230+ Duniya Shayari in Hindi 2025

Duniya Shayari

दुनिया एक रंगमंच की तरह है जहाँ हर कोई अपनी-अपनी भूमिका निभा रहा है। कोई सच्चाई में जीता है तो कोई दिखावे में उलझा हुआ है। Duniya Shayari In Hindi इन तमाम पहलुओं को खूबसूरत शब्दों में बयां करती है—कभी तंज के रूप में, तो कभी गहरे एहसास के साथ। ये शायरियां आपको सोचने पर मजबूर करेंगी कि ये दुनिया जैसी दिखती है, वैसी है नहीं। इस लेख में हम आपके लिए कुछ चुनिंदा शायरियों का संग्रह लाए हैं जो दुनिया की सच्चाई और अनुभवों को बेहद सरल लेकिन असरदार अंदाज़ में पेश करती हैं।

Duniya Shayari in Hindi

ऐ ग़म-ए-दुनिया तुझे क्या इल्म तेरे वास्ते
किन बहानों से तबीअ’त राह पर लाई गई

दीदा-ए-बेनूर इक आलम है क्या ये झूट है
हर तरफ़ फैला हुआ है तीरगी का सिलसिला

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया

Duniya Shayari in Hindi
Duniya Shayari in Hindi

दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी

बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है

भीड़ तन्हाइयों का मेला है
आदमी आदमी अकेला है

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से

ये काएनात मिरे सामने है मिस्ल-ए-बिसात
कहीं जुनूँ में उलट दूँ न इस जहान को मैं

इक नज़र का फ़साना है दुनिया
सौ कहानी है इक कहानी से

कर ही क्या सकती है दुनिया और तुझ को देख कर
देखती जाएगी और हैरान होती जाएगी

जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़
वापस हुए तो उस की मोहब्बत ख़फ़ा मिली

कर ही क्या सकती है दुनिया और तुझ को देख कर
देखती जाएगी और हैरान होती जाएगी

ज़माने की कशाकश का दिया पैहम पता मुझ को
कहीं टूटे हुए दिल ने कहीं टूटे हुए सर ने

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली

कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र में शादाँ हो लें
अभी कुछ दिन में समझ जाएँगे दुनिया क्या है

ये दुनिया है यहाँ असली कहानी पुश्त पर रखना
लबों पर प्यास रखना और पानी पुश्त पर रखना

Duniya Shayari 2 Line

ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना
ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते

जब यहाँ रहने के सब अस्बाब यकजा कर लिए
तब खुला मुझ पर कि मैं दुनिया का बाशिंदा न था

Duniya Shayari 2 Line
Duniya Shayari 2 Line

कफ़-ए-अफ़्सोस मलने से भला अब फ़ाएदा क्या है
दिल-ए-राहत-तलब क्यूँ हम न कहते थे ये दुनिया है

कार-ए-दुनिया को भी कार-ए-इश्क़ में शामिल समझ
इस लिए ऐ ज़िंदगी तेरी पता रखता हूँ मैं

दुनिया बदल रही है ज़माने के साथ साथ
अब रोज़ रोज़ देखने वाला कहाँ से लाएँ

गँवा दी उम्र जिस को जीतने में
वो दुनिया मेरी जाँ तेरी न मेरी

फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
दुनिया को यूँ मिटाएगी इक्कीसवीं सदी

दुनिया की क्या चाह करें
दुनिया आनी-जानी है

लाई है कहाँ मुझ को तबीअत की दो-रंगी
दुनिया का तलबगार भी दुनिया से ख़फ़ा भी

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा
एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

You can also read Rajput Shayari in Hindi

क़लंदरी मिरी पूछो हो दोस्तान-ए-जुनूँ
हर आस्ताँ मिरी ठोकर से जाना जाता है

ये दुनिया है यहाँ हर आबगीना टूट जाता है
कहीं छुपते फिरो आख़िर ज़माना ढूँढ ही लेगा

बस हम दोनों ज़िंदा हैं
बाक़ी दुनिया फ़ानी है

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं

इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे
है इस में इक तिलिस्म तमन्ना कहें जिसे

दुनिया है सँभल के दिल लगाना
याँ लोग अजब अजब मिलेंगे

ख़ुदा जाने ये दुनिया जल्वा-गाह-ए-नाज़ है किस की
हज़ारों उठ गए लेकिन वही रौनक़ है मज्लिस की

दुनिया ने ज़र के वास्ते क्या कुछ नहीं किया
और हम ने शायरी के सिवा कुछ नहीं किया

दुनिया बहुत ख़राब है जा-ए-गुज़र नहीं
बिस्तर उठाओ रहने के क़ाबिल ये घर नहीं

एक मैं हूँ कि इस आशोब-ए-नवा में चुप हूँ
वर्ना दुनिया मिरे ज़ख़्मों की ज़बाँ बोलती है

हम कि अपनी राह का पत्थर समझते हैं उसे
हम से जाने किस लिए दुनिया न ठुकराई गई

हाथ दुनिया का भी है दिल की ख़राबी में बहुत
फिर भी ऐ दोस्त तिरी एक नज़र से कम है

मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनिया
मैं तिरी राह से हटा ही नहीं

इक दर्द-ए-मोहब्बत है कि जाता नहीं वर्ना
जिस दर्द की ढूँडे कोई दुनिया में दवा है

उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं
ज़रा सी देर को दुनिया से कट के देखते हैं

मिरी तो सारी दुनिया बस तुम्ही हो
ग़लत क्या है जो दुनिया-दार हूँ मैं

जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने

Zindagi Duniya Shayari

दुनिया तो है दुनिया कि वो दुश्मन है सदा की
सौ बार तिरे इश्क़ में हम ख़ुद से लड़े हैं

दुनिया की रविश देखी तिरी ज़ुल्फ़-ए-दोता में
बनती है ये मुश्किल से बिगड़ती है ज़रा में

एक ख़्वाब-ओ-ख़याल है दुनिया
ए’तिबार-ए-नज़र को क्या कहिए

Zindagi Duniya Shayari
Zindagi Duniya Shayari

थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर ‘अदम’
दुनिया के हादसात ने दीवाना कर दिया

बदल रहे हैं ज़माने के रंग क्या क्या देख
नज़र उठा कि ये दुनिया है देखने के लिए

हम यक़ीनन यहाँ नहीं होंगे
ग़ालिबन ज़िंदगी रहेगी अभी

मैं चाहता हूँ यहीं सारे फ़ैसले हो जाएँ
कि इस के ब’अद ये दुनिया कहाँ से लाऊँगा मैं

दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं

रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है ‘ज़फ़र’
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता

माँ कहती थी दुख तो रहेगा दुनिया में
जैसे सब रहते हैं मेरे ला’ल रहो

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत
समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है

किस ख़राबी से ज़िंदगी ‘फ़ानी’
इस जहान-ए-ख़राब में गुज़री

मुकम्मल दास्ताँ का इख़्तिसार इतना ही काफ़ी है
सुलाया शोर-ए-दुनिया ने जगाया शोर-ए-महशर ने

मुझ को अता हुआ है ये कैसा लिबास-ए-ज़ीस्त
बढ़ते हैं जिस के चाक बराबर रफ़ू के साथ

इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है
अब भी कुछ लोग हैं ज़िंदा कि जहाँ बाक़ी है

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ

कुछ इस के सँवर जाने की तदबीर नहीं है
दुनिया है तिरी ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर नहीं है

पाँव जब सिमटे तो रस्ते भी हुए तकिया-नशीं
बोरिया जब तह किया दुनिया उठा कर ले गए

दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले

अ’याल-ओ-माल ने रोका है दम को आँखों में
ये ठग हटें तो मुसाफ़िर को रास्ता मिल जाए

माशूक़ों से उम्मीद-ए-वफ़ा रखते हो ‘नासिख़’
नादाँ कोई दुनिया में नहीं तुम से ज़ियादा

ये हम ने भी सुना है आलम-ए-असबाब है दुनिया
यहाँ फिर भी बहुत कुछ बे-सबब होता ही रहता है

लेता नहीं किसी का पस-ए-मर्ग कोई नाम
दुनिया को देखना है तो दुनिया से जा के देख

कुछ छलकता है कुछ बिखरता है
सब मिले तो भी सब नहीं मिलता

भला हुआ कि न हाथ आया जामा-ए-पुर-ज़र
गज़ी के कपड़े बदलते तो हम बदल जाते

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे

बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले

दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें
दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल

लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल

दाएम आबाद रहेगी दुनिया
हम न होंगे कोई हम सा होगा

देखो दुनिया है दिल है
अपनी अपनी मंज़िल है

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ

ये सारी जन्नतें ये जहन्नम अज़ाब ओ अज्र
सारी क़यामतें इसी दुनिया के दम से हैं

या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयो
ये महशर-ए-ख़याल कि दुनिया कहें जिसे

और कितनी घुमाओगे दुनिया
हम तो सर थाम कर खड़े हुए हैं

दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ
कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए

कैसे आ सकती है ऐसी दिल-नशीं दुनिया को मौत
कौन कहता है कि ये सब कुछ फ़ना हो जाएगा

जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
दुनिया का इशारा था लेकिन समझा न इशारा, दिल ही तो है

दुनिया मिरे पड़ोस में आबाद है मगर
मेरी दुआ-सलाम नहीं उस ज़लील से

ये दुनिया ग़म तो देती है शरीक-ए-ग़म नहीं होती
किसी के दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

पूछो ज़रा ये कौन सी दुनिया से आए हैं
कुछ लोग कह रहे हैं हमें कोई ग़म नहीं

तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का

सब कुछ है और कुछ भी नहीं दहर का वजूद
‘कैफ़ी’ ये बात वो है मुअम्मा कहें जिसे

तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ

जुनून-ए-मोहब्बत ने ये दिन दिखाया
कि दुनिया में रुस्वा हुआ चाहता हूँ

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे

साथ दुनिया का नहीं तालिब-ए-दुनिया देते
अपने कुत्तों को ये मुर्दार लिए फिरती है

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

Meri Duniya Shayari

हमें ख़बर है ज़न-ए-फ़ाहिशा है ये दुनिया
सो हम भी साथ इसे बे-निकाह रखते हैं

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा
अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली

मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती
दुनिया के मसाइब का सबब और ही कुछ है

Meri Duniya Shayari
Meri Duniya Shayari

दुनिया में हम रहे तो कई दिन प इस तरह
दुश्मन के घर में जैसे कोई मेहमाँ रहे

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

आज भी बुरी क्या है कल भी ये बुरी क्या थी
इस का नाम दुनिया है ये बदलती रहती है

दुनिया तो सीधी है लेकिन दुनिया वाले
झूटी सच्ची कह के उसे बहकाते होंगे

दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं

रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है ‘ज़फ़र’
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *