220+ Ghamand Shayari In Hindi 2025

Ghamand Shayari

ज़िंदगी में सफलता पाना अच्छी बात है, लेकिन उस पर घमंड करना इंसान को कभी ऊंचाई तक नहीं ले जाता। घमंड रिश्तों को तोड़ देता है और इंसानियत को छोटा कर देता है। Ghamand Shayari In Hindi इन्हीं सच्चाइयों और अनुभवों को शायराना अंदाज़ में सामने लाती है। इस लेख में आप पढ़ेंगे ऐसी शायरियां जो घमंड के परिणाम और विनम्रता की अहमियत को खूबसूरती से बयान करती हैं। ये शायरियां न सिर्फ दिल को छुएंगी बल्कि आपको सोचने पर भी मजबूर कर देंगी कि सच्ची महानता हमेशा नम्रता में होती है।

Ghamand Shayari In Hindi

आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

Ghamand Shayari In Hindi
Ghamand Shayari In Hindi

अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया
हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया

आसमानों में उड़ा करते हैं फूले फूले
हल्के लोगों के बड़े काम हवा करती है

रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना
रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है

वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का है
कि सारी बात मोहब्बत में रख-रखाव की थी

ये सोच के दानिस्ता रहा उस से बहुत दूर
मग़रूर है दरिया मुझे प्यासा न समझ ले

पड़े हैं फीके ये चाँद तारे भी इस के आगे
कहाँ से लाई हो तुम ये हुस्न-ओ-जमाल लड़की

बुलंदियों पर ज़रा तकब्बुर से दूर रहना
वगरना ये ही बनेगा वज्ह-ए-ज़वाल लड़की

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया
हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया

अकड़ और घमंड शायरी

आइना देख कर ग़ुरूर फ़ुज़ूल
बात वो कर जो दूसरा न करे

आँखों का था क़ुसूर न दिल का क़ुसूर था
आया जो मेरे सामने मेरा ग़ुरूर था

जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का
कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का

अकड़ और घमंड शायरी
अकड़ और घमंड शायरी

बहुत ग़ुरूर है तुझ को ऐ सर-फिरे तूफ़ाँ
मुझे भी ज़िद है कि दरिया को पार करना है

करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो
कि ग़ुरूर-ए-इश्क़ का बाँकपन पस-ए-मर्ग हम ने भुला दिया

सर को न फेंक अपने फ़लक पर ग़ुरूर से
तू ख़ाक से बना है तिरा घर ज़मीन है

ग़ुरूर भी जो करूँ मैं तो आजिज़ी हो जाए
ख़ुदी में लुत्फ़ वो आए कि बे-ख़ुदी हो जाए

ज़रा नक़ाब-ए-हसीं रुख़ से तुम उलट देना
हम अपने दीदा-ओ-दिल का ग़ुरूर देखेंगे

सँभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया
इक ऐसी बात कही उस ने लड़खड़ाते हुए

हम और लोग हैं हम से बहुत ग़ुरूर न कर
कलीम था जो तिरा नाज़ सह गया होगा

कभी हया उन्हें आई कभी ग़ुरूर आया
हमारे काम में सौ सौ तरह फ़ुतूर आया

ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्बा-ए-ज़ुलेख़ा देख
किया है इश्क़ ने यूसुफ़ ग़ुलाम आशिक़ का

तू सिर्फ़ मेरी है उस का ग़ुरूर है मुझ को
अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं

आरिज़ पे तेरे मेरी मोहब्बत की सुर्ख़ियाँ
मेरी जबीं पे तेरी वफ़ा का ग़ुरूर है

हज़ार दाम से निकला हूँ एक जुम्बिश में
जिसे ग़ुरूर हो आए करे शिकार मुझे

जिन सफ़ीनों ने कभी तोड़ा था मौजों का ग़ुरूर
उस जगह डूबे जहाँ दरिया में तुग़्यानी न थी

Rishte Ghamand Shayari

ज़ाहिद सँभल ग़ुरूर ख़ुदा को नहीं पसंद
फ़र्श-ए-ज़मीं पे पाँव दिमाग़ आसमान पर

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

Rishte Ghamand Shayari
Rishte Ghamand Shayari

शाम-ए-फ़िराक़ आई तो दिल डूबने लगा
हम को भी अपने आप पे कितना ग़ुरूर था

मुझे यूँ अपने से दूर कर के न ख़ुश रहोगे ग़ुरूर कर के
सो मुझ से कुछ फ़ासले पे रक्खो ये रख-रखाव मुझे मनाओ

ग़ुरूर-ए-हुस्न सरापा नियाज़ हो तेरा
तवील रातों में तू भी क़रार को तरसे

इल्म की संजीदा-गुफ़्तारी बुढ़ापे का शुऊ’र
दुनयवी ए’ज़ाज़ की शौकत जवानी का ग़ुरूर

कहने लगा कि देख के चल राह बे-ख़बर
मैं भी कभू किसू का सर-ए-पुर-ग़ुरूर था

जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा
सब ग़ुरूर उन का मैं ख़ाक में मिला दूँगा

ज़रा सी चीज़ है इस पर ग़ुरूर! क्या कहना!
ये अक़्ल और ये समझ ये शुऊर! क्या कहना!

वो काहिशें हैं कि ऐश-ए-जुनूँ तो क्या या’नी
ग़ुरूर-ए-ज़ेहन-ए-रसा भी नहीं रहा अब तो

ब-ईं ख़ुद-सरी वो ग़ुरूर-ए-मोहब्बत
उन्हें सज्दा करने को जी चाहता है

तिरे ग़ुरूर का हुलिया बिगाड़ डालूँगा
मैं आज तेरा गरेबान फाड़ डालूँगा

उस अदा से भी हूँ मैं आश्ना तुझे इतना जिस पे ग़ुरूर है
मैं जियूँगा तेरे बग़ैर भी मुझे ज़िंदगी का शुऊ’र है

किसी ज़माने में इस रह-गुज़र से गुज़रा था
ब-सद ग़ुरूर ओ तजम्मुल इधर से गुज़रा था

किसी का ग़म्ज़ा शराबों से चूर क़ौस-ए-क़ुज़ह
अदा ग़ुरूर जवानी सुरूर इश्वा-गरी

आँखों का था क़ुसूर न दिल का क़ुसूर था
आया जो मेरे सामने मेरा ग़ुरूर था

दुख ग़ुरूर-ए-हश्र के जाना है कौन
किस ने समझी हश्र की दुश्वारियाँ

अभी तो सिर्फ़ कमाल-ए-ग़ुरूर देखा है
तुझे क़सम है तमाशे भी इंकिसार के देख

जो हमारी दस्तरस से रहे दूर दूर अब तक
हमें देखते रहे हैं जो ब-सद ग़ुरूर अब तक

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ग़ुरूर-ए-ज़ोहद ने सिखला दिया है वाइ’ज़ को
कि बंदगान-ए-ख़ुदा पर ज़बाँ दराज़ करे

झुटपुटे का नर्म-रौ दरिया शफ़क़ का इज़्तिराब
खेतियाँ मैदान ख़ामोशी ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब

ग़ुरूर-ए-जाँ को मिरे यार बेच देते हैं
क़बा की हिर्स में दस्तार बेच देते हैं

Matlabi Rishte Ghamand Shayari

उस का वो इज्ज़ तुम्हारा ये ग़ुरूर-ए-ख़ूबी
मिन्नतें उन ने बहुत कीं प न मानी उस की

आज इस क़दर ग़ुरूर ये अंदाज़ ये मिज़ाज
फिरते थे ‘मीर’ ख़्वार अभी कल की बात है

तोड़ डालेंगे किसी दिन घने जंगल का ग़ुरूर
लकड़ियाँ चुनते हुए आग जलाते हुए हम

कम-ज़र्फ़ पुर-ग़ुरूर ज़रा अपना ज़र्फ़ देख
मानिंद जोश-ए-ग़म न ज़ियादा उबल के चल

आ कर तिरी जनाब में ऐ कार-साज़-ए-नूर
पलकों में मुँह छुपाते हैं झेंपे हुए ग़ुरूर

ग़ुरूर-ए-सर्व-ओ-समन से कह दो कि फिर वही ताजदार होंगे
जो ख़ार-ओ-ख़स वाली-ए-चमन थे उरूज-ए-सर्व-ओ-समन से पहले

घमंड से उठता है नफ़रत का तूफ़ान
हंसी ख़ामोशी में छिपी होती है अनमोल मुस्कान..!!!

तेरी अकड़ तुझे रास नहीं आएगी
क्योंकि वक्त सबकी औकात दिखा ही देता है..!!!

घमंड मत कर अपनी ऊँचाई पर ऐ इंसान
ईश्वर के पास जाने के लिए
ज़मीन पर ही आना पड़ता है..!!!

कही पढ़ा था कि सब कुछ छोड़ देना चाहिए
पर तेरा घमंड देखकर लगा
जवाब देना भी ज़रूरी होता है..!!!

बहुत घमंड भी था मुझे तुम्हारा होने का
पर घमंड था ना एक दिन टूटना ही था !!

राज तो हमारा हर जगह पे है
पसंद करने वालों के दिल में
और नापसंद करने वालो के दिमाग में !!

सुन बेटा हमें घमंड मत दिखा
हम हड्डियो से ज्यादा लोगो का
गुरुर तोड़ने का शौक रखते है.!!

तेरी अकड़ दो दिन की कहानी हैं
मेरा गुरूर तो खानदानी हैं !!

कहीं का ग़ुस्सा कहीं की घुटन उतारते हैं
ग़ुरूर ये कि हम काग़ज़ पे फ़न उतारते हैं !!

जब सामने बोलने की औकात ना हो तो
पीठ पीछे भोकना बंद करो कुत्तो
नही तो हस्ती मिटा देगे.!!

बोल दिया होता तुम्हे दर्द देना है ऐ ज़िंदगी
मोहब्बत को बीच में लाने की क्या जरुरत थी !!

जनाब शरीफ लोग हमसे दूर रहे
हम उनकी सेहत के लिए हानिकारक है.!!

वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता हैं
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूढ़ता हैं !!

Ego Rishte Ghamand Shayari

मैं इंसान हूं जनाब खैरात नही
जो सब में बंट जाऊंगा.!!

घमंड से हर कोई दूर होता है
एक ना एक दिन तो
घमंड चूर होता है !!

हम खुदा से उस शक्स को
पाने की दुआ कर बैठे है
जिसे खुद के होने पे ही
इतना घमंड है !!

किस बात का इतना घमंड
किस बात का इतना गुरूर
वक़्त के हाथों बने सब शेर
वक़्त ही करे सब चकनाचूर !!

हम को खरीदने की कोशिश मत करना
हम उन पुरखो के वारिस है
जिन्हो ने ‪मुजरे में ‬हवेलिया दान कर दी थी !!

तूने फेसले ही फासले बढाने वालेकिये थे
वरना कोई नहीं था तुजसे ज्यादा करीब मेरे !!

मैं अन्धेरा हूं तो अफसोस क्यूं करूं
मुझे गुरूर है रोशनी का वजूद मुझसे है !!

जिनमें कुछ नहीं होता है ना
उनमें घमंड बहुत होता है !!

अगर घमण्ड की कीमत मालूम करनी है
तो इसे OLX पर डाल दो
देखते है कितने खरीददार मिलते है !!

किरदार में मेरे भले अदाकारियाँ नहीं हैं
खुद्दारी हैं गुरूर हैं पर मक्कारियाँ नहीं हैं !!

मुझे घमण्ड था अपने चाहने वालो का इस दुनिया में
वक्त क्या पलट गया सब की असलियत सामने आ गई !!

घमंङ में हस्तियाँ और तूफान में कश्तियाँ
अक्सर डूब जाया करती हैं जनाब !!

लगता है तुमने खुद को मेरी नजरो सेदेख लिया
तभी तो इतना घमण्ड लिए घूम रहे हो !!

वक्त और किस्मत पर कभी
घमंड ना करो
सुबह उनकी भी होती है जिन्हे
कोई याद नही करता..!!

मै जानता था तुझे दौलत का
घमंड जरूर होगा
पर ध्यान रखना एक दिन तुझे
मेरे कदमो मे आना ही पड़ेगा !!

घमंड न कर बंदे अपने वक़्त का,
क्योंकि बदलता है ये हर शख्स का..!!

इतना घमंड किस बात का है तुम्हे,
तुम आज जो भी हो ना मेरी वजह से हो..!!

शीशा और घमंड जब भी टूट कर,
चूर होते है ना तो चुभते बहुत है..!!

फायदा नहीं इतना पढ़ कर कामियाब होने का,
अगर गर्व और गुरूर में फ़र्क़ ही न पता चले..!!

जो लोग मुझे समझ ना सके,
उन्हें हक़ है कि मुझे बुरा ही समझे..!!

वक़्त अच्छा आने पर कभी घमण्ड ना करना,
क्योंकि वक़्त का क्या है देखते ही गुज़र जाएगा..!!

मनुष्य अपने अहंकार से,
खुद के रिश्तों को नष्ट कर देता है..!!

उस जगह पे हमेशा खुश रहना,
जहाँ 2 कौड़ी के लोग,
अपनी हैसियत के गुण गाते है..!!

जीत किसके लिए हार किसके लिए,
जिन्दगी भर ये तकरार किसके लिए,
जो भी आया हैं वो जाएगा एक दिन,
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए..!!

घमंड और पेट जब ये दोनों बढ़ते है,
तब इंसान चाह कर भी,
किसी को गले नहीं लगा सकता..!!

Dard Ghamand Shayari

वक्त तो सबका बदलता रहता है,
इस पर घमंड क्या करना,
कुर्सी तो वही रहेगी बस,
आने जाने वाले लगे रहेंगे..!!

लोगो से कह दो हमारी तकदीर से,
जलना छोड़ दे हम घर से दवा नही,
माँ की दुआ लेकर निकलते है..!!

घमंड करु भी तो किस बात का,
मरने के बाद मेरे अपने ही,
मुझे छूने के बाद हाथ धोएंगे..!!

Dard Ghamand Shayari
Dard Ghamand Shayari

घमंड से कभी अपना सिर ऊंचा ना करे,
क्योंकि जीतने वाले भी अपना गोल्ड मैडल,
सिर झुका के हासिल करते है..!!

वक़्त और किस्मत पर कभी घमण्ड ना करना,
क्योंकि सुबह उनकी भी होती है,
जिन्हें कोई याद नही करता..!!

शख्शियत चाहे कितनी भी बड़ी हो,
औकात में रहोगे तो इज़्ज़त मिलेगी..!!

मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत है,
इस दुनिया में बाद में पता चला की,
सब चाहते है अपनी ज़रूरत के लिए..!!

गुरूर तो होना था हमारी मोहब्बत को देखकर,
मगर वो अपनी कदर देख कर हमारी कीमत भूल गए..!!

आपका व्यवहार तय करेगा,
आपसे बात कितनी करनी है..!!

मेरे दिल के दर्द को किसने देखा है,
मुझे बस मेरे खुदा ने तड़पते देखा है,
हम तन्हाई में बैठे रोते हैं,
लोगों ने हमे महफ़िल में हँसते देखा है..!!

जिंदगी में कभी भी अपने किसी हुनर पे घमंड मत करना,
क्यूँकी पत्थर जब पानी में गिरता है तो अपने ही वजन से डूब जाता है..!!

जब काटने वाले भी चाटने लगे,
तो समझ जाना की वक़्त तुम्हारा है..!!

जो ये वक़्त सिखाता है,
वो किसी का बाप नही सीखा सकता..!!

अपनी बुराइयां तमाम होने दो,
वक़्त आने पर सलाम भी आएंगे..!!

हर किसी के दिल में रहना सीखो,
यहाँ घमंड में तो हर कोई रहता हे,
बात सीधे मुँह पर कहना सीखो,
पीठ पीछे तो कोई भी कह लेता हे..!!

वक्त और किस्मत पर कभी भी घमंड मत करना साहब,
क्योकि जब भी ये बदलते हे तो हमारा सब कुछ बदल कर रख देते है..!!

किसी भी चीज का घमंड करेंगे तो बाद में जरूर पछतायेंगे,
क्योकि घमंड सब कुछ चूर कर देता हे,
जिसका घमंड है उसको ही दूर कर देता हे..!!

जिसके पास कुछ नहीं होता,
उनके पास घमंड होता हे..!!

तुझसे अलग होने के बाद मुझे तेरे घमंड का पता चल गया,
लोग सिर्फ पैसे वाले इंसानों से ही बात करना पसंद करते हैं..!!

मत कर इतना घमंड बहुत पछताएगा,
एक दिन खुद ही अपनी नजरो में गिर जाएगा,,!!

गुरूर के भी अजब हैं किस्से
आज मिट्टी के ऊपर कल मिट्टी के नीचे..!!

मुझे तलाश है जो मेरी रुह से प्यार करे,
वरना इन्सान तो पैसों से भी मिल जाया करते हैं..!!

“मत कर घमंड इतना अपने हसीन चहरे पर,
ये खूबसूरती बस पल दो पल के लिए है।”

अक्सर ऊंचाइयों को छूने पर लोग
अपनी वास्तविक पहचान भूल जाते हैं
और जिस दिन अहंकार हावी होता हैं
तब सिवाय पतन के और कुछ हांसिल नहीं होता !!!

किसी भी बात का घमंड करोगे
तो बाद में बेहद पछताओगे
क्यूंकि घमंड सब कुछ चूर है करता
जिसका है घमंड उसको आपसे दूर करता

उस पत्थर को बहुत घमंड था
अपने वजन पर
टूटा जब पानी मे डूब गया

“मत कर घमंड इतना अपने हसीन चहरे पर,
ये खूबसूरती बस पल दो पल के लिए है

घमंड को निकाल दो अपने दिमाग से
नहीं तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा
क्योंकि घमंड सब कुछ चूर कर देता है
आपके नज़दीकियों से आप को दूर कर देता है

घमंड किस बात का है,
इक दिन ये सब मिट्टी में मिल जाना है।

घमंड ना करना ज़िंदगी में तकदीर
बदलती रहती हैं , शीशा वहीं रहता हैं ,
बस तस्वीर बदलती रहती हैं !!!

घमंड न कर बंदे अपने वक़्त का
क्योंकि बदलता है ये हर शख्स का

घमंड चाहें जितने दिन रहा जाए एक
ना एक दिन चकनाचूर होना ही है

मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत है इस दुनिया में
बाद में पता चला की सब चाहते है  अपनी ज़रूरत के लिए

मंजिल पर पहुंचकर इतना मत इतराओ
क्योंकि पहले भी सिकंदर कई हुए
जहां कभी होते थे बादशाहों के महल
आज वहीं उनके मकबरे बने हुए हैं

लोगों को घमंड करने दो,
बस तुम स्वाभिमान ऊंचा रखना।

वक्त और किस्मत पर कभी भी ,
घमंड मत करना साहब क्योंकि
जब भी ये बदलते हैं तो हमारा
सबकुछ बदल कर रख देता हैं !!!

इतना घमंड किस बात का है तुम्हे
तुम आज जो भी हो ना मेरी वजह से हो

जिनके पास कुछ नहीं होता
उनके पास घमंड होता है

घमंड ना करना ज़िंदगी में तकदीर
बदलती रहती हैं , शीशा वहीं रहता हैं
बस तस्वीर बदलती रहती हैं

घमंड’ और ‘पेट’ ये दोनों
यदि दोनों बढ़ जाएं तो इंसान चाह कर भी
अपनों को गले से नहीं लगा सकता

जिसे लोग घमंड समझते हैं,
उन्हे हम अपनी अकड़ कहते हैं।

घमंड मत करना साहब कभी वक्त ,
वजूद और विरासत पर कब खत्म हो जाएंगे
आपको पता भी नहीं चलेगा !!!

किस बात का बन्दे तुझे गुरूर है
कि पैसा और शोहरत चारो ओर है
एक दिन ये सब कुछ छूट जाएगा
तब तू किस बात का घमंड दिखाएगा

गुस्सा और घमंड वहाँ जा कर दिखाओ जहाँ जायज़ है
फ़िजूल का हर पर उड़ेल कर अपना ही खून क्या जलाना

घमंड में हस्तियाँ और तूफान में कश्तियाँ
अक्सर डूब जाया करती हैं जनाब

घमंड के उजालों में कुछ इस कदर गुमनाम हुए
मानो खुद के बनाए हुए बाज़ारों में नीलाम हुए

तुम्हारे बस की बात नहीं है हमे समझ पाना,
तुम टूटके बिखर जाओगे हमे समझने में।

इतना क्यों इतराते हो बुलंदियों
पर पहुँच कर तुम अकेले थोड़ी हो आज
आपका वक्त हैं कल हमारा भी होगा !!!

घमंड जब घुसा इंसान के शरीर में
इंसान झुकने की कोशिश भी खड़े-खड़े करने लगा

दौलत का घमंड शायरी

मुझे लगा तू मेरे प्यार से अंजानी है
पर मैं नहीं जानता था कि
घमंड तेरी निशानी है

जितना गरौर करोगे अपने धन-दौलत पर
उतना ही नीचे गिरोगे अब सोच लो गिरना है या उठना है

सब जानते है उसका घमंड एक दिन मिट जाएगा
फिर भी लोग कहते है जो होगा देखा जाएगा

जो लोग मिले है वो गैर हैं,
सब पर घमंड के पहरे है।

गरीब वो नहीं जो झोंपड़ी में रहता हैं
बल्कि गरीब वो हैं जो अपनी दौलत
का घमंड झोंपड़ी वालों को दिखाता हैं !!!

इस छोटी सी ज़िन्दगी में काम बड़े-बड़े करना
पर कभी गलती से घमंड मत करना

सच्चा ज्ञान वही है जो स्वाभिमान
और घमंड में अंतर करना सिखाये

वक्त और किस्मत पर कभी भी
घमंड मत करना साहब क्योंकि
जब भी ये बदलते हैं तो हमारा
सबकुछ बदल कर रख देता हैं

अगर ज्यादा ही घमंड हैं तो एक बार
समशान होकर जरूर आना , वहाँ जाकर
देखना तुमसे भी ज्यादा हैसियत वाले रख में मिले पड़े हैं !!!

घमंड चाहता है मैं उसे करूँ
पर औकात मेरी मुझे पता है

घमंड चाहें जितने दिन रहा जाए,
एक ना एक दिन चकनाचूर होना ही है।

लोग कीचड़ से इसलिए बचकर निकलते हैं ,
की कहीं कपड़े खराब ना हो जाये
और कीचड़ को घमंड हो जाता हैं की लोग उनसे दर रहे हैं !!!

घमंड से हर कोई दूर होता है
एक ना एक दिन तो घमंड चूर होता है

ना ही तेरी शान कम हो जाती
ना ही रुतबा कम हो जाता
गुस्से में जो कहा था
वही बस हंसकर कहा होता

अपने लिए नहीं तो उन लोगों के लिए कामयाब
बनो जो आपको नाकामयाब देखना चाहते हैं

हर रोज़ मुझे नया कहते हो
और खुद घमंड में रहते हो

उसे घमण्ड था के वो इश्क में नहीं है,
मैने उसकी ये गलतफ़हमी भी दूर कर दी।

मत कर इतना घमंड बहुत पछताएगा
एक दिन खुद ही अपनी नजरो में गिर जाएगा

बड़ा गरुर था इक दरख्त के पत्तों को,
अपनी शान ओ शौकत पर , रूट बदली और हवा चली ,
तो पत्ते फड़फड़ाते नजर आए चौखट पर !!!

तुम खुद बेहद खूबसूरत हो
इसलिए हमसफ़र भी सुन्दर मांगती हो
अपने इस घमंड के तले फिर
कुछ और ना देखना जानती हो

घमंड किस बात का है जनाब
मंजिल तो हमारी एक ही है श्मशान घाट

एक बात याद रखना घमंड के दिन चार होते है
समय जब आता है न तब हर तरफ से वार होते है

टूट ही जाता है यक़ीन प्यार में साथी पर
कितना करोगी घमंड अपनी खूबसूरती पर

उसने कहा आपमे क्या हुनर है,
मैने कहा घमंड तोड़ने का।

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