महरूमियाँ नाकामियाँ
इश्क़ आख़िर इश्क़ है तुम क्या करो हम क्या करें

मिरी मजबूरियाँ क्या पूछते हो
कि जीने के लिए मजबूर हूँ मैं

एहसान ज़िंदगी पे किए जा रहे हैं हम
मन तो नहीं है फिर भी जिए जा रहे हैं हम

इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी
कि हम ने आह तो की उन से आह भी न हुई

हाए ‘सीमाब’ उस की मजबूरी
जिस ने की हो शबाब में तौबा

ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं

क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी ‘क़तील’
मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया

वहशतें इश्क़ और मजबूरी
क्या किसी ख़ास इम्तिहान में हूँ

मैं चाहता हूँ उसे और चाहने के सिवा
मिरे लिए तो कोई और रास्ता भी नहीं

जो कुछ पड़ती है सर पर सब उठाता है मोहब्बत में
जहाँ दिल आ गया फिर आदमी मजबूर होता है

मैं ने सामान-ए-सफ़र बाँध के फिर खोल दिया
एक तस्वीर ने देखा मुझे अलमारी से

न-जाने कौन सी मजबूरियाँ हैं जिन के लिए
ख़ुद अपनी ज़ात से इंकार करना पड़ता है

आज़ादियों के शौक़ ओ हवस ने हमें ‘अदील’
इक अजनबी ज़मीन का क़ैदी बना दिया

दुश्मन मुझ पर ग़ालिब भी आ सकता है
हार मिरी मजबूरी भी हो सकती है

रस्म-ओ-रिवाज छोड़ के सब आ गए यहाँ
रक्खी हुई हैं ताक़ में अब ग़ैरतें तमाम

पर कटे पंछियों से पूछते हो
तुम में उड़ने का हौसला है क्या

हाए मोहब्बत की मजबूरी
रोना भी आसान नहीं है

हालात से मजबूर शायरी

कुछ तो मजबूरी
उसकी भी रही होगी
यूं ही नही कोई अपने
प्यार को छोड़ देता है..!

मेरी मजबूरी को समझो जो
तुम्हारा साथ ना दे पाई
दिल तो मेरा यही चाहता है
की बन जाऊं तेरी परछाई..!

किसी की मजबूरी
कोई समझता नहीं
दिल टूटे तो दर्द होता है
मगर कोई कहता नहीं !!

हालात से मजबूर शायरी
हालात से मजबूर शायरी

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी
हमने अक्सर मजबूरी और बेबसी देखी
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें
हमने तो खुद अपनी तकदीर
की बेबसी देखी !!

क्या गिला करें तेरी मजबूरियों का हम
तू भी इंसान है कोई खुदा तो नहीं
मेरा वक़्त जो होता मेरे मुनासिब
मजबूरिओं को बेच कर तेरा
दिल खरीद लेता !!

आप दिल से यूँ पुकारा ना करो
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !!

मजबूरियॉ ओढ़ के निकलता हूं
घर से आजकल
वरना शौक तो आज भी है
बारिशों में भीगनें का !!

चाँद की चांदनी आँखों में उतर आयी
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई !!

मिलना एक इत्तेफ़ाक है
और बिछड़ना मजबूरी है
चार दिन की इस जिन्दगी में
सबका साथ होना जरूरी है !!

कितने मजबूर हैं हम
प्यार के हाथों
ना तुझे पाने की औकात
ना तुझे खोने का हौसला !!

जब कोई आपसे मजबूरी में जुदा होता है
जरूरी नही वो इंसान वेबफा होता है
जब कोई देता आपको जुदाई के आँसू
तन्हाइयों में वो आपसे ज्यादा रोता है !!

फिर यूँ हुआ कि जब भी
जरुरत पड़ी मुझे
हर शख्स इत्तफाक से
मजबूर हो गया !!

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो
तेरा नाम न ले !!

हमने खुदा से बोला वो छोड़ के चली गई
न जाने उसकी क्या मजबूरी थी
खुदा ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी !!

दम तोड़ जाती है हर शिकायत
लबों पे आकर
जब मासूमियत से वो कहती है
मैंने क्या किया है !!

मजबूरी Sad शायरी

क्यूँ करते हो वफ़ा का सौदा
अपनी मजबूरिओं के नाम पर
मैं तो अब भी वो ही हूँ
जो तेरे लिए जमाने से लड़ा था !!

किसी की मजबूरी का मजाक
ना बनाओ यारों
जिन्दगी कभी मौका देती है तो
कभी धोखा भी देती है !!

लिख दूं किताबें तेरी मासूमियत
पर फिर डर लगता है
कहीं हर कोई तेरा तलबगार
ना हो जाये !!

महफिल मैं कुछ तो सुनाना पडता है
ग़म छुपाकर मुस्कुराना पडता है
कभी उनके हम भी थे दोस्त
आज कल उन्हे याद दिलाना पडता है !!

उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है
उन से कह न पाना हमारी मजबूरी है
वो क्यू नै समझते हमारी खामोशी को

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी !!

मजबूरी में जब जुदा होता है
ज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता है
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है !!

You can also read Sad Shayari 2 Line

बोझ उठाना शौक़ कहाँ है
मजबूरी का सौदा है रहते रहते
स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं !!

माना के मर जाने पर भुला दिए जाते है
लोग जमाने में पर मै तो अभी जिन्दा हूँ
फिर कैसे उसने मुझे भुला दिया !!

मिलना एक इत्तेफ़ाक है,
और बिछड़ना मजबूरी है,
चार दिन की इस जिन्दगी में,
सबका साथ होना जरूरी है.,

इंसान मजबूर होता नहीं हैं बल्कि परिस्तिथियाँ उसे मजबूर बनाती है,
इंसान पैसो के पीछे भागना नहीं चाहता पर जरूरते उसे दौड़ाती है.,

ना जाने उसकी मज़बूरी रही होगी,
बड़ी बेरहमी से दिल तोड़ा है उसने मेरा.,

अगर तेरी मजबूरी है भूल जाने की,
तो मेरी आदत है तुझे याद रखने की.,

हर कोई किसी की मज़बूरी नहीं समझता,
दिल से दिल की डोरी नहीं समझता,
कोई तो किसी के बिना मर मर के जीता है,
और कोई कीड़ी को याद करना भी ज़रूरी नशी समझता.

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे,
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले,
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे,
मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ले.,

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी.,

नविश्ता था, जो हो गया, इसमें तेरी ख़ता नहीं,
चलो मान लेते हैं तू मजबूर था, बेवफा नहीं.,

एक बार और देख कर आज़ाद कर दे मुझे,
में आज भी तेरी पहली नज़र के क़ैद में हूँ.,

Halat Majburi Shayari

वो मजबूरियों से घिरा है, वो मजबूर बहुत है,
वो डरता नहीं मोहब्बत से, इसलिए मशहूर बहुत है.,

हरा सकती है, डरा सकती है, वो मजबूरी है,
वो इंसान से कुछ भी करा सकती है.,

हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में,
मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये.,

Halat Majburi Shayari
Halat Majburi Shayari

ज़िन्दगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ,
मगर किसी के हालात और मजबूरी का नहीं.,

जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है,
वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है.,

खोजोगे तो हर मंज़िल की राह मिल जाती है,
सोचोगे तो हर बात की वजह मिल जाती है,
ज़िंदगी इतनी मजबूर भी नही ऐ दोस्त,
प्यार भी जीने की वजह बन जाती है.,

जब कोई मजबूरी में जुदा होता है,
जरूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,
देखकर आंसू आपकी आँखों में,
उसका भी दिल आपसे ज्यादा रोता है.,

उसको तो सही से बिछड़ना भी नहीं आता,
जाते-जाते भी खुद को मेरे दिल में छोड़ गये.,

संवर रहें हैं वो अब किसी और के खातिर,
पर हम तो आज भी बिखरे हैं उन्ही के खातिर.,

दिल में लगी आग, जब वो ख़फ़ा हुए,
ये महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
वफ़ा करके तो कुछ दे न सके वो,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए.,

मजबूरियों को तुम्हारी समझते-समझते,
हर बात तुम्हारी समझ गए हम.,

जब कोई मजबूरी में जुदा होता है,
जरूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,
देखकर आंसू आपकी आँखों में,
उसका भी दिल आपसे ज्यादा रोता है.,

कभी दिलों में हंसी तो कभी गम भी हैं,
मुस्कुराती हुई आँखें कभी नम भी हैं,
होठों की मुस्कान कभी फीकी ना हो आप की,
क्यूंकि आपकी मुस्कुराहट के दीवाने हम भी हैं.,

एहसासों की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,
रेत अगर सूखी हो तो हाथों से फिसल ही जाती है.,

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी.,

हमने खुदा से बोला वो छोड़ के चली गई,
न जाने उसकी क्या मजबूरी थी,
खुदा ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं,
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी.,

चाँद की चांदनी आँखों में उतर आयी,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई.,

ये दिल मेरा हैं, लेकिन फिर भी तेरा हैं,
दर्द तुमको होता हैं,तो क्यों रोता दिल मेरा हैं.,

मैं तो दीवाना तेरा हूं, फिर मैं तेरा क्यों ना बन पाऊ.,
जो तू मेरी ना बनी तो मैं जीते जी मर जाऊ.,

मैंने तुझसे प्यार किया नहीं,
फिर भी तू मुझसे ही प्यार किया,
जाते – जाते तू ये भी नहीं कहा,
मैं तेरे लिए किस तरह से जिया.,

तू मेरे लिए बहुत कुछ कि
तुझसे अब शिकायत नहीं करना,
सोचे थे कि साथ – साथ जियेगें,
लेकिन अब अकेले ही है मरना.,

मेरे लिए वो ओर हम उसके लिए रोते रहे,
जमाना तो इस प्यार का दुश्मन बने रहे,
करते तो हम क्या करते,
सब अलग करने का कोशिश करते रहे.,

जाने क्या ऎसी मजबूरी थी,
दोनों पास होके भी दूरी थी,
हम दोनों को मिलने ही ना मिला,
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी.,

मेरी थी वो लेकिन मेरी ना बन पाई,
जाने क्या जो थी इसकी मजबूरी.,

तू मेरे लिए हवा की तरह जरूरी है,
तेरे बिना जीना तो बस मजबूरी है.,

मजबूरी में और कुछ करो या न इतना जरुर करना,
मजबूर होकर कभी किसी से कोई वादा मत करना.,

क्या गिला करें तेरी मजबूरियों का हम,
तू भी इंसान है कोई खुदा तो नहीं,
मेरा वक़्त जो होता मेरे मुनासिब,
मजबूरिओं को बेच कर तेरा दिल खरीद लेता.,

क्यूँ करते हो वफ़ा का सौदा,
अपनी मजबूरिओं के नाम पर,
मैं तो अब भी वो ही हूँ,
जो तेरे लिए जमाने से लड़ा था.,

कितने मजबूर हैं हम,
प्यार के हाथों,
ना तुझे पाने की औकात,
ना तुझे खोने का हौसला.,

न पोच मेरे सर्ब की इम्तेहान कहाँ तक है,
तो सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है.,
वफ़ा कि उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हम्हे देखना है तो बेवफा कहाँ तक है.,

फ़र्ज़ थे जो मेरा निभा दिया मैंने,
उसने मनाग जो वो सब दे दिया मैंने,
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हु गए,
समझ के खुवाब उसके आखिर भुला दिया मैंने.,

जब कोई ख्याल दिल से टकराता है,
दिल न च कर भी खामोश रह जाता है,
कोई सब कुछ कहे पियार जताता है,
कोई कुछ बिना कहे भी सब बोल जाता है.,

हर कोई किसी की मज़बूरी नहीं समझता,
दिल से दिल की डोरी नहीं समझता,
कोई तो किसी के बिना मर मर के जीता है,
और कोई कीड़ी को याद करना भी ज़रूरी नशी समझता.,

तुझसे दूर रहेकर मोहब्बत बढ़ती जा रही है,
केसे कहूँ ये दुरी तुझे और करीब ला रही है.,

हकीक़त जान लो जुदा होने से पहले,
मेरी सुन को अपनी सुनाने से पहेले,
ये सोच लेना भुलाने से पहेले,
बहुत रोयी है ये आँखें मुश्कुराने से पहेले.,

काश तो समझ सकता किसी के उसूलों को,
किसी की साँसों में समां कर उसे तनहा नहीं करते.,

एक बार और देख कर आज़ाद कर दे मुझे,
में आज भी तेरी पहली नज़र के क़ैद में हूँ.,

जाने क्या ऎसी मजबूरी थी,
दोनों पास होके भी दूरी थी,
हम दोनों को मिलने ही ना मिला,
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी.,

अगर तेरी मजबूरी है भूल जाने की,
तो मेरी आदत है तुझे याद रखने की.,

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहेने दे इश्क कौन सा ज़रूरी है.,

बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे,
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ.,

Ghar ki Majburi Shayari

मजबूरी जैसी भी हो बताना मत,
यहाँ सभी के पास दिमाग है दिल से कोई नहीं सुनेगा.,

किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं,
दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं.,

कितने मजबूर हैं हम प्यार के हाथों,
ना तुझे पाने की औकात ना तुझे खोने का हौसला.,

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी.,

आप दिल से यूँ पुकारा ना करो,
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो,
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी,
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो.,

चाँद की चांदनी आँखों में उतर आयी,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई.,

जब कोई आपसे मजबूरी में जुदा होता है,
जरूरी नही वो इंसान वेबफा होता है,
जब कोई देता आपको जुदाई के आँसू,
तन्हाइयों में वो आपसे ज्यादा रोता है.,

मेहफिल मैं कुछ तो सुनाना पडता है,
ग़म छुपाकर मुस्कुराना पडता है,
कभी उनके हम भी थे दोस्त,
आज कल उन्हे याद दिलाना पडता है.,

वो रोए बहुत पर मुह मोड़ के रोए,
कोई तो मजबूरी होगी दिल तोड़ कर रोए,
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े,
पता चला पीछे वो उन्हें जोड़ के रोए.,

अस्पताल एक ऐसी जगह है,
जहां कोई नहीं जाना चाहता,
पर मजबूरी में सबको जाना पड़ता है.,

ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है,
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारो की तरह,
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सके,
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह.,

मजबूरी में जब जुदा होता है,
ज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता है,
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू,
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है.,

ये न समझ के मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है,
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई तो मेरी वफ़ा में आज भी है.,

Halat se Majboor Shayari

ये न समझ के मैं भूल गया हूँ तुझे
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत
सच्चाई तो मेरी वफ़ा में आज भी है !!

वो रोए बहुत पर मुह मोड़ के रोए
कोई तो मजबूरी होगी दिल तोड़ कर रोए
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े
पता चला पीछे वो उन्हें जोड़ के रोए !!

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मजबूरी है
तो रहने दो इश्क़ भी कौन सा जरूरी है !!

खामोशी समझदारी भी है
और मजबूरी भी
कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है
और कहीं दूरी भी !!

ज़िंदगी में कुछ ऐसे रास्ते भी आते
कभी-कभी
जंहा से गुजरना सिर्फ़ और सिर्फ़
मज़बूरी होती हैं !!

अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में
बेगाना बना दिया
भर गया दिल हमसे और मजबूरी
का बहाना बना दिया !!

Majburi Shayari for Gf

आती जाती साँसों सी कट रही है ज़िन्दगी
साँस लेना ज़िन्दगी की मज़बूरी हो जैसे !!

कोई मजबूरी होगी जो वो याद
नहीं करते
सम्भल जा ऐ दिल तुझे तो रोने
का बहाना चाहिए !!

क्या थी मजबूरी तेरी
जो रस्ते बदल लिए तूने
हर राज कह देने वाले
क्यों इतनी सी बात छुपा ली तूने

किसी की अच्छाई का
इतना भी फायदा मत उठाओ
कि वो बुरा बनने के लिये
मजबूर बन जाये !!

अगर तेरी मजबूरी है भूल जाने की
तो मेरी आदत है तुझे याद रखने की !!

यही तो मज़बूरी है यारों पत्तों में जेक
और लाइफ में ब्रेक लगती है
तब ना इक्का काम आता है ना सिक्का !!

एक मजबूर का तन बिकता है
मन बिकता है इन दुकानों में शराफ़त
का चलन बिकता है !!

गुजारिश हमारी वह मान न सके
मज़बूरी हमारी वह जान न सके
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे
जीते जी हमें पहचान न सके !!

मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ
घर से आज कल
वरना शौक तो आज भी है
बारिशों में भीगने का !!

जिंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियां मजबूरियां तन्हाइयां !!

वो मजबूरियों से घिरा है
वो मजबूर बहुत है
वो डरता नहीं मोहब्बत से
इसलिए मशहूर बहुत है !!

किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ दोस्तों !
जिन्दगी कभी मौका देती है ।
तो कभी धोखा भी देती है !

किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं !
दिल टूटे तो दर्द होता है, मगर कोई कहता नहीं !

“मजबूरी में जब कोई जुदा होता है,
जरूरी नहीं की वो बेवफा होता है,
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू,
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है !

ऐसा नही है की वक्त ने मौका नहीं दिया,
हम आगे बढ़ सकते थे,
पर तूने मजबूर किया !

Insan ki Majburi Shayari

क्या गिला करें तेरी मजबूरियों का हम,
तू भी इंसान है कोई खुदा नहीं,
मेरा वक़्त जो होता मेरे मुनासिब,
मजबूरिओं को बेच कर तेरा,
दिल खरीद लेता ।

“होगी कोई मजबूरी उसकी भी,
जो बिन बताएं चला गया,
वापस भी आया तो किसी
और का होकर आया !

उसे चाहना हमारी कमजोरी है !
वो क्यू न समझते हैं हमारी खामोशी को ।
उन से कह न पाना हमारी मजबूरी है !

थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ!
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ

“आप दिल से यूँ पुकारा ना करो !
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो,
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी,
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !

हरा सकती है ! डरा सकती है!
वो मजबूरी है साहब !
वो इंसान से कुछ भी करा सकती है।

बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है ,
रहते रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं ।

पढ़ने की उम्र में उसने बच्चे से मजदूरी कराई थी,
वह मजदूरी नही साहब मजबूरी थी।

आपने मजबूर कर दिया,
जाने क्यों खुद से दूर कर दिया,
अब भी यही सवाल है दिल में,
हमने क्या ऐसा कसूर कर दिया ।

ऐसी भी क्या मजबूरी आ गई थी जनाब ।
की आपने हमारी चाहत का कर्ज धोका दे कर चुकाया !

“किसी की अच्छाई का इतना भी फायदा मत उठाओ !
कि वो बुरा बनने के लिए मजबूर हो जाये ।

किसी की मजबूरी शायरी
” बहाना कोई तो दे ऐ जिंदगी !
की जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ ।

वो हमेशा बात बनाती क्यों थी,
मेरी झुठी कसम खाती क्यों थी,
मजबूरियों का बहाना बना कर
मुझ से दामन छुड़ाती क्यों थी !

कई लोग तो बस दिखाते हैं अमीरी,
समझते नहीं हैं दूसरों की मजबूरी ।

मजबूर इस दिल की धड़कन
तुम सुनने की कोशिश तो करते,
जा रहा हूं दूर तुम्हारी जिंदगी से
मुझे रोकने का दिखावा तो करते।

“मैं बोलता हूँ तो इल्जाम है बगावत का,
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है ।

कितने मजबूर हैं हम प्यार के हाथों,
ना तुझे पाने की औकात,
ना तुझे खोने का हौसला !

नहीं कर सकता तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी,
जरा समझा करो तुम मेरी मजबुरी !

अपने टूटे हुए सपनों को बहुत जोड़ा,
वक्त और हालत ने मुझे बहुत तोड़ा,
बेरोजगारी इतने दिन तक साथ रही की,
मजबूरी में हमने शहर छोड़ा !

हमने खुदा से बोला वो छोड़ के चले गये !
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी !
खुदा ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं !
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी ।

मजबूरी हैं सांसों की जो चल रही है,
वरना जिंदगी तो कब की थम गई हैं !

“मजबूरियॉ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आज कल,
वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगनें का।

क्या गिला करें तेरी मजबूरियों का हम,
तू भी इंसान है कोई खुदा तो नहीं,
मेरा वक्त जो होता मेरे मुनासिब,
मजबूरियों को बेच कर तेरा दिल खरीद लेता !

किसी गिरे इन्सान को उठाने आये या ना आये,
ये जमाने वाले मजबुरी में पड़े इंसान का फायदा,
उठाने जरुर आयेंगे !

जीने की चाह थी पर मजबूर थे कितने,
तलाश थी हमें तुम्हारी पर तुम दूर थे कितने ।

किसी की अच्छाई का इतना फायदा न उठायें,
कि वो बुरा बनने के लिए मजबूर हो जाए ।

तुम बेवफा नहीं ये तो धड़कने भी कहती हैं,
अपनी मजबूरी का एक पैगाम तो भेज देते !

मोहब्बत किस को कहते हैं,
मोहब्बत कैसी होती हैं,
तेरा मजबूर कर देना,
मेरा मजबूर हो जाना ।

Majburi Status in Hindi

तुम बेवफा नहीं थे ये मैं भी जान गया होता
कभी तुमने अपनी मजबूरी बताई तो होती ।

ये न समझ के मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है,
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई तो मेरी वफा में आज भी है !

Majburi Status in Hindi
Majburi Status in Hindi

गरीब अक्सर तबियत का बहाना बनाकर,
मजबूरियाँ छुपा जाते हैं !

इस सारे जहाँन में एक लड़की पसंद आयी,
और वो भी न मिली तो तकलीफ तो होगी न !

दोनों का मिलना मुश्किल है,
दोनों हैं मजबूर बहुत,
उस के पाँव में मेहंदी लगी है,
और मेरे पाँव में छाले हैं ।

हर मरीज का इलाज मिलता था उस बाजार में,
मोहब्बत का नाम लिया दवाखाने बन्द हो गये !

कभी गम तो कभी खुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराजगी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी !

क्यूँ करते हो वफा का सौदा,
अपनी मजबूरिओं के नाम पर,
मैं तो अब भी वो ही हूँ,
जो तेरे लिए जमाने से लड़ा था ।

इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी,
कि हम ने आह तो की उन से आह भी न हुई !

फिर यूँ हुआ कि जब भी जरुरत पड़ी मुझे,
हर शख्स इत्तफाक से मजबूर हो गया !

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे,
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले,
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे,
मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ले ।

हालात शिखात है लोगो की बातें सुनना और सहन करना,
वरना सब अपने स्वभाव से राजा ही होते हैं ।

क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम,
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी !

ब बदलने की आदत होती है किसी की,
फिर मजबूरियां रखनी होती है भूलने की !

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है !
वज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है !

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