160+ Best Kumar Vishwas Shayari in Hindi 2025

Kumar Vishwas Shayari

डॉ. कुमार विश्वास हिंदी कविता और शायरी की दुनिया का एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने अपनी पंक्तियों से लाखों दिलों को छुआ है। उनकी शायरी में प्रेम, देशभक्ति और जीवन के गहरे अनुभवों की झलक साफ दिखाई देती है। उनकी आवाज़ और अंदाज़ ने कवि सम्मेलनों में उन्हें बेहद लोकप्रिय बना दिया है। Kumar Vishwas Shayari In Hindi शब्दों की उस जादुई दुनिया को आपके सामने लाती है जहां हर शायरी दिल की गहराइयों को छू लेती है। इस लेख में आपको उनकी प्रेरणादायक, रोमांटिक और भावनात्मक शायरियों का एक सुंदर संग्रह मिलेगा।

Kumar Vishwas Shayari in Hindi

कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है|

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ,
तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है,
या मेरा दिल समझता है|

Kumar Vishwas Shayari in Hindi
Kumar Vishwas Shayari in Hindi

तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है,
तुम्हारी सो के गुजरी है,
हमारी रो के गुजरी है|

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था,
कभी मीरा दीवानी है|

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे,
दिल ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है,
और जो तुमको भी प्यारा है|

मिल गया था जो मुकद्दर वो खो के निकला हूँ,
मैं एक लम्हा हूँ हर बार रो के निकला हूँ|

मेहफिल-मेहफिल मुस्काना तो पड़ता है,
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है|

तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है,
उम्मीदों का फटा पैरहन रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है|

ना पाने की खुशी है कुछ,
ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है|

हर एक मोहल्ले में बस दर्द का आलम है,
लगता है कि तुमको भी हम सा ही कोई गम है|

सियासत में मेरा खोया या पाया हो नहीं सकता,
सृजन का बीज हूँ,
मिट्टी में जाया हो नहीं सकता|

मैं तो झोंका हूँ हवाओं का,
उड़ा ले जाऊंगा,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुंचेगा|

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंजिल पे कौन पहुंचेगा|

फलक पे भोर के दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है|

जिंदगी में जो भी करना है,
उसे आज ही कर डालो,
कल का क्या भरोसा,
ये वक्त बड़ा बेकार है|

सब अपने दिल के राजा हैं,
सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो ना हो,
पर सबकी कोई कहानी है|

बहुत सरल है किसने कितना दर्द साहा,
जिसकी जितनी आँख हँसे है,
उतनी पीर पुरानी है|

जहाँ पर खत्म होती थी मेरी ख्वाहिश की जिद कल तक,
उसी एक मोड़ तक खुद के सफर को मोड़ रखा है|

आँखों की छत पे टहलते रहे काले साये,
कोई पहलुओं में उजाले भरने नहीं आया|

कितनी दीवाली गई,
कितने दशहरे बीते,
इन मुँडेरों पर कोई दीप ना धरने आया|

Kumar Vishwas Romantic Shayari

तुमसे दूरी का एहसास सताने लगा,
तेरे साथ गुजारा हर लम्हा याद आने लगा|

जब भी तुझे भूलने की कोशिश की ऐ दोस्त,
तू दिल के और भी करीब आने लगा|

दोस्ती में वो बात कहाँ आएगी,
जो दिल में है,
वो जुबान पर लाएगी|

Kumar Vishwas Romantic Shayari
Kumar Vishwas Romantic Shayari

एक दो रोज़ में हर आँखें उब जाती हैं,
मुझको मंजिल नहीं,
रास्ता समझने लगते हैं|

जो पास हैं वो दूर हैं,
जो दूर हैं वो पास हैं,
दोस्ती की ये बातें कुछ अजीब सी आस हैं|

Kumar Vishwas Motivational Shayari

ना थके हैं पांव कभी,
ना हौसले हारे हैं,
जिन्हें चलना आता है,
वो अंधेरों में भी सवेरा कर देते हैं|

हार कर बैठ जाना मेरी फितरत में नहीं,
मुसीबतों से लड़ना मेरी आदत में है|

हौसला चाहिए हर मंज़िल को पाने के लिए,
सपने तो बिना मेहनत के भी आ जाते हैं|

जो गिरने से डरे,
वो उड़ान क्या भरेगा,
हौंसले बुलंद हों तो आसमान भी झुकेगा|

चलो वो करें जो औरों ने नहीं किया,
भीड़ से अलग चलना ही असली जीत है|

Kumar Vishwas Ki Shayari in Hindi

उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।

ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है
हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है
इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा,
लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है।

Kumar Vishwas Ki Shayari
Kumar Vishwas Ki Shayari

मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,
और जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं सब सोते हैं हम रोते हैं

इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।

जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है।

मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,
कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है।

कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन।
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन।
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है,
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन

हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,
कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से।

हमने दुख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है
पल पल भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ।

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है,
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में,
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि रौशनाई है।

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तु मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है य़ा मेरा दिल समझता है।।

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में

कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझाता है,
हर धरती की बेचैनी को बस
बादल समझता है।

दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में

इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।

उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे

जब से मिला है साथ मुझे आप का हुज़ूर
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए

फिर मिरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी

जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं
कई ख़्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती हैं
जुदाई में तो मैं उससे बराबर बात करता हूं
मुलाक़ातों में सब बातें अधूरी छूट जाती हैं

मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए

मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है

मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझाता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है.!

उसी की तरह मुझे सारा ‘ज़माना’ चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।

“कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम
बिन. भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम
बिन ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी
तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन.”

कहीं पर जग लिए तुम बिन,
कहीं पर सो लिए तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन,
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है
अपने कभी तो हंस लिए तुम बिन,
कभी तो रो लिए तुम बिन.!

जिंदगी से लड़ा हूँ तुम्हारे बिना
हाशिए पर पड़ा हूँ तुम्हारे बिना
तुम गई छोड़कर, जिस जगह मोड़ पर
मैं वहीं पर खड़ा हूँ तुम्हारे बिना.!

सालों बीत जाते हैं तिनका तिनका सिमटने में
तब कहीं जाकर हो पाते हैं घोंसले मयस्सर,
कमियां नहीं पैदा कर पाती दूरियां कभी, सीमा,
बस खुदगर्जी की चिंगारी ही हवा दे जाती है अक्सर ।

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझाता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।

मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

Dard Kumar Vishwas Shayari

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे ज़रूरी है, समझता हूँ।

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हूँ नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं..

Dard Kumar Vishwas Shayari
Dard Kumar Vishwas Shayari

जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं,
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं !

उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे।
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है।
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है।

जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है।
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उम्र मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है।

पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना?
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना?

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस-घिस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन।

You can also read Jaun Elia Shayari​ in Hindi

तुम्हारे पास हूं लेकिन जो दूरी है समझता हूं,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूं।
तुम्हें मैं भूल जाऊंगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन,
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है समझता हूं।

बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया।
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन नहीं पायी, कभी मैं कह नहीं पाया।

अमावस की काली रातों में, जब दिल का दरवाजा खुलता है ,
जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसूं के संग होते हैं ,
जब पिछवाड़े के कमरे में , हम निपट अकेले होते हैं ,

जब उंच -नीच समझाने में , माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है !!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,

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